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Harmful Drugs In India: नकली और घटिया दवाओं की भरमार, भारत में हो चुकी हैं ढेरों मौतें
Harmful Drugs In India: डब्ल्यूएचओ की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बेची जाने वाली लगभग 10.5 प्रतिशत दवाएं घटिया और नकली हैं।
Harmful Drugs In India: नकली और घटिया दवाओं का बाजार भारत में काफी फैला हुआ है। डब्ल्यूएचओ (WHO) की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बेची जाने वाली लगभग 10.5 प्रतिशत दवाएं घटिया और नकली हैं। यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बाजार (Indian market) में बिकने वाले सभी फार्मास्युटिकल उत्पादों में से 20 फीसदी नकली हैं। 2018 में, राष्ट्रीय दवा नियामक निकाय (national drug regulatory body) ने भारतीय बाजार में सभी जेनेरिक दवाओं के लगभग 4.5 प्रतिशत के घटिया होने की पहचान की।
फरवरी 2020 में जन औषधि केंद्रों में बेची जा रही जेनेरिक दवाओं के कई बैच को राज्य दवा नियंत्रक के मानक गुणवत्ता परीक्षणों में विफल होने के बाद वापस बुला लिया गया था। 2019-2020 में चार दवाओं और 27 बैचों को वापस बुलाया था।
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में संसद को सूचित किया था कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दवा नियंत्रकों ने 2021 में 84,874 से अधिक दवा के नमूनों का परीक्षण किया, जिनमें से 2,652 दवाओं के नमूने मानक गुणवत्ता के नहीं थे, जबकि 263 नमूनों को नकली या मिलावटी घोषित किया गया था।ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशंस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना से संबंधित नकली और घटिया दवाओं और अन्य चिकित्सा उत्पादों की घटनाओं में 2020 से 2021 तक लगभग 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मिलावटी दवाएं
2020 में मिलावटी कफ सिरप पीने से पांच साल से कम उम्र के करीब 13 बच्चों की मौत हो गई। साल की शुरुआत में, जम्मू के एक गाँव के लगभग एक दर्जन बच्चों ने "कोल्डबेस्ट" नामक एक और डायथाइलीन ग्लाइकॉल युक्त टॉनिक पीने के बाद दम तोड़ दिया था। मुंबई के जमशेदजी जीजीभॉय अस्पताल में 1986 में डायथाइलीन ग्लाइकॉल मिश्रित ग्लिसरीन से 14 मरीजों की मौत हो गई थी। 1972 में मद्रास में भी ऐसी ही घटना हुई थी। 1998 में दिल्ली में 33 बच्चों की मौत हुई थी।
क्या है कानून
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940, घटिया दवाओं की बिक्री को अपराध मानता है। कानून में कम से कम एक साल की जेल की सजा और निर्माता के लिए जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा दवा के पूरे बैच को बाजार से वापस बुलाने का भी प्रावधान है। कानून के अनुसार निर्माता को मूल-कारण विश्लेषण करना होगा कि दोषपूर्ण दवा कैसे बनी।
नेशनल गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस प्रोग्राम के तहत भारत में सिर्फ 47 दवा परीक्षण सुविधाएं और छह केंद्रीय प्रयोगशालाएं हैं, जो प्रति वर्ष मात्र 8,000 नमूनों का परीक्षण करती हैं। इसके अलावा, देश में केवल 20 से 30 परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं जो इस बात की पुष्टि कर सकती हैं कि कोई दवा नकली, प्रामाणिक या अपेक्षाकृत खराब है। जानकारों का कहना है कि इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए और कड़े दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत है।