TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सदमे में पाकिस्तान: भारत ने सात दिन के अंदर किया दो मिसाइलों का सफल परीक्षण

भारत ने विशाखापट्टनम के तट से पिछले छह दिनों में दूसरी बार 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का पनडुब्बी से सफल परीक्षण किया है।

Deepak Raj
Published on: 24 Jan 2020 7:22 PM IST
सदमे में पाकिस्तान: भारत ने सात दिन के अंदर किया दो मिसाइलों का सफल परीक्षण
X

विशाखापट्टनम। भारत ने विशाखापट्टनम के तट से पिछले छह दिनों में दूसरी बार 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का पनडुब्बी से सफल परीक्षण किया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइल का आज सुबह पानी के नीचे के प्लेटफॉर्म से परीक्षण किया गया।

बैलिस्टिक मिसाइल के-4 का सफल परीक्षण किया

इससे पहले 12 जनवरी को भी परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल के-4 का सफल परीक्षण किया गया था। के-4 बैलिस्टिक मिसाइल से नौसेना की ताकत बढ़ेगी। मिसाइल को नौसेना की स्वदेशी आईएनएस अरिहंत-श्रेणी की परमाणु-संचालित पनडुब्बी पर तैनात किया जाएगा।

ये भी पढ़ें- भ्रष्टाचार पर योगी सरकार का कड़ा एक्शन, लिया ये फैसला

परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बियों पर तैनात करने से पूर्व इस मिसाइल के कई और परीक्षणों से गुजरने की संभावना है। फिलहाल नौसेना के पास आईएनएस अरिहंत ही एकमात्र ऐसी पनडुब्बी है, जो परमाणु क्षमता से लैस है।

समुद्र के अंदर परीक्षण :

इस सबमरीन (पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली) मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है। मिसाइल का परीक्षण दिन में समुद्र के अंदर मौजूद प्लेटफॉर्म से किया गया।

दो स्वदेशी मिसाइलों में से एक : के-4 पानी के नीचे चलने वाली उन दो स्वदेशी मिसाइल में से एक है, जिन्हें समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। ऐसी ही अन्य पनडुब्बी बीओ-5 है, जो 700 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर मौजूद अपने लक्ष्य पर हमला सकती है।

ये भी पढ़ें- पेशनधारकों पर बड़ी खबर! सरकार देने जा रही ये बड़ी सौगात

क्या होती है बैलिस्टिक मिसाइल : जब किसी मिसाइल के साथ दिशा बताने वाला यंत्र लगा दिया जाता है, तो वह बैलिस्टिक मिसाइल बन जाती है। इस मिसाइल को जब अपने स्थान से छोड़ा जाता है या दागा जाता है तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर जाकर गिरती है। ऐसी मिसाइलों में बहुत बड़ी मात्रा में विस्फोटकों को ले जाने की क्षमता होती है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि, और धनुष जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।

सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल थी ए4 : इतिहास में सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल नाजी जर्मनी ने 1930 से 1940 के मध्य में विकसित की थी। यह कार्य रॉकेट वैज्ञानिक वेन्हेर्र वॉन ब्राउन की देखरेख में हुआ था। यह सबसे पहली बैलिस्टिक मिसाइल ए4 थी, जिसे दूसरे शब्दों में वी-2 रॉकेट के नाम से भी जाना जाता है। इसका परीक्षण तीन अक्तूबर 1942 को हुआ था।

के-4 की विशेषताएं

1-200 किलो वजनी परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम।

2-दुश्मन के रडार पर मिसाइल आसानी से नहीं आती।

3-पनडुब्बी से छोड़ी जा सकती है के-4 मिसाइल।



\
Deepak Raj

Deepak Raj

Next Story