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नड्डा को नहीं जमाना हिमाचल में अड्डा, यूपी फार्मूले से खोजा जाएगा सीएम : सूत्र
शिमला : हिमाचल में तो बीजेपी ने शानदार वापसी की है। लेकिन सुजानपुर से बीजेपी मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को मिली अप्रत्याशित हार ने दिल्ली से लेकर प्रदेश बीजेपी में हलचल मचा कर रख दी है। नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए दिल्ली से शिमला तक मंथन चल रहा है। हालांकि धूमल की हार के बाद केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की मजबूत दावेदारी की चर्चा थी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक नड्डा सीएम बनने के लिए तैयार नहीं हैं।
सोमवार को जब नड्डा चुनाव परिणाम के बाद पत्रकारों से मुखातिब थे। उस समय वो सीएम के सवाल को अनसुना कर गए थे। सूत्रों के मुताबिक उन्हें भी लगता है कि जब धूमल जैसा बड़ा व जनप्रिय नेता चुनाव हार सकता है, तो मै कैसे चुनाव जीत सकता हूं। यदि पार्टी के दबाव में हां कर भी दी तो सांसदी भी जाएगी और सम्मान भी।
वहीं पार्टी सूत्र भी कहते हैं कि आलाकमान किसी ब्राहम्ण नेता को सीएम के पद पर बैठाने से कतरा रहे हैं। क्योंकि उसे लगता है कि ऐसा करने से राजपूतों में नाराजगी पैदा होगी। जो 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए सही नहीं है। यहां एक पेंच ये भी है कि राज्य में कोई बैक डोर इंट्री नहीं हो सकती। ऐसे में धूमल को बीजेपी वहां से लाकर सीएम नहीं बना सकती। एक रास्ता ये हो सकता है कि धूमल को 6 महीने के लिए सीएम बना दिया जाए लेकिन इससे बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगेगा और विरोधी इसे चुनावों में बड़ा मुद्दा बना लेंगे।
इन सबके बीच बीजेपी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश में विधायक दल की मीटिंग कर सीएम चुनने की जिम्मेदारी सौंप दी है। ये दोनों नेता नवनिर्वाचित विधायकों, पार्टी प्रभारी और राज्य पदाधिकारियों के साथ मंथन कर रिपोर्ट आलाकमान को सौपेंगे। इस रिपोर्ट को देखने के बाद ही पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
सूत्र कहते हैं कि पार्टी यहां यूपी वाले फार्मूले से सीएम का चेहरा खोजने वाली है। इसमें हफ्ते 10 दिन का समय भी लग सकता है।