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दिल्ली में 'गंगा' पर सम्मेलन 18 व 19 मई को, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे उद्घाटन

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Published on: 17 May 2017 10:44 AM IST
दिल्ली में गंगा पर सम्मेलन 18 व 19 मई को, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे उद्घाटन
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'गंगा की अविरलता में बाधक गाद-समस्या एवं समाधान' विषय पर राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन 18 व 19 मई को आयोजित किया जा रहा है। दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे और जल संसाधन विभाग के मंत्री राजीव रंजन सिंह की अध्यक्षता में यह सम्मेलन संचालित किया जाएगा।

इस सम्मेलन में विश्व विख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे, विख्यात पर्यावरणविद् स्वामी अभिमुक्ते श्वरानंद सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे।

यह सम्मेलन दिनांक 25-26 फरवरी को पटना में गंगा की अविरलता विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आए विशेषज्ञों के द्वारा प्रस्तुत शोधपत्रों के निष्कर्ष के बाद आगे की कार्रवाई के लिए रूपरेखा तय करने के संदर्भ में आयोजित किया जा रहा है।

आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, "आज विश्व की दस सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में गंगा एक है। गंगा के जल ग्रहण क्षेत्र में जंगलों के विनाश से बड़ी तादाद में भूमिक्षरण और कटाव बढ़ा है। गंगा का संपूर्ण प्रवाह मार्ग गाद से पट चुका है। पानी की कमी से नदी के बीच टापू उभर आते हैं।"

कहा गया है कि गंगा नदी का तल अब पूरे प्रवाह मार्ग में भारी गाद के भरने से कई मीटर उथला हो चुका है। कम बारिश में भी अक्सर बाढ़ देखने में आती है। उथली गंगा का घाटी क्षेत्र विश्व के सर्वाधिक उपजाऊ तथा घनी आबादी वाला क्षेत्र है।

विज्ञप्ति के मुताबिक, बिहार में गंगा नदी की कुल प्रवाह दूरी 525 किलोमीटर है। घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बलान, कोसी, कर्मनाशा, सोन एवं पुनपुन आदि नदियां इसकी सहायक नदियां हैं। ये सहायक नदियां बिहार राज्य के अंदर गंगा नदी के जल प्रवाह और इसके नैसर्गिक गुणों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

कहा गया है कि नदी के तल में जमा गाद पानी के प्रवाह में अवरोध पैदा करता है। गाद से उत्पन्न जटिल समस्याओं के समाधान के तरीकों को ढूंढने के लिए इस राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन नई दिल्ली में किया गया है, ताकि अधिक से अधिक नदी के विशेषज्ञ, सामाजिक एवं धार्मिक विद्वतजन द्वारा गाद की समस्या का समाधान ढूंढ़कर नदी की अविरलता के लिए कार्यक्रम तय किया जा सके ।

सौजन्य: आईएएनएस

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