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Amit Shah Birthday: अमित शाह ने इस तरह तय किया सियासत में बुलंदियों का सफर,यूं ही नहीं कहा जाता भाजपा का चाणक्य

Amit Shah Birthday: अमित शाह का जन्म 1964 में आज ही के दिन मुंबई के संपन्न गुजराती परिवार में हुआ था। शेयर ब्रोकर से राजनीति का शहंशाह बनने तक उनका राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है।

Anshuman Tiwari
Published on: 22 Oct 2023 6:05 AM GMT
Amit Shah Birthday
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Amit Shah Birthday

Amit Shah Birthday: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज देश की सियासत के प्रमुख चेहरे बन चुके हैं। बेहद छोटे स्तर से शुरुआत करने के बाद उन्होंने अपने सियासी और रणनीतिक कौशल से देश की सियासत में बुलंदियों पर पहुंचने में कामयाबी हासिल की है। भाजपा को मजबूत बनाने में भी उनकी प्रमुख भूमिका रही है और यही कारण है कि उन्हें भाजपा का चाणक्य कहा जाता है।

अमित शाह का जन्म 1964 में आज ही के दिन मुंबई के संपन्न गुजराती परिवार में हुआ था। शेयर ब्रोकर से राजनीति का शहंशाह बनने तक उनका राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। जन्मदिन के मौके पर आज देश के तमाम सियासी दिग्गजों ने अमित शाह को जन्मदिन की बधाई देते हुए देश की सियासत में उनकी प्रमुख भूमिका का उल्लेख किया है।


स्टॉक ब्रोकर के रूप में भी किया काम

अमित शाह ने 16 साल की उम्र तक गुजरात में अपने पैतृक गांव मान्सा में रहकर ही स्कूली शिक्षा ग्रहण की। बाद में उनका परिवार अहमदाबाद शिफ्ट हुआ तो वे भी अपने परिवार के साथ अहमदाबाद पहुंच गए। उन्होंने अहमदाबाद से ही बायोकेमेस्ट्री में बीएससी की पढ़ाई पूरी की। बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पिता के पाइप के कारोबार को संभाल लिया।


बाद में अमित शाह ने स्टॉक मार्केट के क्षेत्र में कदम रखा और शेयर ब्रोकर के रूप में भी काम किया। अमित शाह का विवाह सोनल शाह के साथ हुआ और जय शाह उनके बेटे हैं। जय शाह मौजूदा समय में बीसीसीआई के सचिव के रूप में भूमिका निभा रहे हैं।

इस तरह हुई नरेंद्र मोदी से मुलाकात

वैसे यह बात दिलचस्प है कि अमित शाह के परिवार का राजनीति से दूर-दूर का कोई वास्ता नहीं था। दरअसल किशोरावस्था में ही अमित शाह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति आकर्षण पैदा हुआ। 16 साल की उम्र में ही उन्होंने संघ की शाखा में जाना शुरू कर दिया था। जानकारों का कहना है कि 1982 के आस-पास शाह की अहमदाबाद की नारणपुरा शाखा में ही नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी। उस समय नरेंद्र मोदी संघ प्रचारक की भूमिका निभा रहे थे। 1983 से अमित शाह ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रियता बढ़ाई और राजनीतिक मैदान में दस्तक दी।


1986 में उन्होंने भाजपा के लिए काम करना शुरू किया। यही वह समय था जब नरेंद्र मोदी को भी संघ से भाजपा में भेजा गया था। संघ में पीएम मोदी और अमित शाह की हुई यह मुलाकात आज प्रगाढ़ दोस्ती के रूप में सबके सामने है और मोदी और शाह की जोड़ी को देश की सियासत में सबसे कुशल जोड़ी माना जाता रहा है।

आडवाणी के चुनाव संचालन में प्रमुख भूमिका

राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भी अमित शाह ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसी दौरान अमित शाह का संपर्क उस दौर के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी से हुआ था। उस समय आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे थे। पहले चुनाव से लेकर 2009 के चुनाव तक अमित शाह ने आडवाणी के चुनावों के संचालन में प्रमुख भूमिका निभाई।


अमित शाह 1995 में गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष बने और उन्होंने निगम को घाटे के दौर से बाहर निकाल। उन्होंने निगम को इतने फायदे में पहुंचा दिया कि अन्य लोगों को भी काफी हैरानी हुई। 36 साल की उम्र में वे अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के सबसे युवा अध्यक्ष बनने में कामयाब हुए।

सियासी मैदान में पीछे मुड़कर नहीं देखा

अमित शाह 1997 में पहली बार गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े में उतरे। पहले चुनाव में ही उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल करते हुए अपनी चुनावी रणनीति का लोहा मनवाया। इस विधानसभा क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि बाद के चुनावों में हर बार उनके जीत का अंतर लगातार बढ़ता गया।

1998 में वे गुजरात में प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बने। 2001 में उन्हें भाजपा की सहकारिता प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया। 2002 में उन्होंने गुजरात में मंत्री पद की कमान संभाली। हालांकि बाद के दिनों में उनके राजनीतिक जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आए।


2010 में फर्जी एनकाउंटर मामले में उनका नाम सामने आने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। हालांकि 2015 में सीबीआई की विशेष अदालत ने इस फर्जी एनकाउंटर मामले में उन्हें बरी कर दिया।

2014 में दिलाई भाजपा को बड़ी जीत

उनके राजनीतिक कौशल का सबसे बड़ा उदाहरण 2014 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ ही 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी। अमित शाह की कुशल रणनीति के चलते भाजपा 2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में 71 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही।

इसके बाद जुलाई 2014 में उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप गई। 2016 में उन्हें दोबारा पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। 2019 में भाजपा के दोबारा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अमित शाह को गृह मंत्री पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप गई। गृह मंत्री के जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के साथ ही कई अन्य बड़े फैसलों में प्रमुख भूमिका निभाई है।


पीएम मोदी के साथ शाह की अच्छी ट्यूनिंग

भाजपा की रणनीति तय करने में आज भी अमित शाह की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। पांच राज्यों में जल्द होने वाले विधानसभा चुनाव में भी अमित शाह प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उम्मीदवारों का नाम तय करने के साथ ही विभिन्न राज्यों में पार्टी की रणनीति तय करने में उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। अमित शाह की रणनीति को जीत की गारंटी माना जाता है और यही कारण है कि उन्हें भाजपा के चाणक्य की उपमा दी जाती रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शुरुआत से ही उनकी काफी अच्छी ट्यूनिंग रही है। दोनों की इस अच्छी ट्यूनिंग का काफी असर दिखता रहा है और मोदी सरकार कई बड़े फैसले लेने में कामयाब रही है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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