TRENDING TAGS :
Effect of Global warming: बढ़े तापमान ने बढ़ा दिया भारत में घरेलू हिंसा, स्टडी में सामने आए कई डराने वाले सच
Effect of Global warming: भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशो नेपाल और पाकिस्तान में भी यही हाल है। सदी के अंत तक शारीरिक हिंसा के मामले 28.3 फीसदी, यौन हिंसा बढ़कर 26.1 और भावनात्मक हिंसा 8.9 फीसदी हो सकती है।
Effect of Global warming: ग्लोबल वार्मिंग से वातावरण में परिवर्तन का हमारे शरीर पर बड़ा प्रभाव पड़ता तो दिख ही रहा है, वहीं इसका असर हमारे निजी संबंधों पर भी पड़ने लगा है। यह भविष्य के लिए एक खतरनाक संदेश है। पिछले कई सालों से हो रही ग्लोबल वार्मिंग के चलते वातावरण में कई परिवर्तन हुए हैं और हो रहे हैं। बढ़ते तापमान ने कई समस्याओं को भी जन्म दे दिया है। बढ़ते तापमान का अब असर भी साफ दिख रहा है। इसका असर घरेलू हिंस पर भी दिख रहा है। तापमान बढ़ने के साथ घरेलू हिंसा भी बढ़ रही है।
भारत और आसपास के देशों में ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण घरेलू और यौन हिंसाओं की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। मतलब ग्लोबल वॉर्मिंग का असर अब हमारे निजी संबंधों पर भी पड़ रहा है। इससे महिलाओं के खिलाफ इंटिमेट पार्टनर वायलेंस (ईपीवी) में बढ़ोतरी हो रही है। हाल ही में हुई एक स्टडी में ये चैंकाने वाले मामले सामने आएं हैं।
1.94 लाख से अधिक महिलाओं ने की शिकायत-
भारत, पाकिस्तान और नेपाल की 15 से 49 साल की 1.94 लाख से अधिक महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनके साथ भावनात्मक, शारीरिक और यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। यह डेटा 1 अक्टूबर 2010 से 30 अप्रैल 2018 के बीच का है। यह स्टडी हाल ही में जेएएमए साइक्रेटरी में प्रकाशित हुई है।
Also Read
इस स्टडी को चीन, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, तंजानिया और इंग्लैंड के वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने किया है। स्टडी में साफ तौर पर कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने जब महामारी, विज्ञान और अधिक तापमान के हिसाब से डेटा देखा तो कई चैंकाने वाली चीजें उनके सामने आईं। पता चला कि बढ़ते तापमान के साथ ही महिलाओं के साथ इंटिमेट पार्टनर वायलेंस की घटनाएं बढ़ी हैं।
चढ़ेगा पारा तो बढ़ेगी हिंसा-
वैज्ञानिकों ने स्टडी के दौरान देखा कि सालाना तापमान जब 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है, तब ईपीवी की मात्रा 4.9 फीसदी बढ़ जाती है। स्टडी के दौरान सबसे अधिक शारीरिक हिंसा दर्ज की गई। शारीरिक हिंसा 23 फीसदी, भावनात्मक हिंसा 12.5 फीसदी और यौन हिंसा 9.5 फीसदी। औसत सालाना तापमान 20 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस था।
...तो हिंसा के मामले बढ़ते चले जाएंगे-
स्टडी के अनुसार इस सदी के अंत तक ईपीवी की घटनाएं 21 फीसदी बढ़ जाएगी। क्योंकि लगातार कार्बन उत्सर्जन हो रहा है। जिससे तापमान का बढ़ना रुक नहीं रहा है। अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को रोका नहीं गया तो ऐसी स्थिति बनने में देर नहीं लगेगी जब महिलाओं के साथ हिंसा के मामले बढ़ते चले जाएंगे। इस सदी के अंत तक शारीरिक हिंसा के मामले 28.3 फीसदी, यौन हिंसा बढ़कर 26.1 और भावनात्मक हिंसा 8.9 फीसदी हो सकती है।
