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भारत और आसियान देश समुद्री क्षेत्र में सहयोग तंत्र बनाने पर सहमत
नई दिल्ली: भारत और आसियान के सदस्य देश समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक तंत्र बनाने पर सहमत हुए हैं। गौरतलबा है, कि यह पहल ऐसे समय की गई है, जब दक्षिण चीन सागर में चीन का सैन्य प्रभाव बढ़ रहा है। इस वजह से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 आसियान नेताओं के लिए आयोजित 'सैर सपाटा सत्र' के दौरान समुद्री क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के लिए यह तंत्र बनाने पर सहमति बनी।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) प्रीति शरण ने मीडिया को बताया, 'सभी नेताओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने को लेकर तंत्र विकसित करने पर सहमति बनी है।' शरण ने ये जानकारी पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया।
समुद्री क्षेत्र में सहयोग बेहतर करने पर चर्चा
प्रीति शरण ने कहा, 'नेताओं के बीच समुद्री क्षेत्र में सहयोग बेहतर करने पर चर्चा हुई। इसमें परंपरागत तथा गैर-परंपरागत चुनौतियों से सामूहिक तौर पर निपटने पर भी सहमति बनी। इसके बाद 10 आसियान देशों के नेता इंडिया-आसियान कमेमरेटिव बैठक में शामिल हुए।' इस बैठक में भारत और आसियान संबंधों को और विस्तार देने पर बातचीत हुई।
चीन के साथ विवाद पर एकजुट
बता दें, कि समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए तंत्र विकसित करने पर सहमति को इस नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कई आसियान देशों का संसाधन संपन्न दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है।
25 सालों में बढ़ा 25 गुना व्यापार
वहीं, इससे पहले पीएम मोदी ने भारत-आसियान व्यापार को और बढ़ाने की बात कही। मोदी बोले, 'भारत और आसियान के बीच व्यापार पिछले 25 सालों में करीब 25 गुना बढ़कर वर्तमान में 70 अरब डालर तक पहुंच गया है। हम व्यापार संबंधों को और मजबूत बनाएंगे। अपने व्यापार समुदायों के बीच बीतचीत बढ़ाने की दिशा में भी काम करेंगे।'