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Videocon Loan Fraud Case: जेल से बाहर निकले चंदा कोचर और उनके पति, जानें वीडियोकॉन धोखाधड़ी मामले के बारे में सब कुछ

Videocon Loan Fraud Case: हाईकोर्ट ने कोचर दंपति की गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए दोनों को जमानत देने का फैसला सुनाया था।

Krishna Chaudhary
Published on: 10 Jan 2023 11:27 AM IST (Updated on: 10 Jan 2023 11:40 AM IST)
Chanda Kochhar and her husband
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Chanda Kochhar and her husband (photo: social media ) 

Videocon Loan Fraud Case: वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में 13 दिनों से जेल में बंद आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर मंगलवार को बाहर आ गए हैं। सोमवार को ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोचर दंपति को बड़ा राहत दिया था। हाईकोर्ट ने कोचर दंपति की गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए दोनों को जमानत देने का फैसला सुनाया था।

सोमवार को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पीके चव्हाण की बेंच ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) के सेक्शन 14ए का उल्लंघन है। इस सेक्शन में कहा गया है कि गिरफ्तारी से पहले पुलिस अधिकारी को एक नोटिस भेजना चाहिए। बेंच ने कोचर दंपति की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए एक-एक लाख रूपये की जमानत राशि पर दोनों को रिहा करने का आदेश दिया था।

23 दिसंबर को गिरफ्तार हुए थे कोचर दंपति

निजी क्षेत्र की दिग्गज बैंक ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके व्यवसायी पति दीपक कोचर को सीबीआई ने 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। 24 दिसंबर को स्पेशल कोर्ट ने दोनों को 26 तारीख तक सीबीआई के कस्टडी में भेजा। इसके बाद 26 दिसंबर को वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को भी अरेस्ट कर लिया गया। 29 दिसंबर को अदालत ने तीनों को 10 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। कोचर दंपति तो आज हिरासत खत्म होने से पहले जेल से निकल गए, धूत अभी भी जेल में हैं।

क्या है वीडियोकॉन लोन धोखाधड़ी मामला

सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है। जांच एजेंसी का आरोप है कि ICICI बैंक ने वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशा निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3250 करोड़ की ऋण सुविधाएं मंजूर की थीं।

सीबीआई के एफआईआर के मुताबिक, इस मंजूरी के एवज में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूबल्स में 64 करोड़ रूपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल ट्रांसफर की। पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट और नूपावर रिन्यूबल्स का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था। सीबीआई का ये कहना है कि 2012 में दिए गए 3250 करोड़ रूपये के लोन में से 2810 करोड़ रूपय चुकाए नहीं गए। वीडियोकॉन और उसकी ग्रुप की कंपनियों के अकाउंट को जून 2017 में एनपीए घोषित कर दिया गया था। यह पूरा खेल तब हुआ चंदा कोचर ICICI बैंक की सीईओ हुआ करती थीं। 2018 में पूरा मामला खुलने के बाद चंदा कोचर संदेह के घेरे में आ गईं, उनपर पति को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे। जिसके बाद आखिरकार उन्हें सीईओ का पद छोड़ना पड़ा। सितंबर 2020 में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी भी गिरफ्तार कर चुकी है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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