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Childhood Index में सुधार: भारत में किशोरियों की विवाह दर में 51% की कमी आई

भारत में साल 2000 से अब तक 15 से 19 साल के उम्र वर्ग की लड़कियों की विवाह दर में 51 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। यही नहीं बच्चों की सेहत, शिक्षा, श्रम, और शादी जैसे मानकों पर भी देश के औसत प्रदर्शन में सुधार हुआ है।

Vidushi Mishra
Published on: 29 May 2019 3:25 PM IST
Childhood Index में सुधार: भारत में किशोरियों की विवाह दर में 51% की कमी आई
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नई दिल्ली: भारत में साल 2000 से अब तक 15 से 19 साल के उम्र वर्ग की लड़कियों की विवाह दर में 51 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। यही नहीं बच्चों की सेहत, शिक्षा, श्रम, और शादी जैसे मानकों पर भी देश के औसत प्रदर्शन में सुधार हुआ है। ब्रिटेन के ‘सेव द चिल्ड्रन’ एनजीओ की सालाना ग्लोबल चाइल्डहुड रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में चाइल्‍डहुड इंडेक्‍स में 137 अंकों का सुधार हुआ है। पहले चाइल्‍ड हुड इंडेक्‍स 632 था जो बढ़कर 769 अंकों पर आ गया है। यही नहीं साल 2000 के बाद से देश में किशोरों के माता-पिता बनने की दर में भी 63 फीसद की गिरावट आई है।

साल 1990 के बाद यह गिरावट करीब 75 फीसद है। कम उम्र में शादियों में आई गिरावट के कारण किशोरियों के मां बनने की संख्या में तकरीबन 20 लाख की कमी दर्ज की गई है।

साल 2000 में 35 लाख लड़कियां कम उम्र में मां बनती थीं लेकिन अब यह संख्या घटकर 14 लाख पर आ गई है। भारत में लड़कियों के कम उम्र में मां बनने की दर में आई भारी गिरावट के कारण ही दुनियाभर में ऐसे मामले एक-तिहाई तक कम हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं आया होता तो भारत में करीब 90 लाख लड़कियों की कम उम्र में ही शादी हो गई होती।

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बच्चों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, पोषण जैसे मानकों के विषय पर 176 देशों में यह अध्‍ययन किया गया। अध्‍ययन में बाल श्रम और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का भी विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 19 वर्षों में 173 देशों किशोरों से संबंधित स्थितियों में सुधार हुआ है।

हालांकि भारत के शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह अभी भी बड़ी समस्या है। शहरी क्षेत्रों में लड़कियों की कम उम्र में विवाह दर 6.9 फीसद जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह लगभग दोगुनी 14.1 फीसद पाई गई है।



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Vidushi Mishra

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