भारत में इंटिमेट पार्टनर वायलेंस अधिक-
भारत में 2090 तक इंटिमेट पार्टनर वायलेंस का स्तर बढ़कर 23.5 प्रतिशत हो जाएगा। वहीं इसके बाद 14.8 प्रतिशत की दर के साथ नेपाल दूसरे नंबर पर रहेगा। जबकि, 5.9 प्रतिशत के साथ पाकिस्तान सबसे कम ईपीवी वाला देश होगा।
स्टडी का एनालिसिस 2 जनवरी 2022 से 11 जुलाई 2022 तक किया गया। जिसमें पाया गया कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे ज्यादा असर भारत, चीन, अमेरिका और यूरोप में देखा गया। इन देशों के कई ऐसे शहर हैं जहां लगातार हीटवेव की आपदा आई है। ईपीवी का 4.9 प्रतिशत बढ़ने का मतलब है घरेलू हिंसा की संख्या में 6.3 फीसदी का इजाफा होना। जिसमें शारीरिक और यौन घरेलू हिंसा भी शामिल हैं।
हीटवेव से जूझ रहे हैं विश्व के कई देश-
इस समय दुनिया के कई देश अत्यधिक तापमान और हीटवेव की चपेट में हैं। भारत में ही जून के महीने में कई जगहों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंच गया जिसके कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई। भूमध्यसागर के आसपास का यूरोपीय इलाका अप्रैल में भयानक हीटवेव की चपेट में था। वहीं चीन ने अपने उत्तरी इलाकों में रहने वाले लोगों से घरों में रहने की अपील की है, क्योंकि पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है। येल यूनिवर्सिटी में एनवायरमेंट हेल्थ की प्रोफेसर और इस स्टडी में शामिल मिशेल बेल का कहना है कि बढ़ते तापमान का असर शारीरिक और सामाजिक दोनों तरह से होता है, जिसकी वजह से घरेलू हिंसा बढ़ने की पूरी आशंका रहती है।
बढ़ती गर्मी बढ़ाता है तनाव-
बढ़ती गर्मी से तनाव भी बढ़ता है। अधिक तापमान के कारण से फसलें खराब होती हैं। इससे ढांचागत विकास रुक जाता है। आर्थिक व्यवस्थाएं कमजोर होने लगती हैं और लोग घरों में कैद हो जाते हैं। तापमान बढ़ने से लोग ठीक ढंग से काम भी नहीं कर पाते हैं। इसके कारण से किसी भी परिवार पर भारी दबाव बन सकता है। इससे तनाव बढ़ सकता है। तनाव बढ़ने से घरेलू हिंसा के मामलों के बढ़ने का खतरा रहता है।
इन परिवारों और यहां बढ़े हैं घरेलू हिंसा-
घरेलू हिंसा के मामले सबसे अधिक कम कमाई वाले परिवारों और ग्रामीण इलाकों में बढ़े हैं। इससे पहले ऐसी स्टडी स्पेन के मैड्रिड के वैज्ञानिकों ने की थी। उन्होंने केन्या की महिलाओं पर एक स्टडी किया था, जिसमें पाया गया था कि वहां पर बढ़ते तापमान की वजह से घरेलू हिंसा 40 प्रतिशत बढ़ गया था। दो लोगों के बीच हिंसा की दर 2.3 फीसदी हो गई थी, जबकि समूहों के बीच 13.2 प्रतिशत हो गई थी।
पिछले कई सालों से जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग की घटनाएं हो रही हैं उससे वातावरण में परिवर्तन के साथ-साथ मानव के स्वभाव में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। लोगों में तनाव तो बढ़ ही रहा है, साथ ही यह तनाव कई समस्याओं को भी जन्म दे रहा है।