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History of India Video: भारत के लुप्त खजाने, जिनके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया

India Mysterious Treasures: भारत में ऐसे कई खजाने हैं, जिनकी तलाश करनी अभी भी बाकी है। ख़ज़ाना सुन कर हर किसी की शायद नियत डोल सकती है।

Akshita Pidiha
Published on: 10 May 2023 3:14 PM IST (Updated on: 11 May 2023 12:54 PM IST)

India Mysterious Treasures: एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया कहा जाता था, शायद यही वजह है कि विदेशी मुसलिम आक्राताओं व ब्रिटिश राज द्वारा ख़ज़ाना लूटे जाने के बाद भी भारत में अब भी ख़ज़ाने का रहस्य बरकरार है। यहां अन्ना धन के भंडार की कोई कमी नहीं थी। उस दौर के राजाओं की शानोशौकत के चर्चे दुनिया में थे। उनके पास भी बेशुमार दौलत के भंडार थे। यही कारण था कि यही दौलत दुनिया भर के बाहरी हमलावरों को भी अपनी ओर खींचती थी। बार बार आक्रांताओं को भारत की तरफ आते थे लूटने के लिए। भारत पर 800 साल तक मुगलों ओर 200 साल तक अग्रेजों द्वारा राज किया गया तथा काफी लूटकर धन विदेशो में ले गए।

इसके बाद भी इस भारतभूमि पर बहुत से ऐसे खजाने हैं, जिनका आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। उस समय राजा महाराजा द्वारा खजानों के लिए विशेष रूप से तहखानों की व्यवस्था की जाती थी। उनकी जानकारी सिर्फ राजपरिवारों को ही होती थी। उस दौर के राजा अपने खजानों को बचाने के लिए इनसे जुड़ी जानकारियां गुप्त रखते थे। उस दौरान कई क्रूर आक्रमणकारी भले ही राजाओं की सत्ता छीनने में कामयाब रहे। लेकिन वे कई छिपे हुए खजानों को हासिल नहीं कर सके। भारत में ऐसे कई खजाने हैं, जिनकी तलाश करनी अभी भी बाकी है। ख़ज़ाना सुन कर हर किसी की शायद नियत डोल सकती है। शायद इसी वजह से आज तक इस ख़ज़ाने को ढूँढने की कोशिश की गई पर सभी असफल रहे।

पद्मनाभ मंदिर का खजाना (Treasure of Padmanabha Temple)

भारत के केरल राज्य (Kerala) के तिरुवनंतपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी। जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इसके गर्भभाग में भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा शेषनाग पर शयनावस्था में विद्यमान है। वह पूरी दुनिया में सबसे अधिक अमीर हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर एक ऐसे इलाके में बना हुआ है, जहां कभी कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ। क्योंकि ज्यादातर आक्रमण भारत के पूर्वी और पश्चिमी सीमा कि तरफ से होते थे।

यह मंदिर उस समय चर्चा में आया। जब सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के ऊपर इसका भूमिगत कमरा खोला गया। 27 जून, 2011 यही वो तारीख थी जब तहखाने खोलने का काम शुरू किया गया। तो उसके अंदर 7 तिजोरिया थी उनमें से 6 तिजोरियां खोल दी और सरकारी कर्मचारियों की आंखों के सामने इतना खजाना दिखाई दिया कि कोई सोच भी नहीं सकता था। इतने सोने चांदी के जेवरात, हीरे, बर्तन और मूर्तियां और भी बहुत कुछ था। उस समय उस खजाने की कीमत 22 अरब डॉलर लगाई गई थी। बता दें कि अभी भी सातवाँ तहखाना खोलना बाकी है।

लोगों का मानना है कि इसमें उन सभी से भी ज्यादा खजाना इस तहखाने में है। पद्मनाभ मंदिर के सांतवे द्वार को खोलने व उसके खजाने को खोलने की बात होती है, तो एक भय व अनहोनी की कहानी सामने आ जाती है। क्योंकि मंदिर के सांतवें द्वार पर कोई ताला नहीं लगा है, ना ही कोई कुंड़ी लगी है। बल्कि सांपों के प्रतिबिंब ही इस द्वार की रक्षा करते हैं कहा जाता है कि इस दरवाजे को मंत्रों द्वारा ही खोला जा सकता है। इस तहखाने में जितना खजाना है वह इस पूरे खजाने से बड़ा है। सोचिए उस तहखाने से क्या निकलेगा। लेकिन इस सातवें तिजोरी का राज़ क्या है और इसे किस प्रकार खोला जा सकता है। आज तक किसी को नहीं पता चल पाया है।

