TRENDING TAGS :
India Cabinet Mission History: ब्रिटिश कैबिनेट मिशन भारत में कब आया, क्या था इसका कारण, आइए जानते हैं
India Cabinet Mission History: हालांकि कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारत को एकजुट रखते हुए सत्ता का हस्तांतरण करना था, लेकिन इसके प्रस्तावों को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद रहे।
India Cabinet Mission History
India Cabinet Mission History: ब्रिटिश कैबिनेट मिशन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह मिशन मार्च 1946 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजा गया था, जिसका उद्देश्य भारत में सत्ता के हस्तांतरण की योजना बनाना था। इस मिशन ने भारत में एक संविधान सभा के गठन का सुझाव दिया और भारत को तीन समूहों में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया।
हालांकि कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारत को एकजुट रखते हुए सत्ता का हस्तांतरण करना था, लेकिन इसके प्रस्तावों को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद रहे। अंततः मिशन की असफलता ने भारत विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।
ब्रिटिश कैबिनेट मिशन का ऐतिहासिक संदर्भ
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के बाद ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर हो गई थी। युद्ध के दौरान भारत ने ब्रिटेन का समर्थन किया, लेकिन 1942 में महात्मा गांधी ने "भारत छोड़ो आंदोलन" का आह्वान किया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम और तीव्र हो गया।
मुख्य ऐतिहासिक कारण:
भारत में राजनीतिक अशांति:1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने लाखों स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया।युद्ध के बाद भारत में असंतोष और विद्रोह की स्थिति थी।
ब्रिटेन की कमजोर स्थिति:द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह टूट गई थी.ब्रिटेन अब भारत में शासन जारी रखने की स्थिति में नहीं था।
भारत में सांप्रदायिक तनाव:मुस्लिम लीग, मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में "पाकिस्तान" की मांग कर रही थी।कांग्रेस एक एकीकृत भारत चाहती थी।
अंतरराष्ट्रीय दबाव:अमेरिका और सोवियत संघ जैसे शक्तिशाली राष्ट्र भारत की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे थे।ब्रिटेन पर भारत को स्वतंत्र करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा था।
मिशन के भारत आगमन की तिथि और पृष्ठभूमि
मार्च 1946 में ब्रिटिश सरकार ने भारत में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए एक कैबिनेट मिशन भेजने का निर्णय लिया।
भारत में आगमन की तिथि:कैबिनेट मिशन 24 मार्च 1946 को भारत पहुँचा।मिशन ने भारत के राजनीतिक दलों के नेताओं से व्यापक चर्चा की।इसका उद्देश्य था भारत के भविष्य के राजनीतिक ढांचे पर एक योजना तैयार करना।
कैबिनेट मिशन के सदस्य
कैबिनेट मिशन में तीन प्रमुख सदस्य थे:
लॉर्ड पैथिक लॉरेंस:वह ब्रिटिश सरकार में भारत मामलों के मंत्री थे।मिशन का नेतृत्व उनके पास था।
सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स:वह ब्रिटेन के व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष थे।वे 1942 में भारत में क्रिप्स मिशन का हिस्सा भी थे।
ए. वी. एलेक्जेंडर: वे ब्रिटिश नौसेना के प्रमुख थे।मिशन के रक्षा मामलों से जुड़े थे।
मिशन का उद्देश्य और प्रस्ताव
कैबिनेट मिशन का मुख्य उद्देश्य था:भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने की प्रक्रिया का निर्धारण।सत्ता हस्तांतरण का शांतिपूर्ण समाधान निकालना।भारत में संविधान सभा का गठन कराना।सांप्रदायिक संघर्ष को रोकना और भारत को विभाजन से बचाना।
