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उच्च न्यायालय ने दी आशुतोष महाराज के शव के संरक्षण की अनुमति
चंडीगढ़ : पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय की एक पीठ ने बुधवार को निर्देश दिया कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (डीजेजेएस) के प्रमुख आशुतोष महाराज के शव को संरक्षित करने की अनुमति दी जाए। डीजेजेएस प्रमुख को 20 जनवरी, 2014 को चिकित्सकों द्वारा 'मृत' घोषित कर दिया गया था। डीजेजेएस का मुख्यालय जालंधर के निकट नूरमहल में है। यह चंडीगढ़ से 175 किमी दूर है।
उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, चिकित्सकों का एक दल आशुतोष महाराज के शव की जांच करेगा। इसके लिए डीजेजेएस को 50 लाख रुपये जमा करने होंगे।
उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने दिसंबर 2014 में एक सदस्यीय पीठ के पूर्व के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें पंजाब सरकार को आशुतोष महाराज के शव का अंतिम संस्कार 15 दिनों में करने का निर्देश दिया गया था।
डीजेजेएस प्रबंधन ने उनके शव को बीते साढ़े तीन सालों से फ्रीजर में रखा है, और उनका दावा है कि डीजेजेएस प्रमुख 'समाधि' में चले गए हैं। किसी को भी उनके शव के परीक्षण की इजाजत नहीं दी गई थी और शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया था।
यह मामला दिलीप कुमार झा द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष 2014 में ले जाया गया। दिलीप ने दावा किया कि वह आशुतोष उर्फ महेश कुमार झा के पुत्र हैं और उन्हें अपने पिता के नश्वर अवशेषों को दिया जाना चाहिए।
खंडपीठ ने बुधवार को अपने दावे को साबित करने के लिए झा से एक अगल सिविल मुकदमा डीएनए परीक्षण के लिए दाखिल करने को कहा।
एक अन्य याचिकाकर्ता पूरण सिंह ने भी आशुतोष की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए अदालत से संपर्क किया। पूरण सिंह डीजेजेएस प्रमुख का पूर्व वाहन चालक होने का दावा करता है।
अपने पहले के आदेश में अदालत ने एक समिति जिला मजिस्ट्रेट के अधीन बनाने का निर्देश दिया था, जो यह तय करेगी कि डीजेजेएस प्रमुख का अंतिम संस्कार कैसे किया जाए।
डीजेजेएस के पास करोड़ों रुपयों की संपत्ति है और ऐसी खबरें भी रही हैं कि आशुतोष की मौत का रहस्य इन संपत्तियों पर नियंत्रण के अधिकार से जुड़ा है।
डीजेजेएस के पंजाब व पड़ोसी राज्यों में हजारों अनुयायी हैं।
आशुतोष महाराज के मृत होने के बावजूद पंजाब पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा बलों की तरफ से उनकी जेड-श्रेणी की सुरक्षा जारी है। उनके शव की सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल व पंजाब पुलिस के 25 से ज्यादा सशस्त्र कर्मी लगे हुए हैं।