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Patanjali Case: भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, कार्रवाई के लिए रहें तैयार

Patanjali Misleading Ads Case: बीती सुनवाई में कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि पंतजलि ने बिना शर्त के कोर्ट से माफी मांग ली थी।

Viren Singh
Published on: 2 April 2024 10:28 AM IST (Updated on: 2 April 2024 12:16 PM IST)
Patanjali Misleading Ads Case
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Patanjali Misleading Ads Case (सोशल मीडिया)  

Patanjali Misleading Ads Case: पंतजलि ग्रुप की एक कंपनी द्वारा भ्रामक विज्ञापन के मामले पर मंगलवार को बाबा रामदेव और ग्रुप के एमडी आचार्य बालकृष्ण पेशी के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने पंतजलि कंपनी और बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। आपके खेद जताने के तरीके को हम मंजूर नहीं कर सकते। 21 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद भी अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की गई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहे थे, पर रामदेव की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट से कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा, पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। हालांकि उसके बाद भी कोर्ट का रुख नरम नहीं हुआ और कहा कि आप परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाएं।

अंडरटेकिंग देने के बाद भी किया उलंघन, परिणाम भुगतने होंगे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी माफी पर्याप्त नहीं है, क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छाप रहा था। आपने ऐसा क्यों किया, जबकि आपका मीडिया विभाग आपके अगल नहीं है? आपको नवंबर में चेताया गया था, इसके बावजूद आपने प्रेस कॉफ्रेंस की, इसलिए आप कार्रवाई के लिए तैयार रहिए। ये देश की सबसे बड़ी अदालत है। आपने एक्ट का उल्लंघन कैसे किया ? आपने कोर्ट को अंडरटेकिंग देने के बाद भी उलंघन किया तो आप परिणाम के लिए तैयार हो जाएं।

पतंजलि ने कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी

बीती सुनवाई में कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि हमारे नोटिस के बावजूद पतंजलि ने अभी तक जवाब क्यों नहीं दाखिल किया। हालांकि उसके बाद पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण ने हलफनामा देकर माफी मांग ली थी।

आचार्य बालकृष्ण की ओर से कोर्ट में दायर माफी हलफनामे में कहा था कि हमारा मकसद सिर्फ देश के नागरिकों को अपने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हुए स्वस्थ जीवन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। बीते 27 फरवरी को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों तत्काल प्रभाव से रोक लगाई थी। कोर्ट ने पिछले साल ही भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया और टीवी और प्रिंट मीडिया में विज्ञापन जारी रखा, जिस पर कोर्ट ने कड़ा एक्शन लेते हुए कंपनी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करते हुए बाबा रामदेव और बालकृष्ण कोर्ट में पेश होने को कहा। साथ ही, 27 फरवरी की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई।

सरकार को भी लगी फटकार

कोर्ट ने केंद्र सरकार कहा कि अभी तक आपने इस भ्रामक विज्ञापन के मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की, आंखें क्यों बंद रखीं। कोर्ट ने यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को तत्काल इस पर कुछ एक्शन लेना होगा।

2022 में डाली गई थी कोर्ट में याचिका

पंतजलि आयुर्वेद के भ्रामक प्रचार के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 17 अगस्त, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली थी। इस याचिका में IMA ने कहा था कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया, जबकि खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। तभी से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है। यह मामला न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ के समक्ष लगा हुआ है।



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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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