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यहां खेली जाती है इत्र और गुलाब से होली
आम तौर पर होली रंग और गुलाल से खेली जाती है। लेकिन पंजाब के अमृतसर में यह होली इत्र, गुलाल और गुलाब से खेली जाती है। इस होली को देखने के लिए लोग देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं।
दुर्गेश पार्थ सारथी
अमृतसर: आम तौर पर होली रंग और गुलाल से खेली जाती है। लेकिन पंजाब के अमृतसर में यह होली इत्र, गुलाल और गुलाब से खेली जाती है। इस होली को देखने के लिए लोग देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं।
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गोल्डन टेंपल की होली
अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल (दरबार साहिब) में इत्र, गुलाब और गुलाल से होली खेली जाती है। यहां पर इसे होला मोहल्ला कहा जता है। होला मोहल्ला की शुरुआत श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने की थी। इनसे पहले के सिख गुरु होली मनाते थे एक दूसरे को गुलाल लगाते थे। होली के दिन स्वर्ण मंदिर में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी निकाली जाती है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को जीवित गुरु माना जाता है। इन गुरु साहिब पर संगत गुलाब की पंखुडि़यां वर्षाकर और इत्र गुलब जल छिड़क कर होली खेलते हैं। श्री दरबार सहिब की परिक्रमा में पालकी साहिब के पीछे-पीछे चल रहे भक्त एक दूसरे इत्र, गुलाबजल और गुलाल छिड़क कर होली खेलते हैं।
दुर्ग्याणा मंदिर की होली
अमृतसर की ही धरती पर स्थित है श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर। इस मंदिर को दुर्ग्याणा मंदिर भी कहा जाता है। पं: मदन मोहन मामलवीय की प्रेरणा से बने इस मंदिर की होली भी प्रसिद्ध है। यहां देश विदेश से लोग होली खेलने पहुंचते हैं। यहां पर भक्त ठाकुर जी के साथ फूल, गुलाल और इत्र से होली खेलते हैं। यहां पर मथुरा-वृंदावन की भांति भक्त एक दूसरे पर रंग और गुलाल भी डालते हैं और होली के पारंपरिक गीत गाए जाते हैं । मंदिर परिसर में लोग अपने बच्चों को राधा-कृष्ण के परिधानों में सजा कर लाते हैं और होली खेलते हैं। साथ ही पंजाब प्रसिद्ध लोक नृत्य भंगड़ा भी डाला जाता है। होली की इस उमंग में विदेशी सैलानी भी शामिल होते हैं।
शिवाला मंदिर, यहां दिखती भांग की मस्ती
यहां के प्रसिद्ध शिवाला मंदिर में भक्त भगवान शिव के साथ होली खेलते हैं। यहां रंग और भंग की मस्ती में होली की उमंग देखते ही बनता है। मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित शिवाला बाग भाइयां मंदिर में भक्त अबीर-गुलाल और रंगों के साथ होली खेलती हैं। यहां भांग की मस्ती में शिवभक्त एक दूसरे हो अबीर और गुलाल लगाते हैं और पारंपरिक होली के गीत गाते हुए मस्ती में झूमते और नाचते हैं।
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माता मंदिर की होली
रानी का बाग स्थित इस मंदिर में भक्त विभिन्न देवी देवताओं के साथ-साथ माता लाल देवी के साथ होली खेलते हैं। नाचते, गाते और और झूमते हैं। यह मंदिर माता वैष्णों की देवी की प्रकृति पर बना हुआ है। होली के दिन यहां खास तौर से भंडारा लगाया जाता है।
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