जानिए क्या है हल छठ व्रत, किस दिन और किसके लिए किया जाता है

ललही छठ, हलषष्ठी या हल छठ के नाम से जाने वाले इस व्रत के दिन महिलाएं संतान सलामती के लिए पूजा करती हैं। जन्माष्टमी से दो दिन पहले हलषष्ठी या हल छठ का पर्व मनाया जाता है इसे बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

suman
Published on: 20 Aug 2019 3:17 AM GMT
जानिए क्या है हल छठ व्रत, किस दिन और किसके लिए किया जाता है
X

जयपुर:ललही छठ, हलषष्ठी या हल छठ के नाम से जाने वाले इस व्रत के दिन महिलाएं संतान सलामती के लिए पूजा करती हैं। जन्माष्टमी से दो दिन पहले हलषष्ठी या हल छठ का पर्व मनाया जाता है इसे बलराम जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह पर्व 21 अगस्त को है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को ललही छठ या हल षष्ठी व्रत का त्योहार मनाया जाता है। इसे कई नामों से जाना जाता है। इस त्योहार को श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार बलराम जयंती 21 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन भी श्रद्धालु व्रत व पूजन करते हैं।

संतान की दीर्घायु और उसकी अकाल मृत्यु को दूर करने वाला हल षष्ठी व्रत इस बार गुरुवार को मनाया जाएगा। 21 और 22 अगस्त दोनों दिन सूर्योदय के समय छठ तिथि होने के कारण दोनों ही दिन छठ है, लेकिन पहले दिन यानि बुधवार को सुबह 5:32 बजे से दिन भर छठ तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन छठ पूजा करना श्रेष्ठ होगा। दूसरे दिन गुरुवार को सुबह 7 बजकर 8 मिनट में के बाद सप्तमी तिथि हो जाएगी।

20 अगस्त: किस पर रहेगी बजरंगबली की कृपा दृष्टि, जानिए पंचांग व राशिफल

महत्व हलषष्ठी या हल छठ को जन्माष्टमी पर्व से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है। भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम को बलदेव, बलभद्र और बलदाऊ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू ज्योतिशास्त्र के अनुसार बलराम को हल और मूसल से खास लगाव था इसीलिए इस त्योहार को हल षष्ठी के नाम से जाना जाता है। बलराम जयंती के दिन किसान वर्ग खास तौर पर पूजा करते हैं। इस दिन हल, मूसल और बैल की पूजा करते हैं। हलषष्ठी या हल छठ पर मूसल, बैल व हल की पूजा की जाती है इसीलिए इस दिन हल से जुती हुई अनाज व सब्जियों व हल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

संतान की लंबी आयु के लिए किए जाने वाला यह व्रत काफी शक्तिशाली बताया जाता है इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भैंस के गोबर से पूजा घर में दीवनर पर छठ माता का चित्र बनाकर पूजा करती हैं।इस दिन माता गौरी व गणेश की पूजा करने का विधान है। पूजा करने के बाद गांव की महिलाएं एक साथ बैठकर कथा सुनती हैं।

होगा भारी नुकसान: तुरंत देखें, कहीं आप भी तो नहीं शामिल इसमे

suman

suman

Next Story