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नीतीश बोले- शरद यादव कुछ भी करने को हैं स्वतंत्र, मुझे नहीं परवाह
नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री काफी अंतराल के बाद संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में नमूदार हुए। बिहार में लालू प्रसाद से नाता तोड़ने और भाजपा के साथ नई पारी शुरू करने के बाद उनके इस अप्रत्याशित कदम पर सवालों की झड़ी दिख रही। संसद के केंद्रीय कक्ष में जब नीतीश करीब घंटे भर बैठे तो बिहार में इन दिनों शरद यादव के बगावती सुरों से घुमड़ रहे सवाल उनका पीछा नहीं छोड़ रहे। कुछ चुनिंदा वरिष्ठ पत्रकारों से उनकी अनौपचारिक बातचीत का सिलसिला कुछ ऐसे चला-
सवाल: शरद यादव बिहार में व्यापक जनसंपर्क पर निकलकर आप पर महागठबंधन तोड़कर जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहे हैं?
उत्तर: शरद जी को जो कुछ कहना है वे पूरी तरह स्वतंत्र हैं। वे जनसंपर्क करें हमें इस पर क्यों ऐतराज होगा। जनता दल यू का कोई कार्यकर्ता उनके साथ नहीं है। जो इक्का दुक्का लोग उनके आगे पीछे घूम रहे हैं, उस पर हमें खुशी है कि वे उनके साथ चले गए।
सवाल: लेकिन शरद यादव इस बात को प्रमुखता से उठा रहे हैं कि 2015 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग घोषणापत्रो पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले एक साथ मिलकर कैसे सरकार बना सकते हैं?
जवाब: उनके कहने से क्या होता है। उनको कई बार मिलकर फोन पर और पार्टी के दूसरे नेताओं को भेजकर बता दिया गया था कि भ्रष्टाचार से समझौता करके सरेंडर करना है या बिहार को बचाना है। हमने जो किया बिहार की जनता के हित में किया है।
सवाल: लेकिन भाजपा से समझौता किए बिना भी तो आरजेडी को साथ रखा जा सकता था आप खुद ही उनसे इस्तीफे को कहते ?
जवाब: लालू प्रसाद जी के पुत्र जो मेरी सरकार में नंबर दो की पोजीशन पर बैठे हैं, उन पर जब पुख्ता आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज हो गई तो फिर क्या रास्ता बचता था मेरे पास? सच यह है कि जो कदम मैंने उठाया एकमात्र वही रास्ता बिहार के हित में था।
सवाल: भाजपा से अचानक हाथ मिला लिया, आखिर इस तरह पैंतरा बदलने के परिणामों के बाबत आपने सोचा नहीं क्या?
जवाब: जो कुछ किया सोच समझकर किया और बिहार की जनता के हित में किया। जनता का हर एक वर्ग खुश है। आप चाहें तो सर्वे कर लीजिए। जमीन से रिपोर्ट मंगा लीजिए। आम आदमी की प्रतिक्रिया देखिए क्या है।
सवाल: शरद यादव और उनके समर्थक कह रहे हैं कि देश के दूसरे प्रदेश की पार्टी इकाइयां उनके साथ हैं। गुजरात के एकमात्र विधायक ने भी कांग्रेस को वोट दिया और भाजपा से हाथ मिलाने का विरोध किया।
जवाब: जनता दल (यू) केवल बिहार तक सीमित पार्टी है। यदि कोई खुद को हरियाणा जनता दल यू का पदाधिकारी बताए तो उसका क्या मतलब है। जहां तक गुजरात के हमारे उस विधायक का सवाल है, उन्होंने खुद ही कहा था कि वे भाजपा को वोट देंगे। लेकिन हमें जब पता चला कि वे इधर उधर की बातें कर रहे हैं तो हमने उनका वोट किधर जाएगा यह चेक करने के लिए अधिकृत प्रतिनिधि भेजा। अरुण श्रीवास्तव को पार्टी प्रतिनिधि बनाकर वहां भेजना अवैध था। हमने निर्वाचन अधिकारी को अधिकृत नाम भेजकर स्थिति स्पष्ट कर दी थी।
सवाल: लोग मानते हैं कि आप यदि लालू प्रसाद को कहकर उनके पुत्र तेजस्वी का मंत्री पद से इस्तीफा करवा देते तो कुछ नहीं बिगड़ता, सरकार जैसी थी वैसी चलती रहती।
जवाब: हम क्यों इस्तीफा देने को कहते। हमने तो एक ही बात लालू जी, तेजस्वी व कांग्रेस वालों (राहुल, सोनिया) को कह दी थी कि तेजस्वी पर जो आरोप भ्रष्टाचार के मुतल्लिक लगे हैं वे गंभीर हैं, उन पर उन्हें जनता को सफाई देनी चाहिए। जनता के बीच गलत सन्देश जा रहा है। सरकार की साख का सवाल था। मैं भ्रष्टाचार से समझौता कैसे करता।
सवाल: आप भाजपा से साथ साझीदार बन चुके हैं। बिहार के लिए विशेष राज्य पैकेज की क्या स्थिति है?
जवाब: इस मामले पर जो होगा सबको पता चल जाएगा अभी कुछ नहीं कह सकता।
सवाल: लेकिन सरकार बनने के बाद भी बिहार व देश में यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि जिस पार्टी के खिलाफ आपने चुनाव लड़ा उसी पार्टी से आपने मुख्यमंत्री बने रहने के लिए हाथ मिला लिया।
जवाब: देखिये दरअसल मीडिया के कुछ लोग इसलिए परेशान हैं कि जिस तरह से अचानक मैंने भ्रष्टाचार से समझौता न करने के लिए इस्तीफा दिया। उसके बाद भाजपा व बाकी सहयोगी दलों ने हाथों हाथ नई सरकार बनाने के लिए राज्यपाल को समर्थन के पत्र सौंपकर हमने वैकल्पिक सरकार बनाई और अगले दिन ही विश्वासमत और मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया उसके बारे में मीडिया के मित्रों को कोई भनक हीं नहीं लगी। उनका असली दर्द यही झलकता दिख रहा है कि क्यों हमारी जानकारी के बिना एकाएक इतना बड़ा उलटफेर हो गया।