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नोटबंदी में मोटी कमाई करने वाले इन व्यापारियों को मोदी सरकार ने दिया तगड़ा झटका

8 नवंबर 2016 का दिन तो हर किसी को याद होगा जब देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। उस दौरान जूलर्स को यह छूट मिली थी कि वह बैंक में कितने भी 500-1000 के नोट जमा कर सकते हैं।

Aditya Mishra
Published on: 27 Feb 2020 4:35 PM GMT
नोटबंदी में मोटी कमाई करने वाले इन व्यापारियों को मोदी सरकार ने दिया तगड़ा झटका
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नई दिल्ली: 8 नवंबर 2016 का दिन तो हर किसी को याद होगा जब देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। उस दौरान जूलर्स को यह छूट मिली थी कि वह बैंक में कितने भी 500-1000 के नोट जमा कर सकते हैं।

इस छूट का कुछ जूलर्स ने गलत फायदा उठाया और ब्लैकमनी को व्हाइट करने में खूब पैसे कमाए। अब उन्हें काली कमाई के बदले भुगतना होगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने शक के दायरे में आए जूलर्स को नोटिस भेजना शुरू किया है।

अचानक से आया है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिसएक जूलर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बातचीत में कहा कि उस समय ऐसे लोग आ रहे थे जो कैश के बदले गोल्ड और डायमंड जूलरी की जमकर खरीदारी की।

जितनी बिक्री दो सप्ताह में होती थी, वह एक दिन में होने लगी। तीन महीने पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ हमें नोटिस मिला और उस दौरान हुई कमाई के बारे में पूछा गया है।

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अभी जमा करना होगा 20 फीसदी अमाउंट

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस के मुताबिक, उस दौरान जितनी बिक्री हुई है वह ब्लैकमनी से हुई है। पीड़ित जूलर ने इस नोटिस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन कानून के मुताबिक फिलहाल उसे विवादास्पद अमाउंट का 20 फीसदी जमा करना होगा। उनका कहना है कि अगर हम केस हार जाते हैं तो रकम चुकाने में हमारा बिजनस बंद हो जाएगा। ऐसे मामलों में हम अपना बचाव कैसे करेंगे?

15000 जूलर्स को मिला है नोटिस

इंडियन बुलियन ऐंड जूलर्स असोसिएशन के सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से पूरे देश में करीब 15000 जूलर्स को इस तरह के नोटिस भेजे गए हैं। उनका आरोप है कि टैक्स डिपार्टमेंट जूलर्स से करीब 50 हजार करोड़ उगाही करना चाहता है।

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इंडस्ट्री पर होगा बुरा असर

जूलर्स की दलील है कि इस तरह के नोटिस से इस इंडस्ट्री पर बहुत ही बुरा असर पड़ने वाला है। जिसे नोटिस मिला है उसे सबसे पहले डिस्प्युटेड अमाउंट का 20 फीसदी जमा करना होगा। ऐसे में उसे क्रेडिट पर व्यापार करना होगा। अगर कोई मुकदमा हार जाता है तो डिफॉल्ट की समस्या अलग होगी।

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