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पाक में हिंदू लड़कियों पर इस कदर होता है जुल्म, पुलिस से भी नहीं मिलती कोई मदद
पाकिस्तान में हिंदू लड़कियां भारी खौफ में जिन्दगी बिता रही हैं। इन लड़कियों को हमेशा अपने अपहरण का डर समाए रहता है। अपहरण के बाद उन्हें धर्मांतरण कर जबरन
कराची: पाकिस्तान में हिंदू लड़कियां भारी खौफ में जिन्दगी बिता रही हैं। इन लड़कियों को हमेशा अपने अपहरण का डर समाए रहता है। अपहरण के बाद उन्हें धर्मांतरण कर जबरन शादी करने पर मजबूर कर दिया जाता है। पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के साथ ऐसी घटनाएं आम हैं। तमाम हिन्दू लड़कियों को इस तरह शादी करने पर मजबूर किया गया। इन घटनाओं के कारण ही हिंदू परिवार इतने भयभीत हो चुके हैं कि वे अपनी लड़कियों को घर से बाहर भेजने में डर महसूस करते हैं।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून में छपी एक खबर के मुताबिक हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि हिंदू माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल तक भेजने से कतरा रहे हैं। उन्हें डर समाए रहता है कि स्कूल आने-जाने में उनकी बेटी का अपहरण हो सकता है। अखबार के पूर्व संपादक अपने लेख में कहा कि सिंध प्रांत में हिंदुओं के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है उस पर सभी पाकिस्तानियों को शर्म आनी चाहिए।
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पुलिस व प्रशासन से भी नहीं मिलती मदद
सिद्दीकी का कहना है कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का जीवन काफी कठिन हो गया है। वे हमेशा अपने अपहरण को लेकर भयभीत रहती हैं। किसी मुस्लिम शख्स से हिंदू लडक़ी की शादी के लिए पहले उसका अपहरण किया जाता है और फिर जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इसके बाद उसका जीवन और कठिन हो जाता है क्योंकि उसे हमेशा घर के भीतर तमाम बंदिशों के बीच रखा जाता है। पाकिस्तान में यह सबकुछ धर्म के नाम पर किया जा रहा है। पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कमीशन की रिपोर्ट भी इस बाबत आंखें खोलने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर महीने करीब 20 से 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण कर जबरन उनका धर्म बदलवाया जाता है। इसमें पुलिसिया खेल भी होता है।
हिंदू परिवार पुलिस व प्रशासन के चक्कर लगाकर थक जाते हैं। यदि पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली तो दूसरी ओर से भी रिपोर्ट दर्ज करा दी जाती है। दूसरी ओर से दर्ज रिपोर्ट में जबरन धर्मांतरण की बात को झूठी बताते हुए स्वेच्छा से धर्म बदलने और परेशान करने का आरोप तक लगा दिया जाता है। यही कारण है कि तमाम मामलों की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी आखिरकार उन्हें बंद कर दिया गया और हिंदू लड़कियां मुसीबत भरी जिन्दगी जीने को मजबूर हो जाती हैं। बाद में उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं रहता। सुक्कुर के पास दरगाह भ्राचुंडी इस आपराधिक गतिविधि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पिछले तीन साल के दौरान डेढ़ सौ से ज्यादा हिंदू लड़कियों का यहां धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। इस दरगाह के मौजूदा पीर एमपीए मियां अब्दुल खालिक हैं।
दरगाह से बन जाता है धर्म परिवर्तन का सर्टिफिकेट
जब एक बार हिंदू लडक़ी का अपहरण कर लिया जाता है तो सबकुछ ड्रामा ही होता है। जहां लडक़ी का परिवार उसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए दौड़धूप करता है वहीं स्टेट मशीनरी अपहरणकर्ताओं के पक्ष में काम करती है। एफआईआर दर्ज कराने में ही परिवार के पसीने छूट जाते हैं। इसके पहले ही दरगार के पीर धर्म परिवर्तन का सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं और लडक़ी की शादी किसी मुस्लिम शख्स से हो चुकी होती है। इसलिए जब पुलिस इस जोड़े को कोर्ट में पेश करने के लिए उसके ठिकाने का पता लगाती है तब तक सभी वैधानिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी होती है। अपरहरणकर्ताओं के दबाव और अन्य सामाजिक समस्याओं से बचने के लिए तमाम हिंदू लड़कियां बयान दे देती हैं कि वे अपनी इच्छा से घर से भागकर आई हैं।
