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Haryana Election 2024: हरियाणा में तीन लालों के लाल के क्या हैं हाल, आखिर क्यों नहीं दिखा पा रहे कमाल
Haryana Election 2024: हरियाणा में इन दिनों विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है और सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
Haryana Election 2024: हरियाणा की सियासत में लंबे समय तक तीन लालों का वर्चस्व दिखता रहा है। राज्य की राजनीति लंबे समय तक देवीलाल,बंसीलाल और भजनलाल के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। अब इन तीनों दिग्गज राजनेताओं की राजनीति का दौर खत्म हो चुका है मगर उनकी विरासत संभालने के लिए इन तीनों नेताओं की अगली पीढ़ियां सियासी मैदान में सक्रिय दिख रही हैं।
हरियाणा में इन दिनों विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है और सभी राजनीतिक दल अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
ऐसे में सबकी निगाहें देवीलाल,बंसीलाल और भजनलाल के कुनबे से जुड़े लोगों की सियासत पर लगी हुई हैं। हालांकि हरियाणा की सियासत में तीनों लालों से जुड़ा कुनबा पहले की तरह मजबूत नहीं दिख रहा है। देवीलाल का कुनबा आपसी कलह का शिकार है तो दूसरी ओर भजनलाल और बंसीलाल के कुनबे के सदस्य भाजपा के सहारे अपने चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
देवीलाल का कुनबा आपसी कलह का शिकार
हरियाणा की सियासत से बाहर निकालने के बाद ताऊ देवीलाल ने देश की राजनीति में भी अपना असर दिखाया था। देवीलाल का कुनबा अब कई खेमों में बंटा हुआ दिख रहा है। इन खेमों के बीच आपसी कलह जोरों पर है और वे एक-दूसरे को पटखनी देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
अभय चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के जरिए अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं तो दूसरी ओर पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी के जरिए एक बार फिर ताकतवर होने की कोशिश में हाथ पांव मार रहे हैं। रणजीत चौटाला अभी तक भाजपा के साथ थे मगर भाजपा से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक दी है।
बंसीलाल और भजनलाल के कुनबे को भाजपा का सहारा
दूसरी ओर हरियाणा के दो पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल और भजनलाल के परिवार के लोग भाजपा के जरिए अपनी सियासत चमकाने की कोशिश में झूठ हुए हैं। इन दोनों दिग्गज नेताओं के कुनबे से जुड़े सदस्यों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का नेतृत्व स्वीकार कर लिया है।
भाजपा ने इस बार के विधानसभा चुनाव में नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया है और इस तरह बंसीलाल और भजनलाल के कुनबे के सदस्यों का सीएम पद को लेकर अब कोई दावा नहीं रह गया है। हालांकि भाजपा के भीतर अनिल विज और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी जरूर पेश कर दी है।
कुलदीप बिश्नोई के बेटे को भाजपा ने उतारा
हालांकि देवीलाल का परिवार भाजपा और कांग्रेस से अलग हटकर राजनीति कर रहा है मगर परिवार के पास सीएम पद की दावेदारी करने की सियासी ताकत नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भी कोई बड़ी सियासी दावेदारी करने की स्थिति में नहीं है। कुलदीप बिश्नोई ने 2022 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और अब पार्टी ने कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई को चुनाव मैदान में उतारा है।
कुलदीप बिश्नोई को एक समय हरियाणा की सियासत में ताकतवर माना जाता था मगर 2007 में उन्होंने कांग्रेस से अपना रास्ता अलग कर लिया था। दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाए जाने पर नाराजगी में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद वे अपनी सियासी मजबूती को स्थापित नहीं कर पाए।
किरण चौधरी की बेटी भी भाजपा के भरोसे
बंसीलाल का कुनबा भी भाजपा के साथ है। बंसीलाल की बेटी किरण चौधरी को भाजपा की ओर से राज्यसभा सदस्य बनाया जा चुका है जबकि किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। किरण चौधरी की भी हुड्डा से अदावत रही है और इसी कारण उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया था।
2014 के चुनाव के बाद बीजेपी हरियाणा की सियासत में काफी मजबूत हो गई और उसके बाद हरियाणा के तीन लालों देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल के कुनबे से जुड़े सदस्यों का जनाधार लगातार कमजोर होता गया।
अब देवीलाल का परिवार जरूर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में गुटा हुआ है जबकि भजनलाल और बंसीलाल के कुनबे के सदस्य भाजपा के सहारे सियासी कामयाबी हासिल करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।