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Hate Speech Cases A Report: 107 सांसदों- विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले, जरूर पढ़ें यह ख़ास रिपोर्ट
Hate Speech Cases A Report: एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कुल 107 मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं।
Hate Speech Cases A Report: एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कुल 107 मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं। इनमें से सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि बीजेपी से हैं। यह रिपोर्ट चुनावी सुधारों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सांसदों और विधायकों द्वारा उनके चुनावी हलफनामों में दी गई जानकारी के आधार पर बनाई है।
क्या क्या है रिपोर्ट में
रिपोर्ट के मुताबिक 33 मौजूदा सांसदों के खिलाफ इस तरह के आरोप हैं। इनमें से 22 सांसद बीजेपी के सदस्य हैं (66 प्रतिशत). दो सांसद कांग्रेस में हैं, एक-एक सांसद कई क्षेत्रीय पार्टियों में और एक निर्दलीय सांसद है।
- राज्यवार बात करें तो इनमें से सात सांसद उत्तर प्रदेश से, चार तमिलनाडु से, तीन बिहार, तीन कर्नाटक और तीन तेलंगाना से, दो असम, दो गुजरात, दो महाराष्ट्र और दो पश्चिम बंगाल से और एक झारखंड, एक मध्य प्रदेश, एक केरल, एक ओडिशा और एक पंजाब से हैं।
- पूरे देश में कुल 74 मौजूदा विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि बीजेपी के ही सदस्य हैं। इस सूची में बीजेपी के 20 विधायक (27 प्रतिशत), 13 कांग्रेस के, छह आम आदमी पार्टी के, पांच सपा और वाईएसआरसीपी के और बाकी अन्य पार्टियों के हैं।
- नौ विधायक बिहार से हैं, नौ उत्तर प्रदेश से, छह आंध्र प्रदेश से, छह महाराष्ट्र से, छह तेलंगाना से, पांच असम से, पांच तमिलनाडु से, चार दिल्ली से, चार गुजरात से, चार पश्चिम बंगाल से और बाकी अन्य राज्यों से हैं।
- बीते पांच सालों में इस तरह के कम से कम 480 उम्मीदवारों ने संसद और विधानसभाओं के चुनावों में हिस्सा लिया है, यानी पार्टियां काफी बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को टिकट देती हैं।
क्या है हेट स्पीच
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है कि विधि आयोग ने मार्च, 2017 में जारी की गई अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में किसी भी कानून में हेट स्पीच की परिभाषा नहीं दी गई है। लेकिन आयोग ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया है कि कई कानूनों के प्रावधानों में हेट स्पीच की बात जरूर की गई है। इनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराएं 153ए, 153बी, 295ए, 298, 505(1) और (2) शामिल हैं. इनके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 8, सेक्शन 123(3ए) और सेक्शन 125 भी नफरती भाषण से जुड़े हुए प्रावधान हैं।
विधि आयोग की सिफारिश
एडीआर के मुताबिक विधि आयोग ने अनुशंसा की है कि जनप्रतिनिधियों को नफरती भाषण देने से दूर रखने के लिए कई कदम उठाए जाने के जरूरत है। जैसे चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता में बदलाव लाया जाना चाहिए और आईपीसी में नए प्रावधान लाये जाने चाहिए। इसके अलावा राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को टिकट नहीं देना चाहिए। जो हेट स्पीच के दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए और अदालतों में ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक करवा देना चाहिए ताकि फैसला जल्द आये।
आंकड़ों में नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित घोषित मामलों वाले सांसदों/विधायकों की संख्या-
बीजेपी - 42
कांग्रेस - 15
आप – 7
द्रमुक - 5
सपा - 5
वाईएसआरसीपी - 5
राजद - 4
एआईटीसी - 3
एआईयूडीएफ - 3
स्वतंत्र - 3
एसएचएस - 3
एआईएमआईएम - 2
सीपीआई (एम) - 1
एमडीएमके - 1
राकांपा - 1
पट्टाली मक्कल काची - 1
शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) - 1
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी - 1
तेदेपा - 1
टिपरा मोथा पार्टी - 1
टीआरएस - 1
विदुथलाई चिरुथिगल काची - 1
कुल – 107