चारमीनार सुरंग का खजाना (Charminar Tunnel Treasure)

ऐतिहासिक गोलकुंडा का किला और चारमीनार के बीच 15 फीट चौड़ी और 30 फीट ऊंची भूमिगत सुरंग है। इस सुरंग का निर्माण सुल्तान कुली कुतुबशाह ने करवाया था। माना जाता है कि शाही परिवार द्वारा अपने खजाने को छुपाने के लिए इस सुरंग का निर्माण करवाया गया था। यहीं सुल्तान कुतुब शाह ने अपना शाही खजाना रखवाया था। वैसे तो इस सुरंग को बनाने का मकसद मुश्किल समय में किले से चारमीनार तक पहुंचना था, परन्तु बाद में यहाँ गुप्त तहखाने बनवाए गए और सोने चांदी के सिक्कों सहित बहुमूल्य रत्न हीरे जवाहरात आदि जमा किये गए। निजाम मीर ओसमान अली ने 1936 में यह खजाना निकालने के लिए नक्शा बनाया था। लेकिन खुदाई नहीं की गई। अगर आज इस खजाने की फिर से खोजबीन की जाए तो शायद यह खजाना भारत को मिल सकता है। माना जाता है कि इस सुरंग में सुल्तान कुतुब शाह का खजाना मौजूद है।

नादिर शाह का खजाना (Treasure of Nader Shah)

नादिर शाह सन 1736 में ईरान के शासक हुआ करते थे। सन 1739 में उन्होंने 50,000 सैनिकों के साथ दिल्ली पर हमला किया। इस आक्रमण में दिल्ली में बहुत ज्यादा लोगों को मारा। काफी लूट मचाई। जब नादिरशाह दिल्ली को लूट कर वापस जा रहा था, तो उनके ही तंबू में उनके सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी। नादिरशाह के मरने के बाद यह खजाना अहमद शाह दुर्रानी के हक में चला गया। बाद में कुछ समय बाद अहमद शाह दुर्रानी की किसी बीमारी के कारण मौत हो गई। कहा जाता है कि उन्होंने वह खजाना मरने से पहले कहीं छुपा दिया था। इस खजाने के अंदर बहुत सारा कीमती समान था। बहुत सोना था। चांदी के जेवरात थे। जिसका आज तक किसी को कोई पता नहीं है।

मीर उस्मान अली का खजाना (Mir Osman Ali Treasure)

मीर उस्मान अली खान अपने समय के बहुत ही अमीर आदमी हुआ करते थे। वह हैदराबाद के निजाम हुआ करते थे। उस समय वह इतने बड़े राज्य पर शासन करते थे कि वह इंग्लैंड के बराबर था। टाइम मैगजीन ने 1937 में उनको दुनिया का सबसे अमीर आदमी बताया था। वह हैदराबाद में किंग कोठी पैलेस (King Kothi Palace) में रहते थे। उन्होंने उसे अपने रहने के लिए बहुत समय पहले बनवाया था। वह अपना सारा खजाना सारी धन दौलत उसी के नीचे अंडरग्राउंड कमरे में या तहखाने में रखते थे। जब 1933 में हैदराबाद भारत का हिस्सा बना। तो भारत सरकार ने उनका कुछ खजाना तो हासिल किया। पर कुछ ख़ज़ाने का आज तक नहीं पता चला है। कहा जाता है कि उनका खजाना इतना विशाल था कि आज के समय में उसकी कीमत करीब 33 बिलियन डॉलर होगी।

जहाज का खजाना (Treasure of the Grosvenor Ship)

Grosvenor ब्रिटिश ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा और अमीर जहाज था। इस जहाज के अंदर 14000 सोने की सिलिया 19 संदूक के अंदर सोना जेवरात भरे हुए थे। 2600000 सोने के सिक्के थे। यह जहाज चेन्नई से इंग्लैंड के लिए श्रीलंका के रास्ते रवाना हुआ था। लेकिन यह 1782 में दक्षिण अफ्रीका केपटाउन से 700 मील दूर समुंदर में डूब गया। कहा जाता है कि वह खजाना आज भी समुंदर के अंदर पड़ा हुआ है। एक मालवाहक की कीमत £ 75,000 थी। इस खजाने को ढूंढने की बहुत बड़ी कोशिश की जा चुकी है। लेकिन आज तक इसका कोई अता पता नहीं है कि यह समुंदर के किस हिस्से में पड़ा हुआ है।

