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बेटियों के लिए झारखंड में मानव तस्करी से लड़ने का हथियार बनी हॉकी
दिल्ली या मुंबई के एसी वाले कमरों में बैठे किसी युवक या युवती से आप कहिए कि उसे झारखंड जाना है। तो वो ना सिर्फ इंकार करेगा बल्कि ऐसा भी हो सकता है वो आप से रिश्ते ही समाप्त कर दे। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस राज्य की छवि नक्सलवाद और मानव तस्करी के चलते बदनाम हो चुकी है।
रांची : दिल्ली या मुंबई के एसी वाले कमरों में बैठे किसी युवक या युवती से आप कहिए कि उसे झारखंड जाना है। तो वो ना सिर्फ इंकार करेगा बल्कि ऐसा भी हो सकता है वो आप से रिश्ते ही समाप्त कर दे। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस राज्य की छवि नक्सलवाद और मानव तस्करी के चलते बदनाम हो चुकी है। लेकिन अब इसी छवि को आदिवासी लड़कियां हॉकी स्टिक के दम पर बदलने को उतारू हैं। इसमें उनका साथ दे रही है मानव तस्करों के खिलाफ काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था शक्ति वाहिनी और अमेरिकी काउंसलेट।
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हॉकी बना गया मिशन
शक्ति वाहिनी और अमेरिकी काउंसलेट मिलकर हॉकी में रुचि रखने वाली लड़कियों को अपने साथ जोड़कर बेहतर प्रशिक्षण व संसाधन मुहैया करा रहे हैं। इतना ही नहीं लड़कियों को मानव तस्करों के खिलाफ भी जागरूक किया जाता है। हिंदी और अंग्रेजी सिखाई जा रही है। आर्थिक सहायता भी की जा रही है।
106 लड़कियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
रांची स्थित दक्षिण पूर्व रेलवे के एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में 106 लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हॉकी शिविर में अमेरिका के दो प्रशिक्षक व तीन एथलीट प्रशिक्षण के लिए मौजूद हैं। लड़कियां जहां सुबह व शाम अभ्यास करती हैं। इसके साथ ही इन्हें यहीं पढ़ाया भी जाता है। लड़कियों की प्रतिभा देख अमेरिकी सेंटर के उप निदेशक जे ट्रेलोर भी रोमांचित हैं। उनका कहना है कि इन खिलाड़ियों में से कम से कम दो दर्जन ऐसी हैं, जो राज्य टीम में भी जगह पा सकती हैं।
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सबका मिल रहा सहयोग
शिविर में अधिकतर लड़कियां नक्सल प्रभावित जिलों की हैं। पहले फेज में 6 जिलों से लड़कियों का चयन किया गया। अब ये आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा दूसरे जिलों में। इस मुहिम को पुलिस प्रशासन व दक्षिण पूर्व रेलवे का भरपूर सहयोग मिला। रेलवे ने अपना स्टेडियम दिया है वहीं लड़कियों के चयन में सभी थानों की पुलिस सहयोग और स्थान के साथ सुरक्षा मुहैया कराती है।
शक्ति वाहनी के अध्यक्ष रविकांत कहते हैं, हर वर्ष झारखंड से औसत पांच सौ लड़कियों को मानव तस्करों से छुड़ा घर वापस भेजते हैं। हॉकी से इन्हें जोड़ कर हम इन्हें सजग कर रहे हैं। खाली समय में मैदान पर जाने से इनकी प्रतिभा भी निखर रही है।
वहीं अमेरिकन सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर जेए ट्रेलोर कहते हैं, हॉकी से इनके लगाव के चलते हम इन्हें अपने साथ जोड़ने में और जागरूक करने में कामयाब हो रहे हैं। खेल के साथ उन्हें शिक्षित भी किया जा रहा है। हम इन्हें इस तरह तैयार कर रहे हैं कि वे मानव तस्करों के चंगुल में न फंसने पाएं और बेहतर भविष्य के लिए तत्पर रहें।