भारत का विभाजन नहीं होगा:मिशन ने स्पष्ट किया कि भारत का विभाजन नहीं होगा।
एक संघीय सरकार:भारत में एक संघीय सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा गया।
तीन समूहों में भारत का विभाजन:भारत को तीन समूहों में विभाजित करने का सुझाव दिया गया:
समूह A: हिंदू बहुल प्रांत (उत्तर और मध्य भारत)
समूह B: मुस्लिम बहुल प्रांत (पंजाब, सिंध, NWFP)
समूह C: बंगाल और असम
संविधान सभा का गठन:संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया जाएगा।
भारत की रक्षा और विदेशी नीति ब्रिटेन के नियंत्रण में:स्वतंत्रता मिलने के बाद भी भारत की रक्षा और विदेशी नीति ब्रिटेन के हाथों में रहेगी।
कैबिनेट मिशन योजना का स्वरूप
कैबिनेट मिशन ने भारत में सत्ता हस्तांतरण के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की.भारत को एक संघीय ढांचे में रखा जाएगा।संविधान सभा में सभी दलों को शामिल किया जाएगा।तीन समूहों को आंतरिक मामलों में स्वायत्तता दी जाएगी।भारत का विभाजन रोकने का प्रयास किया गया।
मिशन की सिफारिशें:
भारत की एकता को बरकरार रखना था.इसने एक केंद्र के तहत सभी भारतीय क्षेत्रों का एक बहुत ही ढीला संघ प्रस्तावित किया, जो केवल रक्षा, विदेशी मामलों और संचार को नियंत्रित करने के लिए था। यह संघ के पास इन विषयों के प्रबंधन हेतु वित्त जुटाने हेतु आवश्यक शक्तियां के लिए था।संघ के विषयों और अवशिष्ट शक्ति के अलावा सभी विषय ब्रिटिश भारत के प्रांतों में निहित होंगे।रियासती विधानमंडल तब एक संविधान सभा या संविधान बनाने वाली संस्था का चुनाव करेंगे, जिसमें प्रत्येक प्रांत को उसकी जनसंख्या के अनुपात में निर्दिष्ट संख्या में सीटें आवंटित की जाएंगी।प्रस्तावित संविधान सभा में ब्रिटिश भारत से 292 सदस्य और भारतीय राज्यों से 93 सदस्य शामिल होने थे.मिशन ने केंद्र में अंतरिम सरकार के तत्काल गठन का प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन हो और सभी विभाग भारतीयों के पास हों।
भारतीय नेताओं की प्रतिक्रिया
कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों को लेकर भारतीय नेताओं में मतभेद थे।कांग्रेस ने विभाजन का विरोध किया और अखंड भारत की मांग की।लेकिन उसने संविधान सभा के गठन का समर्थन किया.मुस्लिम लीग ने कैबिनेट मिशन को आंशिक रूप से स्वीकार किया।लेकिन जब कांग्रेस ने समूह प्रणाली को अस्वीकार किया, तो मुस्लिम लीग ने भी विरोध कर दिया.गांधी जी ने कैबिनेट मिशन योजना को भारत विभाजन का आधार बताया।
कैबिनेट मिशन की विफलता के कारण
कांग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद:कांग्रेस और मुस्लिम लीग में घोर मतभेद थे।
समूह प्रणाली पर विवाद:कांग्रेस ने समूह प्रणाली का विरोध किया।
ब्रिटिश सरकार की अनिर्णयता:ब्रिटिश सरकार के असमंजस और ढुलमुल रवैये ने मिशन को असफल बना दिया।
सांप्रदायिक तनाव:मुस्लिम लीग ने "डायरेक्ट एक्शन डे" (16 अगस्त 1946) मनाकर दंगे भड़का दिए।
मिशन का भारत विभाजन में योगदान
कैबिनेट मिशन की विफलता ने भारत विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग तेज कर दी।भारत में सांप्रदायिक दंगे बढ़ गए।अगस्त 1947 में भारत का विभाजन हुआ।
कैबिनेट मिशन का ऐतिहासिक महत्व
कैबिनेट मिशन की सिफारिशों के आधार पर संविधान सभा का गठन हुआ।मिशन की विफलता ने भारत विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।मिशन ने भारत को स्वतंत्रता की ओर बढ़ाया।
ब्रिटिश कैबिनेट मिशन भारत के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है। इसकी असफलता ने भारत के विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया, लेकिन इसके प्रस्तावों के आधार पर भारत में संविधान सभा का गठन हुआ और देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।