×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

27 की उम्र में पहली बार दिया था चुनावी भाषण, आज कर रही हैं पार्टी का मार्गदर्शन

कांग्रेसी रविवार 12 जनवरी को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का 48 वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऐसे में हम आपको प्रियंका गांधी की कुछ वो किस्से बता रहे हैं जिससे उनके अमेठी और रायबरेली से जुड़े रिश्तों की वास्तविकता का अंदाज़ा होता है।

Roshni Khan
Published on: 12 Jan 2020 9:25 AM IST
27 की उम्र में पहली बार दिया था चुनावी भाषण, आज कर रही हैं पार्टी का मार्गदर्शन
X

असगर नकवी

अमेठी: कांग्रेसी रविवार 12 जनवरी को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का 48 वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऐसे में हम आपको प्रियंका गांधी की कुछ वो किस्से बता रहे हैं जिससे उनके अमेठी और रायबरेली से जुड़े रिश्तों की वास्तविकता का अंदाज़ा होता है।

ये भी पढ़ें:विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन के लिए तैयार करें प्रस्तुतिकरणः आनंदीबेन

27 साल की उम्र में पहली बार दिया था चुनावी भाषण

वरिष्ठ पत्रकार एवं अधिवक्ता विवेक विक्रम सिंह बताते हैं कि 1999 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से कांग्रेस ने कैप्टन सतीश शर्मा को टिकट दिया था। उनके सामने राजीव गांधी के रिश्ते में भाई अरुण नेहरु मैदान में थे। उस समय प्रियंका गांधी की उम्र 27 साल थी और वो पहला चुनावी भाषण देने के लिए रायबरेली में एक छोटी सी जनसभा में खड़ी हुई थीं। विवेक विक्रम बताते हैं कि प्रियंका ने सूती साड़ी पहन रखा था।

वो बताते हैं कि प्रियंका ने मंच पर आकर कहा था कि, यह इंदिरा जी की कर्मभूमि है भारत की उस बेटी की कर्मभूमि है जिस पर मुझे सबसे ज्यादा गर्व है। वो सिर्फ मेरी दादी नहीं थीं भारत की करोड़ो जनता की मां समान थीं। वो उस परिवार की सदस्य थीं जिसने आपको काम करके दिखाया, जिसने आपको विकास करके दिखाया, जिसके दिल में आपके लिए दर्द था और हमेशा रहेगा। फिर प्रियंका ने सवालिया बात कही थी, आपने एक ऐसे शख्स को अपने क्षेत्र में आने कैसे दिया? जिसने मेरे परिवार के साथ हमेशा गद्दारी की, जिसने मेरे पिताजी के मंत्रिमंडल में रहते हुए उनके खिलाफ साजिश की।

जिसने कांग्रेस में रहते हुए सांप्रदायिक शक्तियों के साथ हाथ मिलाया। जिसने अपने भाई की पीठ में छुरी मारी है, वो कभी आपके लिए निष्ठा के साथ काम नहीं कर सकता। उसको पहचानिए, उसका जवाब दीजिए। मैं मांगती हूं आपसे यह जवाब। इसके बाद पासा पलट गया था और अरूण नेहरू को करारी हार का सामना करना पड़ा था। वो बताते हैं कि इस चुनाव में प्रियंका गांधी छोटी-छोटी सभाएं करती, और एक दिन में 15 से 19 सभाएं करती थीं।

मां सोनिया गांधी की चुनावी कमान प्रियंका गांधी के हाथों में थी

विवेक विक्रम सिंह ने बताया कि सक्रिय राजनीति में आने के बाद यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी 1999 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ रहीं थीं। उनके प्रतिद्वंदी के रूप में वर्तमान में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डा. संजय सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। सोनिया गांधी की चुनावी कमान प्रियंका गांधी के हाथों में थी और लग्ज़री गाड़ियों से कम पैदल सफर अधिक कर रही थीं। उस समय प्रियंका गांधी ने अमेठी की सड़कों से अधिक गांव की मेढों पर जमकर सफर किया था। कई बार तो स्थित ऐसी भी आई थी के मेढों पर उनके क़दम डगमगा गये थे। सिंह बताते हैं के आलम ये था इतने समय में ही प्रियंका हर एक कार्यकर्ताओं के नाम जान चुकी थी और उन्हें नाम से ही बुलाती थीं। जिससे उन्होंंने लोगों के दिलों में अपनी जगह बना लिया था और फिर नतीजा सामनें था। सोनिया गांधी ने ये चुनाव रिकार्ड मतों से जीता था।

ये भी पढ़ें:खूबसूरती पर ग्रहण है ये निशान, इन आसान TIPS से सर्दियों में पाएं इससे छुटकारा

पत्रकार आलोक श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रियंका गांधी का ग्लैमर आज भी अमेठी के लोगों में है। इसका मुख्य कारण जहां उनके अंदर दादी की छाप है वहीं वो समाज के आख़री आदमी को साथ लेकर चलती हैं। श्रीवास्तव बताते हैं के 2004 की बात है अमेठी के मुसाफ़िरखाना कोतवाली अंतर्गत गाजनपुर दुवरिया गांव में गांव तबाह हो गया था, ये वो गांव है जहां प्रियंका का अक्सर आना जाना रहा है। प्रियंका गांधी को जब इस घटना की सूचना मिली तो वो गांव आईं खुद कुर्सी पर बैठकर छाजन का काम कराया।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story