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सदन में भी अंधविश्वास: प्रजातंत्र को शर्मसार करते विधायक
जयपुर: राजस्थान की विधानसभा में हाल ही में ऐसी घटना हुई जिससे प्रदेश को पूरे देश में उपहास का पात्र बनना पडा। इसकी वजह वे माननीय विधायक रहे जिन पर प्रदेश के प्रजातंत्र का जिम्मा है। सदस्यों की घोर रुढ़ीवादी सोच का नतीजा था कि जिस विधानसभा में अंधविश्वास को खत्म करने के कानून बनते हैं, उसी में भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं जैसी अंधविश्वास बढ़ाने वाली बातें हुईं। ये बातें खुद विधायकों ने शुरू की और इनमें सत्तारूढ़ भाजपा के भी सदस्य शामिल थे।
जांच कमेटी के गठन की मांग
इसके बाद यह अंधविश्वास सदन में गूंजने लगा। बात बढ़ती गई और कमेटी से भूत-प्रेतों की जांच कराने तक पहुंच गई। इस दौरान कभी ठहाके लगे तो कभी भूत-प्रेत की बातों को सिरे से खारिज भी किया गया,लेकिन बात यहीं नहीं रुकी। स्पीकर से मांग की गई कि वे कमेटी बनाकर जांच कराएं कि विधानसभा में कितने भूत हैं। खुद संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कह डाला कि मैं भूत-प्रेत की बातों को सिरे से खारिज करता हूं, लेकिन अध्यक्ष अगर चाहें तो जांच कमेटी बना सकते हैं। कमेटी जांच करे कि यहां कितने भूत-प्रेत और आत्माएं हैं। मेरे अलावा किसी को भी कमेटी का सदस्य बना सकते हैं।
आठ विधायकों की हो चुकी है मौत
राजस्थान विधानसभा को फरवरी 2001 में सवाई मानसिंह टाउन हॉल से नए विधानसभा भवन में शिफ्ट किया गया था। 25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन को इसका उद्घाटन करने आना था, लेकिन बीमार होने की वजह से वे नहीं आ सके और बिना उद्घाटन के ही विधानसभा शुरू हो गई। इसके बाद नवंबर 2001 में इसका उद्घाटन हुआ। तब से अब तक यहां आठ विधायकों की मौत हो चुकी है। इनमें किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखाभाई, भीमसेन चौधरी, रामसिंह बिश्नोई, अरुण सिंह, नाथूराम आहारी, कीर्ति कुमार और कल्याण सिंह चौहान शामिल हैं।
तांत्रिक तक को बुला लाए
हद तो तब हो गई जब सदन में मामला उठने के दो दिन बाद विधानसभा के अवकाश के दौरान भाजपा के कुछ सदस्य एक तांत्रिक को सदन में ले गए और वहां भूत-प्रेतात्माओं के होने की बाकायदा जांच करवाई। राजस्थान के विधायकों की इस सोच ने प्रजातंत्र को शर्मसार कर दिया है। जबकि इस बारे में जमीन के एक मालिक प्रेम बियानी का साफ कहना है कि विधानसभा में कोई भूत-प्रेत नहीं है। इसके पिछले हिस्से में श्मशान जरूर है। विधानसभा का मुख्य दरवाजा व मुख्य भवन तो हमारी जमीन पर बना हुआ है। उनका कहना है कि सरकार ने जमीन लेने के बाद आज तक मुआवजा नहीं दिया। अंधविश्वास फैलाने वाले विधायकों को सोचना चाहिए कि जिनकी चार-चार पीढ़ी बिना मुआवजे के धरती से चली गई उनकी आत्मा की शांति के लिए परिजनों को मुआवजा दिलवाएं। हम पिछले 53 साल से लड़ाई लड़ रहे हैं। 1964 में सरकार ने कई लोगों की 1700 एकड़ जमीन हासिल की थी। इसमें हमारी जमीन भी थी।
आत्माओं की शांति के लिए हवन की मांग
सरकारी मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर और नागौर से बीजेपी विधायक हबीबुर्रहमान अशरफी ने सदन से बाहर बात शुरू की। उनका कहना था कि विधानसभा में बुरी आत्माओं का साया है। तभी तो आज तक सदन में 200 विधायक एक साथ नहीं रहे। कभी किसी की मौत हो जाती है तो कभी किसी को जेल हो जाती है। जहां विधानसभा है, वहां पहले श्मशान था और मृत बच्चे दफनाए जाते थे। हो सकता है कि कोई आत्मा हो, जिसे शांति न मिली हो। वह नुकसान पहुंचा रही हो। इसीलिए आत्माओं की शांति के लिए हवन और पंडितों को भोजन कराने की जरुरत है। उनका कहना था कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री को भी बता चुके हैं। कई सुझाव भी दिए हैं। उल्लेखनीय है कि नाथद्वारा से बीजेपी के विधायक कल्याण सिंह के देहांत के एक दिन बाद ही बीजेपी विधायकों का यह बयान सामने आया।