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Election 2024: कम मतदान प्रतिशत से बिगड़ा पार्टियों का गणित, जानिए वोटिंग ट्रेंड का क्या है मतलब?
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में वोटिंग प्रतिशत कम रहा। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ कम वोटिंग ट्रेंड को कैसे देखते हैं। आइए, समझते हैं।
Lok Sabha Election 2024: आज यानी 26 अप्रैल को 88 सीटों पर लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल 2024 को 102 सीटों पर वोटिंग हुई। पहले चरण की वोटिंग में इस बार कम वोटिंग ट्रेंड को लेकर काफी चर्चा रही। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, जिस तरह से पहले चरण में उम्मीद से कम वोट पड़े हैं जिससे सभी पार्टियों का गणित बिगड़ गया है। हालांकि, अभी इस वोटिंग से कोई ठोस ट्रेंड निकालना मुश्किल है। साथ ही इस इनपुट से ओवरऑल वोटिंग का ट्रेंड भांपना भी सही नहीं है। बस यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कम वोटिंग प्रतिशत से किसे लाभ या किसे नुकसान होगा। पहले चरण की वोटिंग में लगभग 63% वोट पड़े जबकि इन्हीं 102 सीटों पर पिछले चुनाव में कुल 66.44% वोटिंग हुई थी।
पहले चरण में शहरी क्षेत्रों में कम हुई वोटिंग
पहले चरण के मतदान में वोटिंग प्रतिशत कम होने के बाद सभी राजनीतिक पार्टियों अपने बूथ मैनेजमेंट को तंदरुस्त करने में व्यस्त हो गई हैं। जानकारों के मुताबिक, जिन सीटों पर मुकाबला काफी नजदीक है वहां जो पार्टियां अपने वोटरों को बूथ तक भेजने में सफल हो पाएंगी, वे अधिक लाभ में रहेंगे। अब तक सामने आए आंकड़े के मुताबिक, पहले चरण के मतदान में शहरी क्षेत्रों में वोटिंग कम हुई। खासकर तमिलनाडु के शहरों में।
ज्यादा या कम वोटिंग के ये होते हैं मायने
बीजेपी का मानना है कि उनके वोटर्स काफी उत्साह से मतदान के लिए निकल रहे हैं। दूसरी तरफ विपक्षी दलों का भी कुछ ऐसा ही दावा है। सामान्य तौर जब बहुत अधिक वोटिंग होती है तो ऐसा माना जाता है कि यह परिवर्तन के लिए उमड़ी भीड़ है जबकि उदासीन वोट से यह संदेश जाता है कि वोटरों में बदलाव की कोई चाह नहीं है। इसे सत्ता पक्ष अपने लिए उम्मीद के रूप में देखती है। हालांकि, यह बात भी हाल के कई चुनावों के दौरान गलत साबित हुआ है। पिछले चुनाव में भी पहले दो चरणों में वोटिंग का ट्रेंड कम दिखा था, लेकिन बाद में बाकी बचे चरणों में वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई थी।
कम मार्जिन वाले सीटों पर बिगड़ सकता है गणित
2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 75 ऐसी सीटें थीं, जहां कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। इन सीटों पर जीत-हार का अंतर महज 20 हजार से भी कम वोटों का था। अगर इस बार आगे के चरणों में भी कम वोटिंग होती है तो ऐसी सीटों पर बहुत असर पड़ेगा और परिणाम इधर से उधर हो सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में परिणाम इसी बात पर निर्भर करता है कि किस पार्टी ने अपने वोटर्स को बूथ तक लाने में अधिक मेहतन की।
पहले चरण में वोटिंग का ऐसा रहा हाल
- सिर्फ छत्तीसगढ़ में पहले के मुकाबले अधिक वोटिंग हुई
- उत्तर प्रदेश में लगभग 7% वोटिंग कम हुई
- बिहार, मध्य प्रदेश में भी 2019 के मुकाबले 6% तक वोटिंग कम हुई
- पश्चिम बंगाल में 4% वोट कम हुई