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खट्टर सरकार अब तक कोई भी हिंसा को नहीं कर पाई काबू, आखिर क्यों?
लखनऊ: 2 साध्वी से यौन शोषण के मामले में राम रहीम को दोषी करार देने के बाद डेरा सच्चा सौदा समर्थको के उत्पात में करीब 25 लोगो की जान चली गयी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है । कोर्ट ने डीजीपी को पहले ही चेता दिया था कि यदि हिंसा हुई तो इसके जिम्मेदार वो ही होंगे । लेकिन इसे सिर्फ पुलिस की नाकामी ही नहीं सरकार की भी विफलता कहना उचित होगा ।
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हरियाणा में 2014 से मनोहर लाल खट्टर सरकार है । राम रहीम का मामला ही नहीं, 2014 से अब तक खट्टर सरकार कई मामलों में असफल ही साबित हुयी है । चाहे जाट आन्दोलन हो या बाबा रामपाल का, सरकार ने मामलों को हाथ से निकलने ही दिया ।
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जाट आन्दोलन: शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर हरियाणा के 19 जिलों में 2016 में जाट आंदोलन में 30 से ज्यादा लोगों की जानें चली गई थीं । करोड़ों रुपए की संपत्ति नष्ट हो गई थी। राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा हुयी थी । जाट आंदोलन के दौरान सरकार को पहले से पता था कि राज्यस्तरीय प्रदर्शन होने वाला है । इसके बावजूद कोई इंतजाम नहीं किये गए. जब तक सरकारी मशीनरी सक्रिय हुई तब तक मामला बिगड़ चुका था ।
रामपाल मामला खट्टर सरकार ने बाबा रामपाल के मामले में भी खूब ढिलाई बरती । 2006 में स्वामी दयानंद की एक किताब पर रामपाल की टिप्पणी से शुरू हुआ विवाद 2014 तक चलता रहा । इस मामले में हाईकोर्ट ने रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया लेकिन उसके समर्थकों ने गिरफ्तारी का आदेश मानने से ही इनकार कर दिया । सरकार ने बाबा रामपाल के सतलोक आश्रम में उसके हजारों समर्थकों को इकट्ठा होने दिया । इसके चलते 14 दिन तक राज्य पुलिस रामपाल को ग़िरफ्तार नहीं कर सकी. इस मामले में भी खूब हिंसा हुयी थी ।