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Controversy Over Mosques: ज्ञानवापी, मथुरा ही नहीं, देश के इन 10 मस्जिदों पर भी है विवाद का साया
Controversy Over Mosques भारत में मंदिर-मस्जिद से जुड़ा विवाद कोई नया नहीं है। मंदिर-मस्जिद विवाद की फेहरिस्त भी छोटी नहीं है। देश भर में ऐसे करीब 10 विवादित स्थल हैं। जानें कौन सा मस्जिद कहां स्थित है।
Controversy Over Mosques: भारत में मंदिर-मस्जिद से जुड़ा विवाद कोई नया नहीं है। मंदिर-मस्जिद विवाद की फेहरिस्त भी छोटी नहीं है। देश भर में ऐसे करीब 10 विवादित स्थल हैं। मगर, इसमें सबसे अधिक किसी ने सुर्खियां बटोरी तो वो था अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद। हालांकि, इस मामले का पटाक्षेप वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हो गया।
इस वक्त देश में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) विवाद सबसे गरम है। लेकिन, ये इकलौता नहीं है। इसी तरह, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि के परिसर स्थित शाही ईदगाह मस्जिद विवाद भी है। जिसके सर्वे कराए जाने की याचिका अदालत स्वीकार कर ली है। आज हम आपको देश के उन 10 मस्जिदों के बारे में बताने जा रहे हैं जिस पर विवाद है। ये सभी मस्जिद देश के अलग-अलग राज्यों में हैं। जिन पर हिन्दू पक्ष का दावा है कि उनका निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया है। इसके पीछे उनके तर्क, साक्ष्य और सबूत हैं। जिनमें फिलहाल कुछ मामले कोर्ट में भी हैं।
UP: ताजमहल या 'तेजो महालया'
यूपी के ही आगरा स्थित ताजमहल का निर्माण मुगल शासक शाहजहां ने सन 1632 से 1653 में किया था। इतिहास में बताया गया है कि यह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल का मकबरा है। लेकिन, हाल के सालों में इस मकबरे को लेकर भी विवाद उठने लगे हैं। विभिन्न हिंदू संगठन दावा करते हैं कि मुग़ल शासक शाहजहां ने 'तेजो महालया' नाम के शिव मंदिर को तोड़कर ताजमहल का निर्माण करवाया था। इसी मामले में हाल में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court Lucknow Bench) में ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोले जाने और उसका पुरातत्वविदों (Archaeological Survey of India) द्वारा सर्वे कराने की मांग वाली याचिका दाखिल की गई। हालांकि इस मांग को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। अब याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
UP: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग है कि यहां से मस्जिद हटाया जाए। ये जमीन हिन्दू पक्ष को दी जाए। इसके पीछे उनका तर्क है कि यहां मस्जिद, मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है, कि यहां देश की आजादी से पहले से ही नमाज पढ़ी जा रही है, इसलिए विवाद का सवाल ही नहीं है। इसके पीछे मुस्लिम पक्ष साल 1991 के कानून का हवाला दे रहे हैं। इस पूरे विवाद की पृष्ठभूमि तैयार हुई वर्ष 1984 में। इस साल देशभर से करीब 500 से अधिक संत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जुटे। इन संतों ने धर्म संसद में कहा, कि हिंदू पक्ष अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद और काशी में अपने धर्मस्थलों को लेकर दावे करें। इसी क्रम में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) को लेकर विवाद भी तेज हो गया।
अब सवाल उठता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद कोर्ट तक कैसे पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट (Varanasi Civil Court) में याचिका दायर की। तब इनके वकील ने तर्क दिया था, कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले हुआ था। तब राजा विक्रमादित्य (Vikramaditya) ने इन्हें बनवाया था। जिसे बाद में वर्ष 1669 में मुग़ल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) ने इसे तोड़ दिया था। जिसके बाद, इस जगह मस्जिद (Mosque) बनाई गई। लेकिन, मस्जिद बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया। हिन्दू पक्ष का कहना है कि नींव और ढांचा अब भी मंदिर का ही है, बस उसके ऊपर मस्जिद का निर्माण हुआ है।
