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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में मतदान प्रतिशत बढ़ने का बड़ा सियासी मतलब, राज्य में क्या रहा है ट्रेंड और किस पार्टी को हो सकता है फायदा

Rajasthan Election 2023: राज्य के लोगों ने शनिवार को मतदान के प्रति उत्साह दिखाया और 74.96 फीसदी मतदान के आंकड़े सामने आए हैं। यदि 2018 के विधानसभा चुनाव से तुलना की जाए तो पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार 0.9 फीसदी अधिक मतदान हुआ है। ऐसे में इस बार अधिक मतदान का बड़ा सियासी मतलब निकाला जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 26 Nov 2023 9:26 AM GMT
Rajasthan Election 2023: राजस्थान में मतदान प्रतिशत बढ़ने का बड़ा सियासी मतलब, राज्य में क्या रहा है ट्रेंड और किस पार्टी को हो सकता है फायदा
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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा की 199 सीटों पर शनिवार को वोटिंग का काम पूरा हो गया। मतदान का काम पूरा होने के बाद अब चुनाव नतीजे को लेकर अलग-अलग अटकलें लगाई जा रही हैं। राज्य के लोगों ने शनिवार को मतदान के प्रति उत्साह दिखाया और 74.96 फीसदी मतदान के आंकड़े सामने आए हैं। यदि 2018 के विधानसभा चुनाव से तुलना की जाए तो पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार 0.9 फीसदी अधिक मतदान हुआ है।

ऐसे में इस बार अधिक मतदान का बड़ा सियासी मतलब निकाला जा रहा है। यदि राज्य में पिछले 20 साल का ट्रेंड देखा जाए तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का हमेशा भाजपा को सियासी लाभ मिलता रहा है जबकि वोटिंग में गिरावट का फायदा कांग्रेस को मिलता रहा है। राजस्थान में इस ट्रेंड को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजस्थान में हर पांच साल पर सत्ता बदलने का रिवाज जारी रह सकता है।

इस बार रिवाज बदलेगा या राज

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही इस बात को लेकर सियासी बहस होती रही है कि इस बार रिवाज बदलेगा या राज बदलेगा। राजस्थान में पिछले तीन दशकों से हर पांच साल पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता परिवर्तन का सिलसिला बना हुआ है। शनिवार को मतदान के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की ओर से जीत मिलने के दावे किए जा रहे हैं मगर सियासी जानकार कड़े मुकाबले को देखते हुए किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं।

हालांकि मतदान होने के बाद एक बार फिर इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि राजस्थान में इस बार भी रिवाज कायम रहेगा। अब हर किसी को 3 दिसंबर का बेसब्री से इंतजार है जिस दिन विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।

Photo- Social Media

राजस्थान में पिछले 20 वर्षों का ट्रेंड

राजस्थान में यदि पिछले 20 वर्षों के इतिहास को देखा जाए तो मतदान प्रतिशत में गिरावट का कांग्रेस को फायदा मिलता रहा है। 1998 के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में 68.39 फ़ीसदी मतदान हुआ था और उस चुनाव में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी।

2003 के चुनाव में 3.79 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी। उस समय विधानसभा चुनाव के दौरान 67.18 फीसदी मतदान हुआ था और चुनाव नतीजे में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया था। 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा राजे ने पहली बार राजस्थान की गद्दी संभाली थी।

उसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत में फिर गिरावट दर्ज की गई थी। 2008 के चुनाव में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई और कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। तब मतदान प्रतिशत 0.93 फीसदी घट गया था। 2008 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे।

2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग प्रतिशत में जबर्दस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। 2013 के चुनाव के दौरान मतदान में एक बार फिर 8.79 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी और इस बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा राजे ने दूसरी बार राजस्थान की कमान संभाली थी।

2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग प्रतिशत फिर गिर गया था।। 2018 के विधानसभा चुनाव में 74.06 फ़ीसदी मतदान हुआ था। मतदान प्रतिशत में 0.98 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस राज्य में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी और अशोक गहलोत को तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला था।

इस बार के चुनाव में बढ़ा मतदान प्रतिशत

अब यदि 2023 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो वोटिंग प्रतिशत में इस बार 0.9 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मतदान प्रतिशत में इस बढ़ोतरी की सियासी हल्कों में खूब चर्चा हो रही है और इसे भाजपा की सत्ता में वापसी का संकेत बताया जा रहा है।

वैसे यदि राजस्थान में पिछले 20 वर्षों के ट्रेंड को देखा जाए तो निश्चित रूप से इस तर्क में दम दिखता है और भाजपा को बड़ा सियासी लाभ मिल सकता है। वैसे राजस्थान चुनाव के फाइनल नतीजे की तस्वीर तो 3 दिसंबर को ही साफ हो सकेगी।

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अब चुनाव नतीजे का बेसब्री से इंतजार

राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं मगर 199 सीटों पर ही मतदान कराया गया है। श्रीगंगानगर जिले की करणपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव टाल दिया गया है। मजे की बात यह है कि 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी 199 सीटों पर ही मतदान कराया गया था।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, राज्यवर्धन सिंह राठौड़,बाबा बालकनाथ, किरोड़ी लाल मीणा और दीया कुमारी समेत कई दिग्गज नेताओं की किस्‍मत शनिवार को हुए मतदान में एवं में कैद हो चुकी है।

इस बार के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर बागी प्रत्याशी भी चुनौती देते हुए दिखे हैं और ऐसे में अब राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के अन्य लोगों को भी चुनावी नतीजे का बेसब्री से इंतजार है।

Shashi kant gautam

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