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पिता की बीमारी से आया बिजनेस आ‍इडिया, बनाई खुद की कम्पनी, 500 लोगों को दे चुके है रोजगार

Aditya Mishra
Published on: 29 July 2018 12:49 PM IST
पिता की बीमारी से आया बिजनेस आ‍इडिया, बनाई खुद की कम्पनी, 500 लोगों को दे चुके है रोजगार
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नई दिल्ली: कहते हैं आइडिया कहीं से भी आ सकता है। newstrack.com आज आपको एक ऐसे इंडियन यूथ के बारे में बताने जा रहा है, जिसको अपने पिता की बीमारी के चलते बिजनेस करने का आइडिया मिला। उन्होंने खुद का स्टार्ट -अप शुरू किया और आज उनकी कम्पनी का कारोबार अमेरिका, कनाडा और ऑस्‍ट्रेलिया जैसे दुनिया के करीब 17 देशों में फैल चुका है। वे अब तक 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे चुके है।

ऐसे आया स्टार्ट -अप का आइडिया

प्रैक्टो स्‍टार्टअप के को-फाउंडर शशांक को इस बिजनेस का आ‍इडिया अपने पिता के इलाज में आई दिक्‍क्‍तों के चलते आया। दरअसल 2008 में डॉक्‍टरों ने शशांक के पिता को नी रिप्‍लेसमेंट सर्जरी कराने को कहा। उन्‍होंने दूसरे ओपीनियन के लिए अमेरिका में डॉक्‍टरों से संपर्क किया। उनके पिता के मेडिकल रिकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट में नहीं होने के कारण अमेरिका में डॉक्‍टर के साथ शेयर नहीं किए जा सके। यहीं से शशांक के मन में प्रैक्टो का आइडिया आया।उसने सोचा कि क्यों न कोई ऐसा काम शुरू किया जाये जहां मरीजों के डिजिटल हेल्‍थ रिकॉर्ड को रखने के साथ उन्‍हें आसानी से डॉक्‍टर का एप्‍वाइनमेंट दिलाया जा सके।

आज 17 देशों में है कारोबार

ऐसे दौर में जब सिर्फ इंडिया मे ई-कॉमर्स कारोबार को ही स्‍टार्टअप का टैग माना जाता हो, उस दौर में शशांक ने मेडिकल के क्षेत्र में कुछ अलग करने की ठानी। शशांक ने 2008 में अपनी कंपनी प्रैक्‍टो की शुरुआत की। यह कंपनी मरीजों और डॉक्‍टर के बीच संपर्क का काम करती है। शशांक का यह इनोवेटिव आ‍इडिया चल निकला और इसका 17 देशों में कारोबार है।

क्या है ‘प्रैक्‍टो’ एप

'प्रैक्‍टो एप' की मदद से मरीज अपने आसपास या शहर में डॉक्‍टर खोजकर उसका एप्‍वाइनमेंट ले सकता है। साथ ही कंपनी डॉक्‍टर को प्रैक्टिस मैनेजमेंट टूल भी मुहैया कराती है। इसकी मदद से वह मरीज की हिस्‍ट्री को डिजिटल फॉर्म में रखा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि उसके पास करीब 15 लाख मंथली यूजर हैं। डॉक्‍टर और पेसेंट के बीच सीधे संपर्क का माध्‍यम बनकर प्रैक्‍टो ने हेल्‍थकेयर सेगमेंट में क्रांति कर दी है।

क्लासमेट के साथ मिलकर शुरू किया ये काम

शशांक कर्नाटक के सुरतकाल स्थित नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी में बायोटेक्‍नोलॉजी के आखिरी वर्ष के छात्र थे। अपने पिता की बीमारी से परेशान शशांक एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाना चाहते थे जो हेल्‍थकेयर की जटिल और उबाऊ प्रक्रिया को आसान बना सके। इसके लिए उन्‍होंने अपने क्लासमेट अभिनव लाल को अपने साथ लिया और प्रैक्टो रे की शुरुआत की। यह अपने आप में यूनीक बि‍जनेस आइडि‍या था। इसकी शुरुआत अभी तक कहीं नहीं हुई थी। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर था, जिसकी मदद से डॉक्‍टर मेडिकल रिकॉर्ड के साथ किसी मरीज की प्रिस्क्रिप्‍शन हिस्‍ट्री को डिजिटल फॉर्मेट में रखा सकते थे।यह सर्विस मंथली सब्‍सक्रिप्‍शन बेसिस पर थी। कोई भी मरीज डॉक्‍टर से अपनी मेडिकल रिपोर्ट डिजिटल फॉर्म में यहां रखने के लिए कहा सकता था।कंपनी ने अपनी पहली सर्विस 2009 में बेंगलुरु से शुरू की। इसके बाद चेन्‍नई, मुंबई, दिल्‍ली इसकी सर्विस तेजी से फैली।

2013 में प्रैक्‍टो डॉटकॉम की शुरुआत

शशांक और अभिनव लाल ने मिलकर 2013 में प्रैक्‍टो डॉटकॉम की शुरुआत की। यह वेबसाइट लोगों के उनके शहर में डॉक्‍टर का एप्‍वाइन्‍मेंट लेने में मदद करती है। शशांक और अभिनव का दावा है कि इस वक्‍त उनकी कंपनी अमेरिका, कनाडा, ऑस्‍ट्रेलिया और भारत समेत 17 देशों में लोगों को डॉक्‍टर खोजने में मदद कर रही है। लोग प्रैक्‍टो डॉटकॉम के जरिए जहां अपने शहर में डॉक्‍टर खोज सकते हैं, वहीं प्रैक्‍टो डॉट रे की मदद से अपनी बीमारी की हिस्‍ट्री को डिजिटल फॉर्म में रख सकते हैं। कंपनी का दावा है कि इस साल देश भर में उसके कर्मचारियों की संख्‍या 500 बढ़कर 1,000 हो जाएगी।



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