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हिमाचल : हे मां, माता जी ! प्रदेश के पहले CM के गांव को आज तक नहीं मिली सड़क
शिमला : हिमाचल प्रदेश के गठन से अभीतक तक जितनी भी सरकार बनी सभी ने विकास के दावे बढ़ चढ़ के किए। लेकिन आज तक उस व्यक्ति के गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई। जिसने प्रदेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। हम बात कर रहे हैं, सूबे के पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार की। बीजेपी हो या कांग्रेस किसी ने भी इस सड़क को बनाने में रूचि नहीं दिखाई।
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परमार के पुश्तैनी घर तक पहुंचने के लिए आज भी करीब आधा किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। परमार का गांव चन्हालग अपनी दुर्दशा पर आज भी आंसू बहा रहा है। वहीं दूसरे प्रदेशों के सीएम रहे नेताओं ने अपने गांव का ऐसा कायाकल्प किया कि वो शहरों को मात देते नजर आते हैं। यूपी जाकर आप वहां के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का गांव सैफई देख सकते हैं। जहां वो सभी सुविधा मौजूद है जो लखनऊ को भी नसीब नहीं।
परमार जयंती पर होते रहे हैं बोल बचन
हर साल 4 अगस्त को परमार जयंती पर प्रदेश भर में सरकारी आयोजन होते हैं। उनके नाम पर नेता लंबे बयान देते हैं। नाश्ता होता है और उसके बाद सब उन्हें भूल जाते हैं। 50 साल बीत गए लेकिन चन्हालग गांव से गुजरने वाली बनेठी, बागथन, राजगढ़, चंदोल सड़क आज भी कच्ची पक्की है।
कुछ हिस्से का डामरीकरण हुआ भी। लेकिन अब वहां भी सिर्फ गड्ढे नजर आते हैं। ये इलाका जिला सिरमौर में आता है। पूर्व सीएम के पोते चेतन कहते हैं कि चन्हालग उनके दादा की जन्मभूमि है। लेकिन सड़क का हाल बेहाल है।
कांग्रेस और बीजेपी के नेता सिर्फ एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते हैं। लेकिन इस सड़क की दुर्दशा के बारे में कोई ठोस वजह किसी के पास नहीं है।