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तीन तलाक पर 'सुप्रीम' फैसले को बुखारी ने बताया मुस्लिम बोर्ड की नाकामयाबी
नई दिल्ली: जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा, कि एक बार में तीन तलाक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, क्योंकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा।
सैयद बुखारी ने कहा, कि 'एक बार में तीन तलाक के मामले में बोर्ड का रुख एक जैसा नहीं रहा है।' एक समाचार एजेंसी से बुखारी ने कहा, 'मुस्लिम लॉ बोर्ड ने कदम क्यों नहीं उठाया? इसलिए ये महिलाएं (याचिकाकर्ता) अदालत गईं। मुस्लिम लॉ बोर्ड ने पहले अदालत को बताया कि वह तीन तलाक के चलन से बचने के लिए निकाहनामे में परामर्श जारी करेगा। फिर उसने कहा कि उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा जो तीन तलाक देते हैं।'
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (22 अगस्त) को ऐतिहासिक फैसला देते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक व मनमाना करार देते हुए कहा कि यह ‘इस्लाम का हिस्सा नहीं’ है। पांच जजों की संविधान पीठ ने दो के मुकाबले तीन मतों से दिए अपने फैसले में कहा, कि 'तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन, फली नरीमन और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित और इसे शरियत से भी मंजूरी नहीं है।'