×

IMA ने कहा- निमोनिया से बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें भारत में

दुनिया में निमोनिया से बच्चों की सबसे अधिक मौतें भारत में होती हैं। यह जानकारी आईएमए ने दी है।

tiwarishalini
Published on: 2 July 2017 8:56 PM IST
IMA ने कहा- निमोनिया से बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें भारत में
X
IMA ने कहा- निमोनिया से बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें भारत में

नई दिल्ली: दुनिया में निमोनिया से बच्चों की सबसे अधिक मौतें भारत में होती हैं। यह जानकारी आईएमए ने दी है। आईएमए के मुताबिक, साल 2016 में देश में तीन लाख बच्चों की इस बीमारी से मौत हो गई।

यह भी पढ़ें ... सावधान! विदेशी गाय का दूध पिया तो हो सकता है ह्रदय रोग और मधुमेह

इस बीमारी से बच्चों की अधिक मौतों वाले अन्य देशों में नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और अंगोला प्रमुख हैं।

यह भी पढ़ें ... HEALTH TIPS: हर रोज शामिल करें इतने कप कॉफी, नहीं होगा लिवर कैंसर का खतरा

हालांकि, इन देशों में निमोनिया से होने वाली मौतों पर नियंत्रण के प्रयास हुए हैं, लेकिन दुनिया भर में सैकड़ों हजार मौतें अभी भी इस रोग के चलते जारी हैं।

आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "बच्चे की नाक व गले में आम तौर पर पाए जाने वाले विषाणु एवं जीवाणु सांस के साथ कई बार फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। खांसते या छींकते समय बूंदों के रूप में भी ये हवा में फैल जाते हैं।

ज्यादातर बच्चे रोगों से लड़ने की अपनी प्राकृतिक शक्ति से इस रोग से पार पा लेते हैं। परंतु, कुछ बच्चों में, खासकर कुपोषण के शिकार अथवा स्तनपान से वंचित बच्चों में यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। घर के अंदर वायु प्रदूषण, भीड़भाड़ में रहने और माता-पिता के धूम्रपान के कारण भी इस रोग का खतरा बढ़ जाता है।"

यह भी पढ़ें ... सचमुच जीवनदायनी है गंगा की माटी, वैज्ञानिक शोधों ने किया साबित

डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा, "निमोनिया को एंटीबायोटिक्स से ठीक किया जा सकता है। अधिकांश मामलों में घर पर ही इलाज हो जाता है। बीमारी गंभीर होने पर ही बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया जाता है।

निमोनिया छूत का रोग नहीं है, परंतु इसके विषाणु या जीवाणु संक्रमण पैदा कर सकते हैं। बच्चों को ऐसे लोगों से बचाकर रखा जाए, जिनकी नाक बहती है, गला खराब हो, खांसी आती हो अथवा जिन्हें श्वसन संक्रमण हो।"

उन्होंने कहा कि स्तनपान निमोनिया को रोकने में पूर्णत: प्रभावी तो नहीं है, लेकिन इससे बीमारी की मियाद जरूर कम हो जाती है। घरेलू प्रदूषण से बचाव और भीड़भाड़ से बच्चे को बचाकर भी इस रोग से बचाव किया जा सकता है।

आईएमए के अनुसार, निमोनिया एक तरह का गंभीर श्वसन संक्रमण है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में, फेफड़ों के छोटे-छोटे भागों में श्वसन के दौरान हवा भरती है। लेकिन, निमोनिया होने पर, इनमें हवा की जगह मवाद और द्रव्य भर जाता है, जिससे श्वसन क्रिया कष्टकारक हो जाती है और ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने लगती है। निमोनिया रोग विषाणुओं, जीवाणुओं और फंगस के जरिए हो जाता है।

यह भी पढ़ें ... RESEARCH: अगर रहता है अक्सर निमोनिया और जुकाम, तो है दिल के दौरे का खतरा

इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत या तेजी से सांस लेना, खांसी, बुखार, ठिठुरन, भूख मर जाना और विषाणुजन्य संक्रमण होने पर चक्कर आना है। निमोनिया बिगड़ जाने पर बच्चे के सीने में निचला हिस्सा अंदर को धंसा हुआ प्रतीत होता है। छोटे शिशुओं में बेहोशी, हाइपोथर्मिया जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।

-- आईएएनएस

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story