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अवैध अप्रवास व घुसपैठ रोकने के लिए लाेकसभा में अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पेश, जानिए बिल में दंड के लिए क्या है प्रावधान

Immigration and Foreigners Bill 2025: घुसपैठ और अप्रवास रोकने के लिए सरकार एक नया बिल लेकर आई है। 7 साल कैद और 10 लाख जुर्माना का भी प्रावधान है।

Sakshi Singh
Published on: 11 March 2025 4:48 PM IST
Immigration and Foreigners Bill 2025
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Immigration and Foreigners Bill 2025

Immigration and Foreigners Bill 2025: घुसपैठ और अवैध अप्रवास रोकने के लिए लाेकसभा में मंगलवार को अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 पेश किया गया है। अमित शाह की तरफ से गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा कि किसी को देश में आने से रोकने के लिए यह बिल नहीं लाया गया है, बल्कि यह विधेयक इसलिए लाया गया है कि विदेशी भारत आएं। वे यहां के नियमों का पालन करके ही आएं। हालांकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और टीएमसी सांसद सौगत राय ने बिल का विरोध किया है।

Immigration and Foreigners Bill 2025 का क्या है उम्मीद

इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य भारत के इमिग्रेशन नियमों को आधुनिक बनाना और उन्हें मजूबत करना है। यह बिल भारत में दाखिल होने और यहां से बाहर जाने वाले व्यक्तियों के संबंध में पासपोर्ट या बाकी यात्रा दस्तावेजों की जरूरतों और विदेशियों से संबंधित मामलों को रेगुलेट करने की शक्तियां केंद्र सरकार को देगा। इनमें वीजा और रजिस्ट्रेशन की जरूरत और उससे संबंधित मामलों को शामिल किया गया है।

इमिग्रेशन से जुड़ा यह विधेयक देश की सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है। इस विधेयक में कानूनी स्थिति साबित करने की जिम्मेदारी राज्य के बजाय व्यक्ति पर डाल दी गई है। यह विधेयक स्पष्ट रूप से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा माने जाने वाले किसी भी विदेशी नागरिक के प्रवेश या निवास पर पाबंदी लगाता है। साथ ही अनिवार्य करता है कि सभी विदेशी आगमन पर रजिस्ट्रेशन करें और उनकी आवाजाही, नाम परिवर्तन और संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों में उनकी एंट्री पूरी तरह बैन हो। इसके अलावा, शैक्षणिक प्रतिष्ठानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम जैसी संस्थाओं को इमिग्रेशन ऑफिसर को विदेशी नागरिकों की मौजूदगी की जानकारी देनी पड़ेगी।

इमिग्रेशन नियमों के उल्लंघन के लिए सख्त सजा का भी प्रावधान

प्रस्तावित कानून में इमिग्रेशन नियमों के उल्लंघन के लिए सख्त सजा का भी प्रावधान किया गया है। वैध पासपोर्ट या वीज़ा के बिना भारत में अवैध रूप से एंट्री करने पर पांच साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने वालों को दो से सात साल तक जेल और एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। निर्धारित समय से अधिक समय तक रहना, वीजा शर्तों का उल्लंघन करना या प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने जैसे अपराधों के लिए तीन साल तक की कैद, 3 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।


बिना उचित दस्तावेज के व्यक्तियों को लाने और ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और भुगतान न करने पर उनके वाहन जब्त किए जा सकते हैं। ऐसे मामलों में जहां किसी विदेशी को प्रवेश से वंचित किया जाता है। ट्रांसपोर्टर पर उनके तत्काल प्रस्थान को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी। विधेयक में आव्रजन अधिकारियों को ज्यादा शक्तियां भी दी गई हैं। जिसमें बिना वारंट के व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार तक शामिल है।

केंद्र सरकार के पास विदेशी नागरिकों के आवाजाही को लेकर इस कानून के बाद ज्यादा अधिकार आएंगे। इसमें प्रस्थान को रोकने, प्रवेश को प्रतिबंधित करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंच को प्रतिबंधित करने की पावर शामिल है। विदेशी नागरिकों को अपने खर्च पर भारत से बाहर निकलना होगा। पहचान के उद्देश्य से बायोमेट्रिक डेटा देना होगा।

  • प्रस्तावित कानून विदेशी अधिनियम 1946
  • भारत में प्रवेश के लिए पासपोर्ट अधिनियम 1920
  • विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939
  • आव्रजन यानी वाहक दायित्व अधिनियम 2000

समेत कई औपनिवेशिक युग के कानूनों को बदलने की कोशिश है। ये कानून, मूल रूप से विश्व युद्ध के समय युद्धकालीन परिस्थितियों के लिए बनाए गए थे, अब पुराने हो चुके हैं। सरकार ने तर्क दिया कि आव्रजन नियमों को आधुनिक बनाने और गैर जरूरी प्रावधानों को खत्म करने के लिए एक एकीकृत कानून की जरूरत है।

गृह राज्य मंत्री ने भी बिल पेश करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह बिल की पूरी तरह संवैधानिक है और सातवीं अनुसूचि में यह विषय आता है। भारत में प्रवेश और निष्कासन विषय के तहत यह बिल लाया गया है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के लिहाज से यह बिल बहुत जरूरी है। राय ने कहा कि हम किसी को रोकने के लिए यह बिल नहीं ला रहे बल्कि जो लोग आएं वे भारत के कानून का पालन करें। इसके लिए यह बिल ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी विदेशी के अस्पताल या फिर शैक्षणिक परिसर में जाने से पहले उसकी जानकारी अब भी मुहैया कराई जाती थी। लेकिन अब तक प्रावधान आदेश के रूप में था। जिसे कानून के रूप में लाया जा रहा है।

नित्यानंद राय की ओर से बिल पेश करने के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह मूलभूत अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के मुताबिक नहीं है और इसमें विदेशी नागरिकों के अस्पताल में भर्ती होने तक का ब्यौरा मांगा गया है जो कि मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है। तिवारी ने मांग करते हुए कहा कि इस बिल को वापस लिया जाए या फिर जेपीसी के पास भेजा जाए।

Sakshi Singh

Sakshi Singh

Senior Content Writer

मेरा नाम साक्षी सिंह है। मूलत: प्रयागराज की रहने वाली हूं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने बैचलर और मास्टर दोनों ही जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन विषय से किया है। पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक जागरण (प्रिंट) से किया। दैनिक भास्कर (डिजिटल) में प्रयागराज में फील्ड रिपोर्टर रही। इसके बाद मैंने अमृत विचार, राजस्थान पत्रिका और नवभारत डिजिटल में लगभग 18 महीने बतौर कंटेट राइटर काम किया। इस संस्थान में नेशनल और इंटरनेशनल की रियल टाइम की खबरें लिखती रही। इसके साथ ही इस संस्थान में मैंने यहां शिफ्ट इचार्ज के तौर पर टीम भी लीड किया है। इस क्षेत्र में काम करते हुए लगभग साढ़े तीन साल से ज्यादा समय हो गए हैं। मेरी रुचि और पकड़ लगभग सभी विषयों पर है। लेकिन इंडियन पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन्स में विशेष दिलचस्पी है।

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