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नेवी हनी ट्रैप : जांच का दायरा बढ़ा,13 गिरफ्तार, पाक के लिए जासूसी का आरोप

आंध्र प्रदेश पुलिस की ओर से शुरू हुई नेवी हनी ट्रैप केस की जांच का दायरा अब बढ़ गया है । कथित रूप से नेवी से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां सोशल मीडिया के सहारे दुश्मन देश के जासूसों तक पहुंचाते हुए अब तक 11 नौसैनिकों समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

suman
Published on: 16 Feb 2020 9:10 PM IST
नेवी हनी ट्रैप : जांच का दायरा बढ़ा,13 गिरफ्तार, पाक के लिए जासूसी का आरोप
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जयपुर : आंध्र प्रदेश पुलिस की ओर से शुरू हुई नेवी हनी ट्रैप केस की जांच का दायरा अब बढ़ गया है । कथित रूप से नेवी से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां सोशल मीडिया के सहारे दुश्मन देश के जासूसों तक पहुंचाते हुए अब तक 11 नौसैनिकों समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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नेवी ने नौसैनिकों के स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। नेवी से जुड़े सूत्रों की मानें तो जांच का दायरा अन्य संदिग्ध नौसैनिकों के सोशल मीडिया प्रोफाइल तक बढ़ा दिया गया है, जिनके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जुड़े लोगों के संपर्क में होने की आशंका है। बताया जा रहा है कि अब तक जिन नौसैनिकों को गिरफ्तार किया गया है, उनकी पोस्टिंग आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के अलावा कर्नाटक के कारवार और महाराष्ट्र के मुंबई बेस पर थी

बता दें कि सेना के लिए इस मामले की जांच आंध्र प्रदेश पुलिस, नेवल इंटेलिजेंस और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसियों के एक संयुक्त ऑपरेशन में नेवी के सात कर्मचारियों से शुरू हुई। यह सातों नौसैनिक कथित रूप से जासूसी में शामिल रहे हैं। आरोप है कि हनी ट्रैप में फंसने के बाद इन सभी ने नौसेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां लीक कर दी थी।

इस मामले के सामने आने के बाद नौसेना ने बीते दिसंबर में नौसैनिकों के स्मार्टफोन और फेसबुक जैसी सोशल साइट्स का उपयोग करने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया। नौसेना के सूत्रों ने बताया कि स्मार्ट फोन के उपयोग पर अचानक लगे प्रतिबंध के कारण नौसैनिकों के लिए अपने परिजनों से संपर्क करना और अन्य डिजिटल कार्यों को करना मुश्किल हो गया है।

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इन समस्याओं को देखते हुए अब नौसेना ने 2 जी कनेक्टिविटी वाले पुरानी प्रौद्योगिकी वाले मोबाइल फोन के उपयोग की अनुमति दे दी है। विशेषज्ञों को लगता है कि यह फोन सीमित उपयोग का है और इसे इंटरसेप्ट भी किया जा सकता है।

हालांकि, नेवी के सूत्रों ने कहा कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर पहचान उजागर करने को लेकर प्रतिबंध लंबे समय से मौजूद हैं। इन्हें बस सख्ती से लागू कराया जा रहा है। बता दें कि हनी ट्रैप के इस मामले के सामने आने के बाद गृह मंत्रालय ने इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी थी।

क्या है हनी ट्रैप

हनी ट्रैप किस बला का नाम है और इसके जरिए कैसे शिकार को जाल में फंसाया जाता है? हनी ट्रैप ठीक वैसे ही है जैसे कोई मक्खी शहद के लालच में उस पर बैठ जाती है और बाद में वह रस पीकर उड़ना चाहती है तो उड़ नहीं पाती है क्योंकि तब तक उसके पंखो पर शहद लग चुका होता है और वह उड़ नहीं पाती है, वह ट्रैप हो जाती है। उस दौरान न तो वह शहद पी पाती है और न ही वहां से उड़कर बाहर निकल पाती है।



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