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Wrestler Sexual Abuse Case: दिल्ली कोर्ट में महिला पहलवान यौन शोषण केस की सुनवाई, बृजभूषण सिंह पर चार्ज फ्रेम करने पर आएगा फैसला
Wrestler Sexual Abuse Case: बीजेपी सांसद और कुश्ती संघ के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीस सिंह जसपाल की अदालत ने 20 जुलाई को जमानत दी थी। जिसके बाद से इस मामले की सुनवाई जारी है।
Wrestler Sexual Abuse Case: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में महिला पहलवानों के यौन शोषण केस की सुनवाई चल रही है। मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्व कुश्ती संघ प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर चार्ज फ्रेम करने पर बहस हो रही है। इस दौरान सिंह भी कोर्ट में मौजूद हैं। बीजेपी सांसद और कुश्ती संघ के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीस सिंह जसपाल की अदालत ने 20 जुलाई को जमानत दी थी। जिसके बाद से इस मामले की सुनवाई जारी है।
15 जून को दायर हुआ था आरोप
दिल्ली पुलिस की एसआईटी ने महिला पहलवानों के आरोपों की जांच कर 15 जून को कोर्ट में चार्जशीट पेश किया था। जिसमें कुश्ती संघ प्रमुख बृजभूषण सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया हमला), धारा 354ए (यौन उत्पीड़न), धारा 354डी (पीछा करना) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) जैसी धाराएं लगी हैं।
बृजभूषण पर क्या हैं आरोप ?
महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ के पूर्व प्रमुख और छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर पद पर रहने के दौरान यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए हैं। महिला पहलवानों के आरोप निम्नलिखित हैं –
- फोटो खिंचवाने के बहाने कंधे पर हाथ रखा, कंधा पकड़ा, ट्रायल के बहाने धमकाया
- गोल्ड मेडल जीतने कमरे में बुलाया, जबरन गले लगाया, सप्लीमेंट के बदले सेक्सुअल फेवर मांगा।
- सांस चेक करने के बहाने छाती-पेट पर हाथ रखा, मैच हारने पर बहाने से कसकर गले लगाया।
- सांस चेक करने के बहाने छुआ, इलाज खर्च के बहाने सेक्सुअल फेवर मांगा।
- फोटो खिंचवाने का विरोध किया तो धमकी दी कि तुम्हें कंपीटिशन नहीं खेलना क्या ?
बता दें कि 18 जनवरी को जंतर-मंतर पर देश के दिग्गज पहलवानों में शुमार साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने धरना शुरू किया और तत्कालीन कुश्ती संघ प्रमुख बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया। 21 जनवरी को सरकार से बातचीत के बाद धरना खत्म हुआ। 23 अप्रैल को अपनी मांगों को लेकर पहलवान जंतर-मंतर पर एकबार फिर धरने पर बैठ गए। इस बार उनके आंदोलन का सियासी दलों के अलावा किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने भी समर्थन किया।