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Holi 2023: होली रबी फसल और ऋतु परिवर्तन का पर्व

Holi 2023: परंपरागत रूप से होलिका दहन के समय गेहूं की बालिया और गन्ना होलिका दहन में डाले जाते हैं जो प्रतीकात्मक रूप से फसलों के पकने को इंगित करता है |

Vertika Sonakia
Published on: 8 March 2023 5:00 AM IST (Updated on: 8 March 2023 4:16 PM IST)
Holi Festival Of Rabi Crops And Season Change
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Holi Festival Of Rabi Crops And Season Change (Social Media)

Holi 2023: होली पर्व से जुड़ी फसले: भारत एक कृषि प्रधान देश है | यहाँ अलग- अलग भूगोल और जलवायु के हिसाब से फसलें तैयार की जाती है |

किसी कवि ने ठीक ही लिखा है-

“ऋतुराज वसन्त विराज रहा, मनभावन है छवि छाज रहा।

बन-बागन में कुसुमावलि की, सुखदा सुषमा वह साज रहा।।

यव गेहुं चना सरसों अलसी, सब ही पक आज अनाज रहा।

यह देख मनोहर दृश्य सभी, अति हर्षित होय समाज रहा।।

उपलक्ष्य इसे करके जग में, शुभ होलक-उत्सव हैं करते।

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है | आज भारतीय पंचांग के अनुसार होलिका दहन सांय 6:12 से लेकर रात्रि 8:39 तक रहेगा| इस पर्व से कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं भी जुड़ी हुई है | किसानों के लिए इस पर्व का अत्यंत महत्त्व है | एक प्रमुख कारण यह है कि यह पर्व रबी की फसल से जुड़ा है |

परंपरागत रूप से होलिका दहन के समय गेहूं की बालिया और गन्ना होलिका दहन में डाले जाते हैं जो प्रतीकात्मक रूप से फसलों के पकने को इंगित करता है | हमें देवताओँ को जो भी अन्न देना होता है वह अग्नि देवता को यज्ञ द्वारा अर्पित कर देते है | इससे वह पदार्थ सभी देवी- देवताओं तक पहुंच जाता है | इसके बाद सभी परिवार जन वह अन्न ग्रहण करते है | भले ही होली के इस पर्व का इतिहास प्रह्लाद और होलिका के पौराणिक आख्यान से जोड़ा जाता है परंतु इसे भारत की कृषि संस्कृति से भी जोड़कर देखा जाना चाहिए |

“जब घर में दीपक जलाये जाते हैं, तो दीपावली

जब बाहर चौक में अग्नि जलाई जाती है, तो होली |”

यह रबी की फसलों के पकने और उनकी मड़ाई की शुरूआत का समय है| उत्तर भारत के विशाल मैदानी क्षेत्र के गांव में होली से ही फसलों की कटाई, मड़ाई, अनाजो का निकाला जाना और उनके भंडारण की प्रक्रिया प्रारंभ होती है इसलिए गांव में चने की फसल कटने से होरा, मठ्ठा खाने का रिवाज़ है |

यह एक ऐसा समय है जब लोगों को सर्दी से छुटकारा मिलता है ओर ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है | पैसे की तंगी से जूझ रहे किसानों की आँखों में नई फसल एक चमक भर देती है | गांव के लड़के लड़कियों के विवाह आयोजन भी होली उत्सव के होते ही तय होने लगते हैं | कहा गया है-

“अन्न और जल पृथ्वी के मुख्य दो पदार्थ है |”

फसल के पक जाने के पूर्व नयी फसल के स्वागत में फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा को देश भर में यह त्यौहार मनाया जाता है | सभी वृक्ष अपने पुराने पत्तों को छोड़कर नए पत्तों से मानो नया परिधान धारण कर श्रृंगार किये हुए इस पर्व पर प्रतीत होते है | इस प्रकार वनों में भी औषधियां उपलब्ध हो गई है जो रोग दूर करके सुख की प्राप्ति करवाती है |

“अब होली कल खेलों या परसों खेलो लेकिन धूमधाम से खेलो…

जरूर खेलों, गुलाल से,रंग से और पानी से खेलों |”



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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