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बजट 2018 तैयार करने में इन अफसरों की रही महत्वपूर्ण भूमिका
नई दिल्ली: बजट की प्रतीक्षा सभी को रहती है, मगर इसे तैयार करने की प्रक्रिया आसान नहीं होती। राजनीतिक नेतृत्व के साथ वरिष्ठ अफसरों की टीम भी इसे तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाती है। पर्दे के पीछे से काम करने वाले ये अफसर बजट के प्राविधानों पर चौकन्नी नजर रखते हैं।
इस बार का बजट तैयार करने में भी वरिष्ठ अफसरों की टीम ने सरकार को कदम-कदम पर महत्वपूर्ण सलाह दी। इन अफसरों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ लंबे विचार विमर्श के बाद बजट को अंतिम रूप दिया।
हसमुख अधिया वित्त सचिव:
हसमुख अधिया फाइनेंस वित्त मंत्रालय के सबसे अनुभवी शख्स हैं। वे कई बजट बनाने में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।मगर इस बार वे बजट टीम को लीड कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े कर सुधार यानी जीएसटी के पीछे भी अधिया बड़ी भूमिका निभा चुके हैं। 1981 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिया देश में काले धन के खिलाफ चलाए गए अभियानों में भी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं।
राजीव कुमार, सचिव, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज
1984 बैच के आईएएस राजीव कुमार पर बैंकों के काम करने के तरीकों और परफॉर्मेंस में सुधार की बड़ी जिम्मेदारी है। सरकार इस क्षेत्र में सुधार करने के प्रति प्रतिबद्ध है। मोदी सरकार सरकारी बैंकों की हालत सुधारने में लगी है और इसकी जिम्मेदारी राजीव कुमार को सौंपी गयी है। इसके साथ ही इंश्योरेंस और पेंशन सेक्टर को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर ही है।
नीरज कुमार गुप्ता, सचिव, डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट
इनके रणनीतिक कौशल का ही कमाल था कि सरकार पहली बार विनिवेश के लक्ष्य से अधिक हासिल कर पाई। 1981 बैच के आईएएस नीरज गुप्ता ने अगले साल के लिए भी इस तरह की रणनीति तैयार की है। सरकार सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेस में ज्यादातर हिस्सेदारी अपने पास रखना चाहती है। ऐसे में गुप्ता को पैसे जुटाने के लिए नए रास्तों की खोज भी करनी है।
अरविन्द सुब्रमण्यम, मुख्य आॢथक सलाहकार
आर्थिक सर्वे में उनकी बड़ी भूमिका रही है। उन्हें एक साल का सेवा विस्तार मिला है। पिछले सर्वे में उन्होंने देश से गरीबी का खात्मा करने के लिए बेसिक इनकम बढ़ाने का कॉन्सेप्ट रखा था। इस बार के सर्वे में उन्होंने जीडीपी बढ़ाने और गांवों के विकास पर जोर दिया है। आर्थिक सुधारों के फैसले में उनकी बड़ी भूमिका रहती है।
सुभाषचंद्र गर्ग, सचिव, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स: गर्ग विश्व बैंक में निदेशक रह चुके हैं। उनकी तैनाती वाशिंगटन में थी। वहां से यहां आकर उन्होंने यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली है। गर्ग का फोकस विकास को फिर पटरी पर लाना, निजी निवेश को बढ़ाना और सरकारी नौकरियां पैदा करने पर है। उन पर आर्थिक स्थितियों को देखते हुए फैसले लेने की जिम्मेदारी है।
अजय नाराण झा, सचिव, डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर
1982 बैच के मणिपुर काडर के आईएएस अफसर अजय नारायण झा पर मुख्य रूप से खर्चों में कटौती करने की जिम्मेदारी है। वे पहले भी इस विभाग में तैनात रह चुके हैं और उन्हें ना कहने का हुनर बखूबी आता है। इस साल के बजट को चुनावी बजट की संज्ञा दी जा रही है और माना जा रहा है कि सरकार की कोशिश हर वर्ग को खुश करने की है मगर उनकी नजर हर तरह के खर्चों पर है।