इससे कोर्ट के पास भी उन्हें अपहरकर्ताओं को सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। कोर्ट में इस कार्यवाही के दौरान नजारा बिल्कुल अलग होता है। धार्मिक पार्टियों के सैकड़ों समर्थक इस दौरान परिवार पर दबाव बनाने के लिए मौजूद होते हैं। इससे न्याय प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। सिद्दीकी ने सवाल खड़ा किया है कि आखिर हम कब तक इस तरह का नाटक करते रहेंगे? उन्होंने सिंध के पूर्व गवर्नर के उस कदम पर शर्मिंदगी जताई है कि जिसमें उन्होंने इससे जुड़े एक बिल को पुनर्विचार के लिए वापस भेजा है। सिंध असेंबली ने पिछले साल नवंबर में एक बिल पारित किया था। इस बिल के मुताबिक उस समय तक धर्म परिवर्तन को मान्यता नहीं दी जा सकती जब तक संबंधित व्यक्ति 18 साल का नहीं हो जाता।
सिंध में हो रही हैं ज्यादा घटनाएं
अपहरण और धर्म परिवर्तन की इन बढ़ती घटनाओं का सबसे ज्यादा असर ऊपरी सिंध इलाके में दिख रहा है। इस इलाके में हिंदू ज्यादा संख्या में हैं और मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। इस इलाके में हिंदुओं ने अपनी लड़कियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है। कोई गलती न होने पर भी इन लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलने नहीं दिया जाता क्योंकि उनके माता-पिता इस बात को लेकर भयभीत रहते हैं कि घर से बाहर निकलने पर इन लड़कियों का अपहरण हो सकता है। सरकार इस मामले को दूसरे नजरिये से देखती है और प्रांत के गवर्नर धार्मिक उग्रपंथियों से भयभीत दिखाई देते हैं।
सुप्रीमकोर्ट से स्वत: संज्ञान की अपील
इस हफ्ते पाकिस्तान हिंदू काउंसिल ने सुप्रीमकोर्ट से हिंदू लड़कियों के बढ़ते अपहरण, जबरन धर्मांतरण और नाबालिग हिंदू लड़कियों की मुस्लिमों से शादी के मामले में स्वत: संज्ञान लेने की अपील की है। सोलह साल की हिंदू लडक़ी रविता मेघवाध के परिवार ने आरोप लगाया था कि उसका अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और फिर उमरकोट में उसकी दोगुनी उम्र वाले मुस्लिम से उसकी शादी कर दी गयी। इस बाबत मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद पाकिस्तान हिंदू काउंसिल ने इस पर भी विचार किया।
काउंसिल के संरक्षक डा.रमेश कुमार वांकवानी ने कहा कि जिस इलाके से रविता का अपहरण किया गया वहां अभी भी स्थिति तनावपूर्ण है और उसके परिवार को घर छोडऩे के लिए मजबूर कर दिया गया है। उन्होंने मांग की कि रविता को इस मुसीबत से बाहर निकाला जाना चाहिए। जबरन धर्म परिवर्तन के एक और मामले का जिक्र करते हुए वांकवानी ने कहा कि 15 साल की गंगा नामक लडक़ी का कासिम हजाम नामक व्यक्ति ने अपहरण कर लिया। उसे बंदूक की नोंक पर धर्मपरिवर्तन और शादी के लिए मजबूर किया गया। इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों की दशा समझने के लिए काफी हैं। उन्हें मुसीबतों भरी जिन्दगी जीनी पड़ रही हैं और तमाम दबावों के कारण उनके परिवार भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। यह स्थिति बदले जाने की जरुरत है। लड़कियों को लेकर हिंदू परिवारों का भय खत्म किया जाना चाहिए।
खौफ में जी रहे हिंदू परिवार
सिंध असेम्बली में बिल पेश करने वाले नंदकुमार का कहना है कि यह बिल जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कोई किसी बालिग को उसकी इच्छा के अनुसार धर्म परिवर्तन से नहीं रोक सकता मगर पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन एकतरफा मामला है। हिंदू समुदाय के लोग जबरन धर्म परिवर्तन से होने वाले नुकसान को लेकर हमेशा भयभीत बने रहते हैं। हमें बताया गया है कि जमायत-ए-इस्लामी के प्रमुख मौलाना सिराजुल हक ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के को चेयरपर्सन आसिफ जरदारी को फोन करके कहा है कि इस बिल को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंकड़े इस बात के गवाह है कि हमारे समुदाय के खिलाफ लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों लियाकत अली खान, बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ के कार्यकाल में ज्यादा प्रतिगामी कदम उठाए गए जबकि सैन्य तानाशाहों के कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ।