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Haryana Assembly Election: इस बार सिर्फ 51 महिलाएं मैदान में
Haryana Assembly Election: यह एक विरोधाभास है कि ग्रामीण हरियाणा में महिलाएं अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों के कारण उनके पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं है।
Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रमुख दलों ने इस बार सिर्फ 51 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जबकि 2019 के चुनावों में निर्दलीय सहित 104 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं। उम्मीदवारों की सूची के विश्लेषण से पता चलता है कि कांग्रेस ने सबसे अधिक 12 महिलाओं को मैदान में उतारा है, उसके बाद इनेलो-बसपा गठबंधन (11), भाजपा और आप (10-10) और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी गठबंधन (8) का स्थान है।
कुरुक्षेत्र के भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल (74) स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता के खिलाफ हिसार से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही हैं।
अब तक सिर्फ केवल 87 महिलाएं विधायक बनीं
- आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में पिछले 14 विधानसभा चुनावों में केवल 87 महिलाएं विधायक बनी हैं।
- वर्ष 2000 से अब तक हुए पांच विधानसभा चुनावों में 47 महिलाएँ विधायक बनी हैं।
- 2000 में 49 में से केवल चार महिलाएँ विधायक चुनी गईं, वर्ष 2005 में 12 और वर्ष 2009 में 9 महिलाएँ विधायक बनीं।
- वर्ष 2014 में हरियाणा में सबसे अधिक 13 महिला विधायक चुनी गईं। वर्ष 2019 में यह संख्या घटकर 9 रह गई।
- चंद्रावती वर्ष 1954 में ‘पेप्सू’ के मध्यावधि चुनावों में दादरी से विधायक बनने वाली हरियाणा क्षेत्र की पहली महिला थीं।
- 90 सदस्यीय विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 2000 में 4.44 फीसदी था, जब विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ने वाली 49 महिलाओं में से चार महिलाएँ चुनी गई थीं।
- सबसे ज़्यादा 14.4 फीसदी महिलाएँ 2014 में जीतीं, उस बार 116 महिलाओं में से 13 ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2019 में यह संख्या फिर से गिर गई और 104 में से नौ महिलाएँ (10 फीसदी) जीतीं।
- हरियाणा अपने विषम लिंग अनुपात के लिए कुख्यात है - पिछले वर्ष यहाँ प्रति 1,000 पुरुषों पर 916 महिलाएँ पैदा हुईं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि राजनीतिक दल महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने से कतराते हैं, क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य अधिकतम जीतने की संभावना वाले उम्मीदवारों को मैदान में उतारना होता है। यह एक विरोधाभास है कि ग्रामीण हरियाणा में महिलाएं अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों के कारण उनके पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं है।