TRENDING TAGS :
Haryana: इंद्रजीत और अनिल विज की दावेदारी ने बढ़ाई सैनी की मुसीबत, शाह को इसीलिए सौंपी हरियाणा की जिम्मेदारी
Haryana: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हरियाणा में भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है।
Haryana Election: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को हरियाणा में भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक बनाए जाने से साफ हो गया है कि यहां भीतरी तौर पर जबर्दस्त खींचतान की स्थिति बनी हुई है। पार्टी की ओर से अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाए जाने की घोषणा पर कुछ लोगों को हैरानी भी हुई थी। इसका कारण यह है कि यह पहला मौका होगा जब अमित शाह किसी राज्य में पर्यवेक्षक बनकर जाएंगे। दरअसल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री अनिल विज की ओर से भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की जा रही है। ऐसे में भाजपा ने गृह मंत्री अमित शाह के जरिए हरियाणा की इस गुत्थी को सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
ऐतिहासिक जीत के बाद शाह बने पर्यवेक्षक
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार ऐतिहासिक जीत हासिल की है। हरियाणा के गठन के बाद भाजपा ऐसी पहली पार्टी है जिसने लगातार तीसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने का मौका हासिल किया है। राज्य के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता का मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर पार्टी ने कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ते हुए 48 सीटों पर जीत हासिल की है। राज्य के तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करने के बाद विधानसभा में पार्टी की ताकत 50 के ऊपर पहुंच गई है।
भाजपा की ओर से राज्य में नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 17 अक्टूबर को आयोजित होना है और इससे एक दिन पहले राज्य में विधायक दल के नए नेता का चुनाव किया जाना है। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को पार्टी की ओर से पर्यवेक्षक बनाया गया है।
पहली बार निभाएंगे पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी
अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाए जाने पर हैरानी इसलिए जताई जा रही है क्योंकि वे पहली बार यह भूमिका निभाएंगे मगर पार्टी नेतृत्व ने काफी सोच विचार के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी है। दरअसल केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज की ओर से भी मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी जताई जा रही है 5 अक्टूबर को हुए मतदान से पहले भी दोनों नेताओं ने खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया था। दोनों नेताओं ने अपने लंबे राजनीति का अनुभव और योग्यता का हवाला दिया था।
विवाद टालने के लिए बनाया पर्यवेक्षक
अनिल विज ने अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए हाल में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी मुलाकात की थी। ऐसे में पार्टी के नए नेता के चुनाव में विवाद को टालने के लिए गृह मंत्री अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाया गया है। जानकारों का कहना है कि भाजपा विधायक दल की बैठक के दौरान इंद्रजीत और अनिल विज के समर्थक विधायकों की ओर से उनका नाम उछाला जा सकता है। ऐसी स्थिति को काबू करने की क्षमता अमित शाह में ही है। पार्टी का मानना है कि अमित शाह के रहते कोई ऐसी ज़ुर्रत नहीं कर सकेगा। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर यह जिम्मेदारी अमित शाह को दी गई है।
अनिल विज और इंद्रजीत ने बढ़ाया पार्टी का संकट
हरियाणा के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सीएम चेहरा घोषित किया था। मतदान से पहले राव इंद्रजीत और अनिल विज की ओर से मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी जताए जाने के बाद भाजपा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि चुनाव जीतने के बाद सैनी ही राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। धर्मेंद्र प्रधान ने इस बाबत पार्टी का रुख स्पष्ट किया था मगर इसके बावजूद और इंद्रजीत और अनिल विज दावेदारी से पीछे हटने को तैयार नहीं है। अनिल विज ने अंबाला कैंट सीट से सातवीं बार विधायक का चुनाव जीता है।
दूसरी ओर इंद्रजीत सिंह को अहीरवाल बेल्ट का बड़ा नेता माना जाता रहा है। वे दो बार महेंद्रगढ़ और चार बार गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने जा चुके हैं। अहीरवाल बेल्ट में भाजपा ने इस बार 11 में से 10 सीटें जीती हैं। इंद्रजीत की बेटी आरती राव ने भी चुनाव जीता है। ऐसे में इंद्रजीत भी अपनी दावेदारी को लेकर कई दिनों से सक्रिय बने हुए हैं। भाजपा के रणनीतिकारों को भरोसा है कि पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह हरियाणा भाजपा के इस संकट को टालने में जरूर कामयाब होंगे।