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हरियाणा ने बंद किये बाहरी कामगारों के रास्ते, लोकल को 75 फीसद आरक्षण
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हरियाणा के राज्यपाल ने आज निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले विधेयक को नौकरी चाहने वालों को दिया। सरकार जल्द ही इसे अधिसूचित करेगी।"
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने राज्य के नौकरी चाहने वालों को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है लेकिन असल सवाल ये है कि ये दांव मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए कितना फायदेमंद होगा या पहले से ही किसानों के विरोध की शिकार इस सरकार की मुश्किलें बढने जा रही हैं। हरियाणा विधानसभा ने पिछले साल इस विधेयक को पारित किया था। यह सत्तारूढ़ गठबंधन के साथी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी द्वारा किया गया एक प्रमुख चुनावी वादा था।
सरकार जल्द ही अधिसूचित करेगी
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हरियाणा के राज्यपाल ने आज निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले विधेयक को नौकरी चाहने वालों को दिया। सरकार जल्द ही इसे अधिसूचित करेगी।"
स्थानीय उम्मीदवारों के लिए हरियाणा राज्य रोजगार विधेयक, 2020 निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए कोटा प्रदान करता है जो प्रति माह 50,000 रुपये से कम का वेतन प्रदान करते हैं। विधेयक के मुताबिक यह कोटा शुरू में 10 वर्षों के लिए लागू होगा।
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इस कानून के जरिये खट्टर सरकार ने स्थानीय लोगों को साध कर बाहर से आने वाले प्रवासी कामगारों की आमद पर रोक लगाना चाहती है। सरकार का मानना है कि दूसरे राज्यों के लोगों के आने से स्थानीय बुनियादी ढांचे पर "महत्वपूर्ण प्रभाव" पड़ता है और "मलिन बस्तियों का प्रसार" होता है।
75 फीसदी आरक्षण देना जेजेपी का प्रमुख चुनावी वादा था
विधेयक में राज्य में निजी कंपनियों, समाजों, ट्रस्टों और साझेदारी फर्मों को शामिल किया गया है। यह योग्य स्थानीय उम्मीदवारों को प्रशिक्षण प्रदान करता है जब योग्य लोग उपलब्ध नहीं होते हैं। यह राज्य में स्थानीय लोगों को परिभाषित करता है। अधिवास स्थिति के लिए, एक व्यक्ति को हरियाणा में पैदा होना चाहिए या कम से कम 15 वर्षों तक वहां रहना चाहिए। निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण देना दुष्यंत चौटाला की जेजेपी द्वारा किया गया एक प्रमुख चुनावी वादा था, जो राज्य में भाजपा का गठबंधन है।
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खट्टर सरकार ने आंध्र प्रदेश की तर्ज पर राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी तक आरक्षण देने का ये ऐलान किया है। इसमें इस बात पर गौर नहीं किया गया है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों को इस कानून से क्या परेशानी हो सकती है।
जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से राज्य में उद्योगों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। खुद जजपा विधायक राम कुमार गौतम विधानसभा में इस बिल का पुरजोर विरोध कर चुके हैं। उनका कहना था कि यदि दूसरे राज्यों ने भी इसी तरह से आरक्षण व्यवस्था लागू कर दी तो इससे देश में काफी दिक्कत हो सकती है। विपक्षी विधायकों का भी मानना है कि ये बिल संविधान के अनुच्छेद 16 का उल्लंघन करता है।
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