TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Haryana Election 2024 : क्या हैं 36 बिरादरी, जिसकी सब कर रहे चर्चा

Haryana Election 2024 : चुनावी मौसम में, जब भी कोई उम्मीदवार किसी गाँव में जाता है, तो उसका “36 बिरादरी” की ओर से प्रमुख ग्रामीणों द्वारा स्वागत किया जाता है।

Neel Mani Lal
Published on: 24 Sep 2024 10:44 AM GMT
Haryana Election 2024 : क्या हैं 36 बिरादरी, जिसकी सब कर रहे चर्चा
X

Haryana Election 2024 : हरियाणा में चुनाव प्रचार जोरों पर है। चुनावी सभाओं में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बात पर जोर देते रहते हैं कि कांग्रेस "36 बिरादरियों की पार्टी" है और कांग्रेस को इन सभी का समर्थन प्राप्त है। भाजपा भी इसी तरह के दावे करती है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और पार्टी की घोषणापत्र समिति के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा था कि अगर पार्टी चुनावों में फिर से सत्ता में आती है तो हम 36 बिरादरियों के हितों की देखभाल के लिए एक कल्याण बोर्ड बनाएंगे।" यानी और सभी राजनीतिक दलों के नेता राज्य की सभी "36 बिरादरियों" के हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे हैं।

36 बिरादरी हैं क्या?

चुनावी मौसम में, जब भी कोई उम्मीदवार किसी गाँव में जाता है, तो उसका “36 बिरादरी” की ओर से प्रमुख ग्रामीणों द्वारा स्वागत किया जाता है। इस श्रेणी में आने वाली जातियों और समुदायों में ब्राह्मण, बनिया (अग्रवाल), जाट, गुर्जर, राजपूत, पंजाबी (हिंदू), सुनार, सैनी, अहीर, सैनी, रोर और कुम्हार शामिल हैं। अनुसूचित जातियों (एससी) में से लगभग आधी जातियाँ चमड़ा बनाने वाली जातियों से हैं।

हालांकि, कांग्रेस के छह बार के पूर्व विधायक और पूर्व राज्य वित्त मंत्री संपत सिंह कहते हैं कि "36 बिरादरी" सिर्फ़ एक मुहावरा है और वास्तव में 36 से ज़्यादा जातियाँ हैं। उनका कहना है कि 2016 में उन्होंने सभी जातियों के बीच भाईचारे को मज़बूत करने के लिए हिसार में अपने घर पर एक कार्यक्रम बुलाया था और इसमें लगभग 85 जातियों के सदस्यों ने भाग लिया था। उनका कहना है कि '36 बारादरी' का भाईचारा हरियाणा में एक बहुत ही आम शब्द है जिसका इस्तेमाल समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

दरअसल, 36 बिरादरी की अवधारणा पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संस्कृतियों में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है। बिरादरी सामाजिक रूप से, बिरादरी वैवाहिक संबंध बनाने, अंतर-जातीय विवादों को निपटाने और अन्य सामाजिक मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह अपने लोगों को सामाजिक सुरक्षा और पहचान और सम्मान की भावना भी प्रदान करती है। इसलिए, लोगों में अपनी बिरादरियों के साथ जुड़ाव और अपनेपन की गहरी भावना होती है।

36 नंबर ही क्यों?

जानकारों के अनुसार, अजमेर-मेरवाड़ गजेटियर (1951) में 37 जातियों के अस्तित्व का उल्लेख है, लेकिन 36 का नहीं। प्रारंभिक मध्ययुगीन फ़ारसी लेखन और यात्रा वृत्तांत उत्तर भारत में 36 बिरादरियों (कुलों या राज्यों) के अस्तित्व का उल्लेख करते हैं। इसी तरह, राजपूताना के एक प्रसिद्ध इतिहासकार, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड ने 36 राजवंशों या राज्यों का उल्लेख किया है।

हरियाणा में एक और शब्द “खाप 84” है जो 84 गांवों की खाप पंचायत को संदर्भित करता है, लेकिन सभी खापों का योग 84 गांव नहीं होता है सो "36 बिरादरी" एक मुहावरा है जिसका इस्तेमाल प्रमुख समुदायों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है और इसका मतलब यह नहीं है कि वास्तव में 36 समुदाय हैं।

इतिहासकार कहते हैं कि महाराष्ट्र से भी ऐसा ही एक उदाहरण है जहाँ बारह व्यवसायों की एक प्रणाली को "बारा (12) बलुतेदार" कहा जाता है। इनमें पुजारी, ज्योतिषी, नाई, बढ़ई और कुम्हार शामिल हैं। इस फरवरी में राज्य के बजट में, महाराष्ट्र सरकार ने एक दर्जन से अधिक स्मारक बनाने, स्मारकों और तीर्थ स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ बलुतेदारों के लिए एक आर्थिक विकास निगम विकसित करने और स्थापित करने के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान करने की घोषणा की।

36 बिरादरी का राजनीतिक महत्व

राजनेता अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को दर्शाने के लिए इस मुहावरे का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कई लोग एक खास वोट बैंक तक पहुँचने के लिए अपने जाति समूहों के हितों को देखना पसंद करते हैं। इसी तरह, बड़ी संख्या में मतदाता भी अपनी जाति के उम्मीदवार को ही पसंद करते हैं। मुख्यधारा की पार्टियाँ जातिगत गणना को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार उतारती हैं। 5 अक्टूबर को होने वाले चुनावों के लिए भाजपा ने अन्य उम्मीदवारों के अलावा 21 ओबीसी, 17 जाट, 11 ब्राह्मण, 11 पंजाबी हिंदू, पांच बनिया और दो मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस की ओर से 26 जाट उम्मीदवार, 20 ओबीसी, 17 एससी, 11 सिख या पंजाबी हिंदू, छह ब्राह्मण, पांच मुस्लिम, दो वैश्य और एक राजपूत, बिश्नोई और रोर उम्मीदवार मैदान में हैं।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

Next Story