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पवित्र छड़ी यात्राः केवल छड़ी गई बद्रीधाम गर्भगृह में, 17 को हुई थी रवाना
महाभारत युद्व समाप्त होने पर पांडव यहां आए थे। पांडुकेश्वर में भगवान विष्णु की मूर्ति ध्यान की मुद्रा में है,इसलिए इस स्थान को योगधाम बद्री कहा जाता है। शीतकाल में भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद होने पर पांडुकेश्वर में ही भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन पूजा होती है।
हरिद्वार। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा गत 17 सितम्बर को हरिद्वार से प्रारम्भ की गयी श्रीपंच दशनाम जूना आनंद अखाड़ा की प्राचीन पवित्र छड़ी यात्रा सोमवार सबेरे बद्रीनाथ धाम दर्शना के लिए पहुची। छड़ी के प्रमुख महंत व जूना अखाड़े के अन्तर राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि के नेतृत्व में पवित्र छड़ी के साथ गए साधुओं के जत्थे को मन्दिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया,केवल पुरोहितों द्वारा पवित्र छड़ी को मन्दिर के गर्भगृह मेे ले जाया गया और भगवान बद्रीनाथ की पूजा अर्चना के पश्चात छड़ी को साधुओं को सौंप दिया गया।
उमा की पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद बंद है धाम
बताते चले कि गत दिनों पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती बद्रीनाथ धाम दर्शनों के लिए आयी थी,लेकिन उनकी कोरोना रिर्पोट पाॅजिटिव आने के कारण बद्रीनाथ धाम मन्दिर सेनेटाइज कर आम श्रद्वालुओं के लिए बंद कर दिया गया था। पवित्र छड़ी को माणा गांव से आगे व्यास गुफा व अन्य पौराणिक स्थलों पर भी प्रशासन ने नही जाने दिया।
श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बताया बद्रीनाथ से वापिसी में पवित्र छड़ी ने पाडुकेश्वर तीर्थ में पूजा अर्चना की तथा योग बद्री के दर्शन किए। पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख है कि पांडकेश्वर को पांडवों के पिता पांडू ने बसाया था तथा यही पर पांचो पांडव भाइयों का जन्म हुआ था तथा पांडू का निधन भी यही हुआ था।
महाभारत युद्व समाप्त होने पर पांडव यहां आए थे। पांडुकेश्वर में भगवान विष्णु की मूर्ति ध्यान की मुद्रा में है,इसलिए इस स्थान को योगधाम बद्री कहा जाता है। शीतकाल में भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद होने पर पांडुकेश्वर में ही भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन पूजा होती है।
इसके अतिरिक्त यहां कुबेर और भगवान विष्णु की उत्सव मूर्ति की भी शीतकाल में पूजा होती है।
ये कर रहे थे छड़ी का नेतृत्व
पांडकेश्वर में मन्दिर दर्शनों के पश्चात साधुओं के जत्थे जिसका नेतृत्व छड़ी महंत शिवदत्त गिरि,श्रीमहंत विश्वम्भर भारती,श्रीमहंत पुष्करराज गिरि,महादेवानंद गिरि,महंत परमानंद गिरि,महंत मोहनानंद गिरि,महंत पारसपुरी,महंत रूद्रानंद सरस्वती,महंत अमृतपुरी,महंत हरिओमपुरी,महंत मनोहर पुरी,महंत भावपुरी,महंत शिवपाल गिरि,महंत शांताकार गिरि,महंत राम गिरि,महंत नितिन गिरि आदि कर रहे थे।
पवित्र संगम विष्णु प्रयाग पहुचे,जहां अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम स्थल है। यहां स्थित प्राचीन विष्णु मन्दिर में पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की गयी तथा विष्णुकुण्ड में स्नान कराया गया। छड़ी प्रमुख श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया मार्ग खराब होने के कारण पवित्र छड़ी का गोविंद घाट घाघरिया तथा लक्ष्मणकुण्ड दर्शनों का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। अब पवित्र छड़ी रात्रि में जोशीमठ में ही विश्राम करेंगी।