बिहार का सोन भंडार (Bihar Gold Reserves)

बिहार के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल राजगीर में सोन भंडार स्थित है। माना जाता है कि सोन भंडार की गुफाओं में रहस्यमयी खजाना है। सोन भंडार की गुफा में एक रहस्यमयी दरवाजा है। इस दरवाजे को हजारों कोशिशों के बाद भी आजतक कोई भी खोल नहीं पाया है। इस दरवाजे को कई बार खोलने की कोशिश हुई, लेकिन हर बार नाकामी हाथ लगी। इस गुफा के दरवाजे पर रखे पत्थर पर शंख लिपि में कुछ लिखा हुआ है। जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ पाया। लोगों का मानना है कि इसमें खजाने के दरवाजे को खोलने के बारे में बताया गया है। अगर इसको कोई पढ़ लेता है, तो खजाने तक पहुंचा जा सकता है।

जयगढ़ किले का खजाना (Treasure of Jaigarh Fort)

जयगढ़ का किला राजस्थान में स्थित है। मानसिंह प्रथम अकबर का सेनापति था। मान सिंह ने 1580 में अफगानिस्तान को जीत लिया था और मुहम्मद गजनी के खजाने को भारत लाया था। वह टनों सोना-चांदी भी लूटकर अपने साथ लाया। कहा जाता है कि यह संपत्ति उन्होंने मुगल सल्तनत के हवाले न करके जयगढ़ के किले में छिपा दी थी। अरबी भाषा की एक पुरानी किताब हफ्त तिलिस्मत-ए-अंबेरी (अंबेर के सात खजाने) में भी इस बात का जिक्र है कि किले में अकूत सोना-चांदी छिपा हुआ है। जयगढ़ किले के नीचे पानी की सात विशालकाय टंकियां बनी हैं, माना जाता है कि खजाना इन्हीं में था। कहा तो यह भी जाता है कि 1976 में देश में आपातकाल के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इस खजाने की खोज में 6 महीने तक किले के अन्दर खुदाई करायी और सेना को भी इस काम में लगाया और अधिकारिक रूप से घोषणा की गयी कि सरकार को इस खुदाई में कुछ भी नहीं मिला।

जहांगीर का खजाना (Jahangir Treasure)

राजस्थान के अलवर में मुगल बादशाह जहांगीर का खजाना दबा होने की बात कही जाती है। कहते हैं कि जहांगीर अपने निर्वसन के दौरान इस क्षेत्र में था। उसने यहीं के जंगलों में किसी गुप्त स्थान पर अपना खजाना दबा रखा था। राजा अपने खजाने को छिपाने के लिए बाकायदा बड़ी-बड़ी सुरंगें या तहखाने बनाते थे। कुछ तो लंबी-चौड़ी बावड़ियां बनाते थे। जिसमें पानी के बहुत अंदर जाने के बाद नीचे गुफा या सुरंगों का निर्माण करते थे, जहां वे सोना चांदी और हीरे जेवरात रखते थे और फिर बाहर से उस सुरंग को बाद कर देते थे। आज भी ऐसी कई बावड़ियां हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता।

कमरुनाग झील का खजाना (Treasure of Kamrunag Lake)

हिमाचल प्रदेश के मंडी से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है कमरुनाग झील। स्थानीय लोग इस झील को पवित्र मानते हैं। उनका भरोसा है कि इस झील का अंत पाताल में होता है। ऐसी मान्यता है कि झील में गहने अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती है। दूर दूर से लोग आकर गहने झील में डालते हैं और मनोकामना मांगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह झील महाभारत कालीन है। यहां एक मंदिर है जो लकड़ी का बना है। इसमें कमरुनाग की एक पुरानी मूर्ति भी रखी है। सदियों से इस झील में गहने और रुपये आदि चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। यह तो साफ है कि झाल की तलहटी में खजाना जना है। लेकिन कितना ये कोई नहीं जानता।



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Akshita Pidiha

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