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RPSC Exam Bribery Scandal: एसीबी के डीजी का बड़ा दावा- बिचैलिए ने लिया कुमार विश्वास की पत्नी का नाम

RPSC Exam Bribery Scandal: राजस्थान में आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के अरेस्ट होने के बाद मामला और बढ़ गया है। इस मामले में पुलिस पहले ही 4 लोगों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर चुकी है। वहीं इस ममले में अब कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

Ashish Pandey
Published on: 17 July 2023 5:55 PM IST
RPSC Exam Bribery Scandal: एसीबी के डीजी का बड़ा दावा- बिचैलिए ने लिया कुमार विश्वास की पत्नी का नाम
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आरपीएससी परीक्षा घूसकांडः Photo- Social Media

RPSC Exam Bribery Scandal: परीक्षा कोई भी हो और उसमें धांधली और घोटाला न हो ऐसा शायद ही हो सकता है। अब राजस्थान में आरपीएससी की परीक्षा में रिश्वत का मामला गरमाने लगा है। राजस्थान में सीनियर ग्रेड टीचर पेपर लीक और रिश्वतकांड के मामले में एक के बाद एक नए-नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं इससे नई-नई जानकारियां भी सामने आ रही हैं। राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के बाद इस मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि एक बिचैलिए ने शिकायतकर्ता को विश्वास में लेने के लिए कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा का नाम लिया। बता दें कि मंजू शर्मा राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन की सदस्य हैं। इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर में मंजू शर्मा का नाम है। वहीं उनके अलावा आरपीएससी की सदस्य संगीता शर्मा और संगीता आर्य का भी नाम एफआईआर में दर्ज है।

किसी भी परीक्षा में चयन करा सकता है-

एक बिचैलिया ने शिकायतकर्ता को बताया है कि कांग्रेस सरकार में पूर्व राज्य मंत्री गोपाल केसावत संगीता आर्य और मंजू शर्मा को जानते हैं। इनके जरिए वह किसी भी परीक्षा में अभ्यर्थियों का चयन करा सकता है। बतादें कि मंजू आर्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार और पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी हैं।

डीजी ने बताया कि इस मामले में आगे क्या होगा इसके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन इस मामले में हमारी जांच जारी है। फिलहाल हम अभी बिचैलियों की कड़ियां जोड़ रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि उनका आपस में कैसे संपर्क हुआ? उन्होंने कहा कि भविष्य में आरोपियों को रिमांड पर लिया जाएगा। जहां एक ओर आरपीएससी पर शक की सुई गहरा रही है तो वहीं यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो सदस्यों को क्लीन चिट देने में जल्दबाजी कर रही है? यहां ऐसे 6 सवाल हैं जो संदेह पैदा कर रहे हैं।

बता दें कि एसीबी ने 18.5 लाख रुपए लेने के मामले में शनिवार को चार आरोपियों को अदालत में पेश किया था। इसमें राजस्थान के गैर-अधिसूचित घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजाति कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गोपाल केसावत भी शामिल थे। जब एसीबी ने चारों की रिमांड नहीं मांगी तो अदालत ने उन्हें 15 दिन के लिए जेल भेज दिया। वहीं डीजी प्रियदर्शी ने आरपीएससी को अस्थायी तौर पर क्लीन चिट देते हुए कहा, ‘फिलहाल इस मामले में आरपीएससी के किसी भी स्तर का कोई व्यक्ति शामिल नहीं है। हालांकि, एक बातचीत में एक आरोपी ने दावा किया है कि केसावत का आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा से संबंध था और वह ओएमआर शीट में नंबर बदलवाने में सक्षम था।

सवाल जो अनसुलझे हैं-

1. एसीबी के रडार पर आए कांग्रेस नेता गोपाल केसावत की बाकी आरोपियों से कैसे मुलाकात हुई?

2. आरपीएससी की परीक्षा पास कराने के बदले में 25 लाख रुपए की डिमांड करने वाले इस गिरोह का सरगना कौन है?

3. कांग्रेस नेता गोपाल केसावत ने आरपीएससी सदस्य मंजू शर्मा का नाम क्यों लिया?

4. क्या मंजू और गोपाल केसावत की कभी आरपीएससी कार्यालय में मुलाकात हुई थी?

5. क्या इस पूरी कार्रवाई में एसीबी को पैसे लेने के अलावा कोई और सबूत नहीं मिले, जिसके आधार पर केसावत या अन्य को रिमांड पर लिया जाता?

6. जब आरपीएससी में नौकरी दिलाने के नाम पर केसावत का नाम लेकर पैसे लिए जा रहे थे तो एसीबी के पास पूछने के लिए सवाल क्यों नहीं हैं?

सीकर एसीबी को मिली थी शिकायत-

शिकायतकर्ता ने आरोपी को बताया कि उसकी बहन ने भी इस परीक्षा का पेपर दिया है। आरोपी ने जवाब दिया कि वह पेपर के दिन अनुपस्थित थी। तो सवाल है कि यह जानकारी आरोपियों तक कैसे पहुंची? पीड़ित ने बताया कि आरोपियों ने उसके कई दस्तावेज चेक किए थे, ये दस्तावेज उन तक कैसे पहुंचे? जयपुर एसीबी और सीकर की टीम ने शनिवार को कांग्रेस नेता गोपाल केसावत समेत चार दलालों को 18.5 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। रिश्वत की रकम आरपीएससी भर्ती परीक्षा में नौकरी दिलाने के लिए मांगी गई थी। इस संबंध में सीकर एसीबी को पीड़ित की तरफ से शिकायत मिली थी।

40 लाख की हुई थी डिमांड-

शनिवार को जयपुर और सीकर की एसीबी टीम ने गोपाल केसावत समेत चार दलालों को 18.5 लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। यह रिश्वत आरपीएससी भर्ती परीक्षा में नौकरी दिलाने के लिए मांगी गई थी। इस संबंध में सीकर एसीबी को एक अभ्यर्थी से शिकायत मिली थी। उसके बाद एसीबी ने इस पूरे मामले की जांच की थी, जिसमें पता चला कि रिश्वत आरपीएससी में ईओ (कार्यकारी अधिकारी) की भर्ती के नाम पर मांगी गई थी। कुल 40 लाख रुपये की डिमांड की गयी और एसीबी की जांच में यह सौदा 25 लाख में तय हुआ।

रंगेहाथों किया था अरेस्ट-

बता दें कि सीकर एसीबी ने मूलरूप से दिल्ली के रहने वाले बिचैलिए अनिल कुमार को 18.50 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा था। उन्होंने एक और बिचैलिए रवींद्र को 7.50 लाख रुपये दिए। इसके बाद तीनों को पकड़ लिया गया। इस 18.5 लाख रुपए में से 7.5 लाख परिवादी को लौटा दिए गए और गोपाल केसावत को देने के लिए कहा गया। इसके बाद परिवादी ने गोपाल को रिश्वत के तौर पर 7.50 लाख रुपए दे दिए। एसीबी ने केसावत को भी शनिवार को ही रिश्वत की राशि लेते समय ही गिरफ्तार किया था।

अब देखना यह होगा कि इस मामले में बड़ों पर गाज गिरेगी या नहीं या केवल जांच खानापूर्ति तक ही सीमित रह कर मामला रफादफा कर दिया जाएगा।



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Ashish Pandey

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