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Holi 2023: त्योहार एक खुशी के तरीके अनेकः जानिए सभी प्रदेशों की होली परम्पराएं
Holi 2023: पंजाब में होली का त्योहार होला- मोहल्ला के नाम से प्रसिद्ध है। यह त्योहार आनंदपुर साहिब, रूपनगर में बड़े हर्षोल्लास से तीन दिनों तक मनाया जाता है।
Holi 2023: भारत देश में विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रीति- रिवाजों से होली मानाने की परंपरा है। जानिए सभी राज्यों की होली कैसे मनाई जाती है- होली के त्योहार पर रंग खेलने की परम्परा है। क्या बच्चे, क्या बड़े सभी होली के रंग में रंग जाते हैं। रंग के साथ-साथ होली पर गुझिया और भांग का भी खूब प्रचलन है।
पंजाब में होला- मोहल्ला
पंजाब में होली का त्योहार होला- मोहल्ला के नाम से प्रसिद्ध है। यह त्योहार आनंदपुर साहिब, रूपनगर में बड़े हर्षोल्लास से तीन दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान नृत्य, गायन और कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
उत्तराखंड की कुमाऊंनी होली
उत्तराखंड के कुमाऊंनी होली बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ लोग होली के एक हफ्ते पहले और बाद तक सभी के घरों में जाकर नृत्य, गायन कर धूमधाम से होली मनाते हैं।
ब्रज छेत्र, उत्तर प्रदेश की लट्ठमार और फूलों की होली
उत्तर प्रदेश की लट्ठमार और फूलों वाली होली पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। बरसाना वृंदावन और मथुरा में महिलाएं पुरुषों को लाठी से खूब जमकर पीटती हैं और पुरुष ढाल से अपना बचाव करते हैं। फूलों की होली में सभी एक दूसरे और ईश्वर पर फूल बरसाकर होली खेलते हैं।
उदयपुर और पुष्कर, राजस्थान की शाही होली
उदयपुर के मेवाड़ क्षेत्र और पुष्कर में शाही अंदाज से होली का आयोजन किया जाता है। यहाँ घोड़े और हाथी को सजा कर शाही जुलूस निकाला जाता है। एक पारंपरिक अलाव जलाने की भी प्रथा है। साथ ही होलिका के पुतले में आग लगाई जाती है।
गोवा का शिग्मों
गोवा के लोग होली पर शिग्मो कार्निवल फेस्टिवल उत्साह से मानते हैं। इस दौरान लोग सड़कों पर पारंपरिक गीत और नृत्य का आयोजन करते हैं, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
बिहार और झारखंड की होली
बिहार व झारखंड में होली को फाग या फगुआ के नाम से जाना जाता है। होली के दिन बिहारी भाषा में फाग गीत गाए जाते हैं जिसे फगुआ नाम से पुकारा जाता है। बिहार और झारखंड में कीचड़ की होली का भी चलन है। इसमें सब एक-दूसरे को उठाकर कीचड़ में फेंक देते हैं और खूब मौज मस्ती करते हैं।
बंगाल और उड़ीसा की होली
बंगाल और उड़ीसा में होली के डोल पूर्णिमा, डोलयात्रा या डोल उत्सव के नाम से जाना जाता है। यहाँ की होली राधा-कृष्ण के प्रेम को समर्पित की जाती है जिसमें राधा-कृष्ण की मूर्ति को पालकी में बैठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है। सभी महिलाएं पालकी के आगे नृत्य और गायन पेश करती हैं साथ ही पीछे पुरुष रंग व गुलाल उड़ाते हैं।
गुजरात व महाराष्ट्र की होली
गुजरात के भील समाज की होली काफी प्रसिद्ध है। इसमें बांस में गुल व नारियल बांधकर महिलाएं इसके चारों ओर नृत्य पेश करती हैं। पुरुष महिलाओं से बचकर गुड़ और नारियल प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। गुल और नारियल प्राप्त करने के बाद सब धूमधाम से एक साथ होली मनाते हैं।
तमिलनाडु व कर्नाटक की होली
यहाँ होली को काम दिवस, कामादहन कामा विलास के नाम से जाना जाता है।
इन दोनों राज्यों में भगवान के द्वारा कामदेव को भस्म करने की स्मृति में मनाया जाता है।
“मथुरा की खुशबू, गोकुल का हार
वृंदावन की सुगन्ध, बरसाने की फुहार
राधा की उम्मीद, कान्हा का प्यार
मुबारक हो आप सभी को होली का त्योहार”।