विदेशी नागरिकों की पहचान कर बाहर करने के आदेश से दहशत में रोहिंग्या

raghvendra
Published on: 18 Oct 2017 11:10 AM GMT
विदेशी नागरिकों की पहचान कर बाहर करने के आदेश से दहशत में रोहिंग्या
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कपिल भट्ट

जयपुर। अगली सुनवाई तक रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों को देश से बाहर भेजे जाने पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक इन लोगों के लिए थोड़ी राहत देने वाली भले ही लगे लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में रह रहे रोहिंग्या दहशत में हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें बाहर करने के आदेश के बाद राजस्थान भर में ऐसे विदेशी नागरिकों की पहचान करने का अभियान पुलिस ने छेड़ रखा है।

राजस्थान पुलिस के एक अधिकारी बताते हैं कि अभी पुलिस केवल अवैध रूप से राज्य में रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान का काम कर रही है जिनमें बड़ी संख्या में रह रहे बांग्लादेशी भी शामिल हैं।

इनको वापस कैसे भेजा जाएगा इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जयपुर में करीब 350 रोहिंग्या मुसलमान विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं। जबकि गैर आधिकारिक सूत्रों का मानना है कि जयपुर में इनकी तादाद करीब 1500 है। जयपुर में यह लोग मुहाना, हसनपुरा सहित स्लम के इलाकों में रह रहे हैं। रोहिंग्या लोग आमतौर पर मजदूरी करते हैं। बात करने पर ये कहते हैं कि - ‘हम चाहे मर जाएं लेकिन म्यांमार वापस नहीं जाएंगे।

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रामगंज पुराने जयपुर शहर में मुस्लिम बहुल आबादी वाला इलाका है। यहां पर 8-9 सितंबर को स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच हुई झड़प में एक व्यक्ति की मौत के बाद कफ्र्यू लगा दिया गया था। इस उपद्रव के दौरान एक विकलांग ई रिक्शाा चालक की भी मौत हो गई थी। जांच में पाया गया था कि संभवत: पिटाई के कारण उसकी मौत हुई। इसके बाद से अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया। जिसमें रामगंज के उपद्रव में रोहिंग्याओं की भूमिका की अफवाह भी जोरों से चली। इसके बाद से ही रोहिंग्या कुछ भी कहने से डर रहे हैं। ज्यादातर ने अपना पुराना ठिकाना भी बदल लिया है।

यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी के साथ रजिस्टर्ड रोहिंग्या नरूल अमीन, जो अब तक रोहिंग्या की बात को मजबूती के साथ उठाते रहे हैं? अब चुप्पी साधे हुए हैं। वह इस मुददे पर बोलने से साफ इंकार कर देते हैं। उन्होंने कहा कि आप अब तो केवल यूएन वालों से ही पूछो। उनकी बातों में मीडिया में चल रही अफवाहों पर गुस्से के साथ ही अपनी और अपने साथियों की असुरक्षा के प्रति भाव साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है।

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इधर पुुलिस भी रामगंज के उपद्रव में रोहिंग्याओं की किसी भी प्रकार की भूमिका से साफ इंकार कर रही है। जयपुर सिटी नॉर्थ के डीसीपी पुलिस सत्येंद्र सिंह ने पूछने पर ऐसी किसी भी बात से इंकार किया। उनका कहना था कि रामगंज की घटना में रोहिंग्यों का कोई हाथ नहीं था। इस इलाके में स्थानीय लोग ही रहते हैं। सिंह का कहना है कि उनके क्षेत्र में रोहिंग्याओं की किसी भी तरह की कोई मौजूदगी के प्रमाण नहीं मिले है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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