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Himachal News: पहली बार हुआ जब 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स के खाते में पहली तारीख को न सैलरी आई और न ही पेंशन
Himachal News:हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में लगभग 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है, जिसके कारण राज्य सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं।
Himachal News: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस समय आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है और इसका खामियाज राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स को भुगतना पड़ रहा है। इसी का नतीजा रहा कि राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को पहली तारीख को सैलरी और पेंशन उनके खाते में नहीं आई यानी नहीं मिल पाई। हिमाचल के आर्थिक संकट से गुजरने का असर कर्मचारियों और पेंशनर्स के जीवन पर पड़ रहा है। जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश पर इतना कर्ज
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपये का भारी कर्ज है और इस वित्तीय बोझ ने राज्य की वित्तीय स्थिति को बहुत ही कमजोर कर दिया है। जिसके कारण राज्य की कांग्रेस सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। राज्य सरकार पर कर्मचारियों और पेंशनर्स के लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं। वहीं इस राशि का भुगतान न कर पाने की स्थिति में राज्य सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। वहीं लोगों को तीन सितंबर यानी मंगलवार को भी सैलरी-पेंशन न मिलने के आसार दिख रहे हैं।
वादे पड़ गए भारी!
बता दें कि, 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने राज्य की जनता से कई बड़े वादे किए थे। कांग्रेस के सरकार में आने के बाद इन वादों को पूरा करने के लिए इन पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है। राज्य सरकार के बजट का 40 प्रतिशत तो सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है। वहीं लगभग 20 प्रतिशत कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने किया था ये ऐलान
कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए बीते दिनों बड़ा फैसला लिया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से भी वेतन-भत्ता दो महीने के लिए छोड़ने की मांग रखी थी।
क्या कहे थे सीएम सुक्खू ने
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा था कि चूंकि इस समय प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वो दो महीने के लिए अपना और अपने मंत्रियों का वेतन-भत्ता छोड़ रहे हैं। विधायकों से मुख्यमंत्री ने कहा कि हो सके तो दो महीना एडजस्ट कर लीजिए। अभी वेतन-भत्ता मत लीजिए। आगे देख लीजिएगा।
बीजेपी पर लगाए थे आरोप
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते दिनों कहा था, हमें पिछली भाजपा सरकार द्वारा छोड़ा गया कर्ज विरासत में मिला है, जो राज्य को फाइनेंशियल इमरजेंसी में धकेलने के लिए जिम्मेदार है। हमने राजस्व प्राप्तियों में सुधार किया है। पिछली सरकार ने पांच साल में 665 करोड़ रुपये का आबकारी राजस्व एकत्र किया था और हमने सिर्फ एक साल में 485 करोड़ रुपये कमाए। हम इस पर काम कर रहे हैं और राज्य की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
-हिमाचल प्रदेश में 1,89,466 से अधिक पेंशनभोगी हैं, जिनके 2030-31 तक बढ़कर 2,38,827 होने की उम्मीद है।
- केंद्र सरकार ने कर्ज सीमा को 5 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया है, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकार जीडीपी का केवल 3.5 फीसदी कर्ज के रूप में जुटा पाएगी।