शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की आपसी कलह दूर नहीं हो पा रही है। एक ओर भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को सत्ता से बेदखल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है तो दूसरी ओर प्रदेश सरकार व कांग्रेस संगठन के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुशील कुमार शिंदे आपसी कलह दूर करने की कोशिश में जुटे हुए हैं, मगर प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की बैठक में उनके सामने ही विधायक वार-पलटवार करते रहे।
बैठक में विधायकों के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। विधायकों ने वरिष्ठ मंत्रियों पर उनके चुनाव क्षेत्रों में दखल देने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि ऐसे माहौल में एकजुटता कहां से होगी। दूसरी ओर शिंदे ने स्पष्ट किया कि सरकार व संगठन में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा।
उन्होंने दावा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू के बीच सुलह हो गई है। सुक्खू हर सप्ताह वीरभद्र सिंह को कार्यों की रिपोर्ट सौंपकर चर्चा करेंगे।
विधायकों की बैठक में दिखा मतभेद
प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में पार्टी की कलह से हाईकमान भी परेशान है। शिंदे को कलह दूर करने के काम में लगाया गया है। शिंदे ने इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिया है मगर उनकी मौजूदगी में विधायक एक-दूसरे पर तीर चलाते रहे। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने भी कहा कि भाजपा को सरकार की महत्त्वपूर्ण सूचनाएं कैसे लीक होती हैं। यह सब नहीं होना चाहिए।
एक विधायक ने तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर ही हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें कुर्सी के कारण गुरूर हो गया है। वे पूरी तरह मनमर्जी चलाते हैं। सुक्खू ने भी जवाबी हमला बोला और कहा कि सभी विधायक पार्टी की वजह से ही जीतते हैं। सबको यह समझना चाहिए कि पार्टी सुप्रीम होती है। इसके बिना किसी का कोई महत्व नहीं।
कई विधायकों ने यह कहकर प्रतिक्रिया नहीं दी कि अब चुनावों के लिए ढाई-तीन माह का समय बचा है। ऐसे में बोलने का क्या मतलब है। बताया जाता है कि पीटरहाफ की घटना को लेकर वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स ने भी गुस्सा जाहिर किया। शिंदे ने सभी से मिलकर चलने की अपील की। सूत्रों के मुताबिक परिवहन मंत्री जीएस बाली बैठक में किसी बात को लेकर इतना नाराज हो गए कि बैठक से जाने लगे तो शिंदे ने उन्हें रोका।
झाड़ू लगाने के लिए नहीं हैं प्रदेश अध्यक्ष
इस बीच सीएम वीरभद्र सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू पर पलटवार करते हुए कहा है कि पार्टी में अनुशासन नहीं है। वीरभद्र ने सोलन की जनसभा में कहा कि अनुशासन लाना पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी है। वीरभद्र ने यहां तक कहा कि उन्हें झाड़ू मारने के लिए अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। मैं अकेला अपनी हिफाजत करना जानता हूं और करता रहूंगा। उन्होंने पार्टी संगठन पर गूंगे होने का आरोप लगाया। कहा कि ब्लॉक से लेकर प्रदेश स्तर तक के सभी पदाधिकारी फर्ज नहीं निभा रहे। भाजपा उन्हें अपना शत्रु मानती है और रोजाना राजनीतिक हमले कर रही है। पार्टी इन आरोपों पर चुप रहती है।
उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई तलवारों या बंदूकों से नहीं बल्कि रोजाना होने वाले राजनीतिक हमलों से हैं। ये ताकतें प्रदेश की कानून व्यवस्था और कांग्रेस का नाम बिगाडक़र सत्ता में आना चाहती है।
जमकर हुई नारेबाजी
शिंदे के शिमला स्थित मुख्यालय पर पहुंचने के समय वहां जमकर नारेबाजी हो रही थी जिसे उन्होंने चुप कराया। शिंदे ने गाड़ी से उतरते ही कार्यकर्ताओं से कहा कि कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाएं। किसी व्यक्ति विशेष के समर्थन या विरोध में नारेबाजी न की जाए। शिंदे के स्वागत के लिए सुक्खू गेट पर पहुंचे तो जोरदार नारेबाजी हो रही थी। शिंदे के सभागार में पहुंचने के बाद कार्यकर्ताओं ने फिर नारेबाजी शुरू कर दी।
कार्यकताओं ने नारे लगाए कि वीरभद्र सातवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे। इस पर मुख्यमंत्री ने भी नाराजगी जताई और कहा कि बैठकों व कार्यालय में इस तरह की नारेबाजी नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने नारे लगाने वालों को रोका मगर कोई चुप नहीं हुआ।