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Patanjali: क्या पतंजलि के टूथपेस्ट में मांसाहारी तत्व हैं? हाई कोर्ट ने जांच रिपोर्ट मांगी

Patanjali: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर आयुष मंत्रालय से कहा है कि वह ऐसे मामलों के लिए गठित समिति दस सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशें दे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 7 Feb 2024 10:35 AM IST
Patanjali toothpaste
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Patanjali toothpaste   (photo: social media)

Patanjali: पतंजलि के टूथपेस्ट पर संदेह जताया गया है कि इसमें मांसाहारी तत्व मिले हुये हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस मामले में शिकायत दर्ज कराई गई है। हाई कोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए आयुष मंत्रालय से जांच कराने को कहा है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर आयुष मंत्रालय से कहा है कि वह ऐसे मामलों के लिए गठित समिति दस सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशें दे।

याचिका में मांसाहारी सामग्री वाले पतंजलि टूथपेस्ट के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है जिसे इसे शाकाहारी उत्पादों के लिए ग्रीन डॉट के तहत बेचा जा रहा है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि - पिछले साल अगस्त में, आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा एक समिति का गठन किया गया था, जो कि दवाओं के उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के मानदंड निर्धारित करेगी। इसे वेज, नॉनवेज या अधिक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया "समिति आज से 10 सप्ताह की अवधि के भीतर अपनी सिफारिशें देगी।

याचिकाकर्ता वकील यतिन शर्मा पतंजलि टूथपेस्ट में मांसाहारी सामग्री के कथित गैरकानूनी उपयोग को लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ शिकायत लेकर अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं। उनकी याचिका में तर्क दिया गया कि यह उत्पाद ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करता है अतः उक्त उत्पाद के भ्रामक और गलत तरीके से प्रस्तुत करने के खिलाफ कार्रवाई के लिए निर्देश दिया जाए।

सख्त कार्रवाई की मांग

उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धाराओं और प्रावधानों के तहत मामले की जांच करने और गुमराह करने, अनुचित प्रभाव डालने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, धोखा देने, गलत बयानी करने और अपने ग्राहकों को धोखा देने के लिए प्रतिवादी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की।

पिछले साल वह अपनी शिकायत लेकर आयुष मंत्रालय पहुंचे थे। इस पर मंत्रालय ने कहा था कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 के नियम 161 के लेबलिंग प्रावधान के तहत यह दिखाने के लिए किसी संकेत या चिह्न का उल्लेख करने का कोई प्रावधान नहीं है कि संबंधित उत्पाद में मांसाहारी उत्पाद हैं।

इसमें आगे कहा गया है कि सलाहकार बोर्ड ने पिछले साल 25 मई को हुई अपनी बैठक में दवाओं में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को वेज, नॉन वेज या अधिक श्रेणियों में वर्गीकृत करने के मानदंड निर्धारित करने के लिए एक समिति गठित करने की सिफारिश की थी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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