India Accidents: भगदड़ और मौतें : भारत बन गया है इसका केंद्र

India Accidents: 2023 की एक स्टडी रिपोर्ट का जिक्र करना जरूरी है जिसमें कहा गया था कि भारत भगदड़ की दुर्घटनाओं का सबसे बड़े केंद्र बनता जा रहा है।

Neel Mani Lal
Published on: 2 July 2024 1:57 PM GMT (Updated on: 2 July 2024 2:00 PM GMT)
India Accidents ( Social- Media- Photo)
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India Accidents ( Social- Media- Photo)

India Accidents: हाथरस के एक गांव में धार्मिक सत्संग के दौरान मची भगदड़ में दर्जनों लोग मारे गए हैं। इस दुखद घटना ने न जाने कितने परिवारों को बर्बाद कर दिया है। इस घटना ने फिर एक बार भारत में खासकर धार्मिक आयोजनों और धार्मिक स्थलों पर होने वाले हादसों की ओर ध्यान केंद्रित किया है। हाथरस की घटना के परिप्रेक्ष्य में 2023 की एक स्टडी रिपोर्ट का जिक्र करना जरूरी है जिसमें कहा गया था कि भारत भगदड़ की दुर्घटनाओं का सबसे बड़े केंद्र बनता जा रहा है।

दुर्घटनाओं का नक्शा

दरअसल, वैज्ञानिकों ने दुनिया में वर्ष 1900 के बाद से 2019 तक भगदड़ या भीड़भाड़ के कारण हुई घटनाओं का एक डेटाबेस तैयार किया है। इस डेटाबेस में 1900 से 2019 के बीच हुईं भीड़ या भगदड़ की उन 281 घटनाओं को शामिल किया गया है जिनमें या तो कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई या दस से ज्यादा लोग घायल हुए। इस स्टडी के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत और पश्चिमी अफ्रीका भगदड़ की दुर्घटनाओं के सबसे बड़े केंद्र बनते जा रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, पिछले दो दशकों से भीड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। 1990 से 1999 के बीच हर साल औसतन तीन ऐसी घटनाएं होती थीं जो 2010 से 2019 के बीच बढ़कर 12 प्रतिवर्ष हो गईं।

ताकि उपाय किये जा सकें

जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर क्लाउडियो फेलिचियानी और ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के डॉ. मिलाद हागानी का यह शोध सेफ्टी साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए ऐसा डेटाबेस होना और उसका विश्लेषण करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय किये जा सकें।

शोधकर्ता डॉ. मिलाद हागानी ने कहा है कि पिछले 20 साल ही में भगदड़ आदि की घटनाओं में 8,000 से ज्यादा लोगों की जान गई है और 15,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। समय के साथ-साथ स्पोर्ट्स इवेंट्स के दौरान दुर्घटनाएं कम हुई हैं जबकि धार्मिक आयोजनों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। पुख्ता संकेत हैं कि बीते 30 साल में खेल आयोजनों के दौरान अपनाए गए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों ने सुरक्षा को मजबूत किया है जिसके नतीजे अच्छे हैं।

हादसे और गरीबी का मेल

शोध के मुताबिक देशों की आय के स्तर और दुर्घटनाओं में सीधा संबंध दिखाई दिया है। कम या मध्यम आय वाले देशों में दुर्घटनाएं ज्यादा हुई हैं। भारत और कुछ कम हद तक पश्चिमी अफ्रीका भीड़ वाले हादसों के केंद्र नजर आते हैं। ये तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र हैं और इनकी आबादी भी बढ़ रही है। गांवों से शहरों की ओर पलायन तो बहुत तेजी से हो रहा है लेकिन इसको संभालने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं तैयार नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने साफ कहा कि उत्तर भारत खासतौर पर अत्याधिक घनी आबादी वाला इलाका है जहां धार्मिक परंपराओं का बहुत प्रभाव है और लोग कुछ समय के लिए छोटी जगहों पर बड़ी संख्या में जमा होते हैं।

धार्मिक आयोजन

शोधकर्ता कहते हैं कि धार्मिक आयोजन अब ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं। एसोसिएट प्रोफेसर फेलिचियानी ने एक लेख में बताया कि खेल आयोजनों जैसे सुरक्षा उपायों को धार्मिक आयोजनों में अपनाना आसान नहीं है क्योंकि वहां कोई टिकट नहीं होती और लोगों की संख्या भी तय नहीं होती, जिस कारण भीड़-प्रबंधन बेहद मुश्किल हो जाता है। 2000 से 2019 के बीच दुनिया में जितने भी ऐसे हादसे हुए, उनमें से लगभग 70 प्रतिशत भारत में हुए और ये धार्मिक आयोजनों से संबंधित थे। इनमें से बहुत सी दुर्घटनाएं नदी या पानी के अन्य स्रोत के किनारे हुईं। बड़ी संख्या में पुलों, नदी के किनारों और बस या ट्रेन स्टेशनों आदि पर हादसे हुए हैं।

भयानक हादसे

मध्यप्रदेश : 115 लोगों की मौत 13 अक्टूबर, 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में नवरात्रि के दौरान एक मंदिर के पास भगदड़ मच गई। इसमें कम से कम 115 लोग मारे गए। दुर्घटना के समय सिंध नदी पर बने एक पुल पर करीब 20,000 लोग सवार थे। पुल के ढहने की अफवाह उड़ी। भगदड़ में ज्यादातर रौंदे गए या पानी में बह गए। हादसे में 110 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