UP : मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद विवाद
इसी तरह का एक विवाद उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है। यह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। बता दें कि, हिन्दू इस स्थल को पवित्र मानते हैं। क्योंकि ये भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली कहा जाता है। हिन्दू पक्षकारों का आरोप है कि मुग़ल शासक औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोड़कर उसी जगह शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। औरंगजेब ने यह निर्माण 1669-70 के मध्य किया था। दरअसल, हिंदू पक्षकारों (Hindu parties) ने मांग है कि मस्जिद परिसर के सर्वे के लिए एक टीम का गठन हो। टीम मुआयना कर यह बताए, कि क्या इस मस्जिद परिसर में हिंदू देवताओं की मूर्तियां तथा प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं। ये भी बताए कि यहां वर्तमान मस्जिद से पहले हिंदुओं का मंदिर हुआ करता था या नहीं।
श्रीकृष्ण विराजमान (Shri Krishna Virajman) द्वारा दायर याचिका में 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक की मांग की गई है। वर्तमान में कुल भूमि में 10.9 एकड़ जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास तथा 2.5 एकड़ भूमि शाही ईदगाह मस्जिद के पास है।
UP: जौनपुर स्थित अटाला मस्जिद
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला (Jaunpur District) स्थित अटाला मस्जिद (Atala Masjid) पर भी विवादों का साया मंडराता रहा है। कहा जाता है कि अटाला मस्जिद का निर्माण सन 1408 ईस्वी में इब्राहिम शरीकी ने करवाया था। लेकिन, हिन्दुओं का कहना है कि इब्राहिम शरीकी ने अटाला देवी मंदिर तोड़कर वहां 'अटाला मस्जिद' का निर्माण किया था। अटाला देवी मंदिर का निर्माण गढ़ावला के राजा विजयचंद्र ने करवाया था। हिन्दू संगठन इस मस्जिद पर भी विवाद करते रहे हैं।
Delhi: कुतुब मीनार (कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद)
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की स्थित कुतुब मीनार को लेकर भी हाल के दिनों में विवाद गहराया है। क़ुतुब मीनार परिसर में भी एक मस्जिद है। कहा जाता है इसका निर्माण दिल्ली सल्तनत के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutb al-Din Aibak) ने करवाया था। कुछ इतिहासकार और हिन्दू संगठनों का मानना है, कि इस मस्जिद का निर्माण ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर किया था। यह मामला तब टूल पकड़ा जब राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान अयोध्या में खुदाई में शामिल रहे प्रसिद्ध पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने कहा, कि 'कुतुब मीनार के पास स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को बनाने के लिए 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़ गया था। मुहम्मद कहते हैं, इस मस्जिद के पूर्वी दरवाजे पर लगे एक शिलालेख में भी इस बात का जिक्र किया गया है।'
MP: धार स्थित कमल मौला मस्जिद
उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बाद अब चलते हैं देश की 'हृदय स्थली' मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)। मध्य प्रदेश के धार जिला (Dhar district) स्थित कमल मौला मस्जिद (Kamal Maula Ki Masjid) पर भी विवाद रहा है। इस विवादित स्थल को लेकर हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां माता सरस्वती का प्राचीन मंदिर भोजशाला रहा है। जबकि, मुस्लिम पक्ष इसे अपनी इबादतगाह बताते रहे हैं।
ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि मां सरस्वती भोजशाला मंदिर का निर्माण हिंदू राजा भोज (Raja Bhoj) ने सन 1034 में करवाया था। मगर, वर्ष 1305 में अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) ने हमला किया था। बाद में, दिलावर खान नमक मुस्लिम शासक ने यहां स्थित विजय मंदिर को नष्ट कर दिया। साथ ही, सरस्वती मंदिर भोजशाला के एक हिस्से को दरगाह में तब्दील करने की कोशिश की। इस मंदिर पर आक्रमण यहीं नहीं थमा। इसके बाद महमूदशाह (Mahmud Shah) ने भोजशाला पर आक्रमण कर सरस्वती मंदिर के बाहरी हिस्से पर कब्जा किया और यहां 'कमल मौलाना मकबरा' बना दिया।
MP : विदिशा स्थित बीजा मंडल मस्जिद
इसी प्रकार का एक विवाद मध्य प्रदेश के ही विदिशा जिले में भी है। विदिशा में एक स्थल है 'बीजा मंडल मस्जिद', जिस पर विवाद गहराता जा रहा है। यहां भी अन्य विवादित स्थलों की तरह यह माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण परमार राजाओं द्वारा निर्मित चर्चिका देवी मंदिर को तोड़कर किया गया है। इसके पीछे तथ्य भी हैं। जानकार बताते हैं कि इस जगह पर मौजूद एक खंभे पर लगे शिलालेख में बताया गया है कि मूल मंदिर देवी विजया को समर्पित था। उन्हें ही चर्चिका देवी भी कहा जाता है। चर्चिका देवी को 'विजय' की देवी माना जाता है। सबसे पहले इस मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में हुआ था और फिर 11वीं सदी में चर्चिका देवी के भक्त परमार वंश और मालवा के राजा नरावर्मन ने विजया मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
माना जाता है कि 1658-1707 के दौरान मुग़ल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला कर पहले इसे लूटा। फिर तोप लगाकर इसे नष्ट कर दिया। उसने मंदिर के उत्तरी ओर मौजूद सभी मूर्तियों को दफना दिया। जिसके बाद इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। हिन्दू पक्ष इस मंदिर के संबंध में भी अपनी मांग रखते रहे हैं, जिससे विवाद कायम है।
Gujarat : पाटन स्थित जामी मस्जिद
गुजरात राज्य के पाटन जिले (Patan District) में जामी मस्जिद पर भी विवाद रहा है। कहा जाता है, कि इस मस्जिद को यहीं स्थापित रुद्र महालय मंदिर को नष्टकर बनाया गया था।1410 से 1444 के बीच अलाउद्दीन खिलजी ने इस मंदिर परिसर को तोड़कर नष्ट कर दिया था। लेकिन, बाद के समय में अहमद शाह प्रथम ने मंदिर के हिस्सों को जामी मस्जिद में तब्दील कर दिया था। इतिहासकारों का मानना है कि, प्राचीन रुद्र महालय मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गुजरात के तत्कालीन शासक सिद्धराज जयसिंह ने करवाया था।
Gujarat : अहमदाबाद स्थित जामा मस्जिद
गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) स्थित जामा मस्जिद (JAMA Masjid) को लेकर भी विवाद पुराना है। कहा जाता है कि इस मस्जिद को हिन्दुओं के मंदिर 'भद्रकाली' (Hindu temple Bhadrakali) को नष्ट कर बनाया गया था। गौरतलब है कि, अहमदाबाद का प्राचीन नाम 'भद्रा' था। भद्रकाली मंदिर का निर्माण भी परमार राजाओं ने ही कराया था। अहमदाबाद स्थित जामा मस्जिद को अहमद शाह (प्रथम) ने सन 1424 में बनवाया था।
यहां भी देश के अन्य विवादित स्थलों की तरह मंदिर होने के दावे किए जाते रहे हैं। इसके पीछे तर्क है कि मस्जिद के अधिकतर खंभे प्राचीन हिंदू मंदिरों की तरह निर्मित हैं। जैसे- इसके कई स्तंभों पर कमल के फूल, हाथी, कुंडली लिए हुए नाग और नर्तकियों तथा घंटियों आदि की नक्काशी है। ऐसे चिन्ह अक्सर आपको हिंदू मंदिरों में ही नजर आएंगे। इसके अलावा, यहां आपको कई खंभे देखने को मिलेंगे जो अक्सर हिन्दू मंदिरों की पहचान होते हैं।
West Bengal : मालदा स्थित अदीना मस्जिद
इसी प्रकार के एक अन्य विवादित मस्जिद का जिक्र पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में होता रहा है। दरअसल, मालदा के पांडुआ स्थित अदीना मस्जिद का निर्माण कार्य 1358 से 1390 के मध्य हुआ था। कहा जाता है इसका निर्माण सिकंदर शाह ने करवाया था। लेकिन, इसके साथ ये भी कहा जाता है कि सिकंदर शाह ने भगवान शंकर के प्राचीनतम आदिनाथ मंदिर को तोड़कर उसकी जगह अदीना मस्जिद बनवाई थी। इसके पीछे हिन्दुओं का तर्क है कि अदीना मस्जिद के कई हिस्सों में हिंदू मंदिरों की तर्ज पर नक्काशी और चित्र नजर आते हैं।