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IAS Puja Khedkar: जानिए किस नियम के तहत UPSC ने रद्द की पूजा खेड़कर की IAS की उम्मीदवारी
IAS Puja Khedkar: आईएएस पूजा खेड़कर की संघ लोक सेवा आयोग से परमानेंट छुट्टी हो गई है। और इसे खुद UPSC ने किया। जानिए किन नियमों के तहत रद्द हुई पूजा खेड़कर की उम्मीदवारी।
IAS Puja Khedkar: UPSC ने पूजा खेड़कर की आईएएस की उम्मीदवारी IAS प्रोबेशन रूल्स 1954 के तहत ख़त्म कर दिया है। पूजा खेड़कर की उम्मीदवारी संघ लोक सेवा आयोग ने द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 के तहत खत्म किया है। दरअसल पूजा खेड़कर के ऊपर ये आरोप लगा है कि उन्होंने OBC और दिव्यांग कोटे का इस्तेमाल करके नौकरी हासिल की है। यूपीएससी ने न सिर्फ उनकी उम्मीदवारी ख़त्म की है बल्कि भविष्य में होने वाली सारी परीक्षाओं में भाग लेने पर भी रोक लगा दी है।
क्या है IAS प्रोबेशन रूल्स 1954
दरअसल आईएएस की परीक्षा और इंटरव्यू पास करने के बाद LBSNAA में कैंडिडेट्स की बतौर IAS अधिकारी दो साल की ट्रेनिंग होती है। इसे प्रोबेशन पीरियड भी कहा जाता है। प्रोबेशनर IAS अफसरों को ट्रेनिंग के दौरान तमाम नियम-कायदों का पालन करना होता है। इन नियम कायदों की जानकारी और प्रावधान ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 में दिए गए हैं। ट्रेनिंग के दौरान प्रत्येक प्रोबेशनर अफसर भारतीय प्रशासनिक सेवा (प्रोबेशन) नियम, 1954 से बंधा होता है। बाकी अगर इसके रूल नंबर 12 की बात करें तो इसमें कुछ शर्ते बताई गई हैं। जिसके तहत UPSC किसी भी प्रोबेशनर IAS को सेवा से हटा सकता है। रूल नंबर 12 में कुल मिलाकर 5 उपखंड दिए गए हैं।
क्या है रूल नंबर 12 के पांच उपखंड
द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 में दिए पांच उपखंड में कुछ इस तरह की शर्ते है जिससे ट्रेनी IAS को सेवा से हटाया जा सकता है। पहले उपखंड में कहा गया है कि अगर कोई अभ्यर्थी रूल नंबर 9 के तहत री-एग्जामिनेशन में पास नहीं हो पाता तो उसे सेवा से हटा सकते हैं। दूसरे उपखंड में कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार संतुष्ट है कि प्रोबेशनर कैंडिडेट रिक्रूटमेंट के योग्य नहीं था या सेवा का सदस्य बनने के लिए अनुपयुक्त है तो उसे हटा सकते हैं। तीसरे में कहा गया है कि केंद्र सरकार की राय के मुताबिक प्रोबेशनर अभ्यर्थी ने अपनी प्रोबेशन ड्यूटी या स्टडी की उपेक्षा की तो उसे हटाया जा सकता है। चौथे में कहा गया है कि प्रोबेशनर कैंडिडेट के अंदर सर्विस के लिए जरूरी गुण नहीं हैं या कमी पाई गई है तो भी उसे हटाया जा सकता है। वहीं पांचवे रूल में कहा गया है कि री-एग्जामिनेशन वाले पार्ट यानी उपखंड 1 को छोड़कर अगर किसी और कारण से किसी कैंडिडेट को हटाया जाता है तो उससे पहले केंद्र सरकार को एक समरी इंक्वारी करानी होगी. इंक्वायरी में दोषी पाए जाने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है।
पूजा खेड़कर पर क्या लगे हैं आरोप
पूजा खेड़कर पर ये आरोप लगा है कि उन्होंने यूपीएससी में तय अटेम्प्ट से ज्यादा बार परीक्षा दी है। साथ ही परीक्षा देने के लिए पूजा खेड़कर ने अपनी गलत पहचान बताई है। उन्होंने परीक्षा देने के लिए अपने नाम से लेकर माता-पिता के नाम में हेरफेर, फोटो, सिग्नेचर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर तक को बदल डाला। जांच में ये भी सामने आया था कि पूजा खेड़कर ने 2020-21 में ओबीसी कोटे के तहत ‘पूजा दिलीपराव खेड़कर’ के नाम से परीक्षा दी थी। अगले साल 2021-22 में जब उनका सारा अटेम्प्ट पूरा हो गया तो ओबीसी और दिव्यांग कोटे के तहत फिर परीक्षा दी। जांच में ये भी बताया गया कि पूजा ने UPSC को दृष्टि बाधित और मानसिक बीमारी से ग्रस्त होने का प्रमाण पत्र सौंपा और इसी आधार पर वो IAS बनी हैं।
आपको बता दें कि जब सारा मामला हाईकोर्ट के सामने पहुंचा तो पूजा खेड़कर ने सारे आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि उन्होंने यूपीएससी को कोई गलत जानकारी नहीं दी है। साथ ही पूजा खेड़कर ने यूपीएससी को कहा कि उन्हें कोई अधिकार नहीं है मेरी सदस्यता रद्द करने की। पूजा खेड़कर ने खुद पर लगे आरोपों को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।