केरल: 102 लोगों की मौत1 4 जनवरी 2011 की रात केरल के सबरीमाला मंदिर से लौटते समय 102 श्रद्धालुओं की कुचलकर मौत हो गई थी। एक जीप में सवार तीर्थयात्रियों का एक समूह संकरे जंगल के रास्ते से गुजर रहे श्रद्धालुओं की भीड़ में जा घुसा था, जिससे मची भगदड़ में लोगों की जान चली गई थी।

नासिक : 27 अगस्त, 2003 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान मची भगदड़ में 39 लोग मारे गए और करीब 140 घायल हो गए।

महाराष्ट्र : 25 जनवरी, 2005 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालु कुचले गए और सैकड़ों घायल हो गए। यह दुर्घटना तब हुई जब कुछ लोग नारियल तोड़ रहे श्रद्धालुओं द्वारा फिसलन भरी सीढ़ियों पर गिर गए।

नैना देवी मंदिर : 3 अगस्त, 2008 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाहों के कारण मची भगदड़ में 162 लोग मारे गए और 47 घायल हुए।

जोधपुर : 30 सितंबर, 2008 को राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाहों के कारण मची भगदड़ में करीब 250 श्रद्धालु मारे गए और 60 से अधिक घायल हो गए।

उत्तर प्रदेश : 4 मार्च, 2010 को प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ मचने से लगभग 63 लोगों की मौत हो गई। लोग स्वयंभू बाबा से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे।

हरिद्वार : 8 नवंबर, 2011 को हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे हर-की-पौड़ी घाट पर भगदड़ मचने से कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई।

पटना : 3 अक्टूबर, 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के कुछ ही समय बाद पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ में 32 लोगों की मौत हो गई और 26 अन्य घायल हो गए।

आंध्रप्रदेश : 14 जुलाई, 2015 को राजमुंदरी में 'पुष्करम' उत्सव में गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मचने से 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए।

आइवरी कोस्ट: 63 लोगों की मौत

1 जनवरी, 2013 को।आबिदजान के पठारी जिले में नए साल की आतिशबाजी देखने जुटी भीड़ लौटते समय भगदड़ का शिकार हो गई। हादसे में कम से कम 63 लोग, ज्यादातर युवा मारे गए थे।

29 अक्टूबर 2022 को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल की तंग गलियों में हैलोवीन पार्टी के दौरान भगदड़ मची। इस हादसे में 145 से ज्यादा लोग मारे गए। पिछले एक दशक में ऐसे ही कई भयानक हादसे सैकड़ों जिंदगियां ले चुके हैं।

मक्का: 2,300 लोगों की मौत 24 सितंबर, 2015 को सालाना हज के दौरान मक्का के मीना में भगदड़ मची थी। ये हादसा 'शैतान' की दीवार पर पत्थर मारने की रस्म के दौरान हुआ। इसमें करीब 2,300 लोगों की मौत हुई थी।

इंडोनेशिया: 133 लोगों की मौत 1 अक्टूबर, 2022 को पूर्वी जावा के मलंग में एक फुटबॉल स्टेडियम में भगदड़ मच गई। इसमें चालीस बच्चों समेत 133 लोगों की मौत हो गई थी। हादसा तब हुआ जब फैंस की अनियंत्रित भीड़ को पुलिस ने आंसू गैस से काबू में करने की कोशिश की। दहशत के बीच संकरे रास्ते से निकलने की कोशिश में कई कुचले गए और कई लोगों की दम घुटने से मौत हुई।

ईरान: 56 लोगों की मौत 7 जनवरी, 2020 को ईरान के केरमन में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की अंतिम यात्रा के दौरान मची भगदड़ में 56 जानें गईं। 3 जनवरी को बगदाद हवाई अड्डे के बाहर अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए लोगों की अंतिम यात्रा में काफी भीड़ उमड़ी थी।

इथियोपिया: 52 मौतें 2 अक्टूबर 2016 को बरसात के मौसम के आखिर में मनाये जाने वाले पारंपरिक ओरोमो इरिचा उत्सव के दौरान बिशोफ्टु में भीड़ और पुलिस के बीच झड़प भगदड़ का कारण बनी। अधिकारियों के मुताबिक, इसमें 52 लोगों की मौत हुई थी वहीं विपक्ष का कहना था कि आंकड़ा कम से कम 100 था।

इजरायल: 45 लोगों की मौत 30 अप्रैल, 2021 को, लैग बाओमर से माउंट मेरोन तक यहूदियों की तीर्थयात्रा के दौरान मची भगदड़ में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई थी। देश में कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से ये सबसे बड़ी सभा थी जो अब काले अक्षरों में दर्ज हो चुका है।

तंजानिया: 45 लोगों की मौत 21 मार्च, 2021 को तंजानिया की आर्थिक राजधानी दार एस सलाम के एक स्टेडियम में भगदड़ मचने से 45 लोगों की मौत हो गई थी। ये हादसा दिवंगत राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली की श्रद्धांजलि सभा के दौरान हुआ था।

Shalini singh

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