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India-Canada Row: भारत के दबाव के आगे झुका कनाडा, 41 राजनयिक छोड़ेंगे देश, अधिकांश को सिंगापुर-मलेशिया भेजा
India-Canada Conflict: भारत लगातार कनाडा से कह रहा है कि, देश में उनके राजनयिकों की संख्या अधिक है। ऐसे में संतुलन बनाने की जरूरत है। इसी के तहत 41 डिप्लोमैट अन्य देशों में भेजे जा रहे हैं।
India-Canada Tension: भारत और कनाडा के बीच तल्ख़ रिश्तों का असर साफ-साफ देखा जा रहा है। खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या (Hardeep Singh Nijjar Murder) को लेकर विवाद जारी है। इस बीच, कनाडा ने भारत में काम कर रहे अधिकतर राजनयिकों (Diplomat) को कुआलालम्पुर (मलेशिया की राजधानी) और सिंगापुर (Singapore) भेज दिया है। 05 अक्टूबर तक इन डिप्लोमैट को भारत छोड़ना है।
गौरतलब है कि, कनाडा ने ये कदम ऐसे वक़्त उठाया है जब भारत लगातार दोनों देशों के बीच राजनयिकों के संतुलन की बात करता रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने एक दिन पहले ही कहा था कि, भारत में कनाडा के ज्यादा डिप्लोमैट हैं। ऐसे में संतुलन बनाने की आवश्यकता है। ये लोग हमारे आंतरिक मामलों में भी दखल देते हैं। हम इस संबंध में कनाडा से चर्चा कर रहे हैं।'
5 दिन में 41 राजनयिक छोड़ेंगे भारत
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि, केंद्र सरकार ने ओटावा (Ottawa) को कनाडाई राजनयिकों (Canadian diplomats) की उपस्थिति कम करने के लिए 10 अक्टूबर, 2023 तक का समय दिया है। सरकार का कहना है कि नई दिल्ली में डिप्लोमैट्स की संख्या कनाडा में भारत के राजनयिकों की संख्या के बराबर होनी चाहिए। पहले की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, देश में इन राजनयिकों की संख्या 41 है। ख़बरों में कहा गया है, 'दिल्ली के बाहर भारत में काम कर रहे अधिकांश कनाडाई डिप्लोमैट को कुआलालम्पुर या सिंगापुर भेजा गया है।'
कनाडा की विदेश मंत्री ने लगाई थी गुहार
इससे पहले, कनाडा की विदेश मंत्री ने भारत से निजी बातचीत में गुहार लगाई थी कि भारत रियायत बरते। लेकिन।, भारत ने दो टूक शब्दों में बता दिया कि इन राजनयिकों को जाना ही होगा।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
इससे पूर्व कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Canada PM Justin Trudeau) ने बिना किसी ठोस सबूत के आरोप लगाया था कि भारत के खुफिया एजेंटों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा की जमीन पर हत्या करवाई थी। ट्रूडो के इसी आरोप के बाद भारत के साथ विवाद शुरू हुआ। भारत ने भी करारा जवाब देते हुए सबूत मांगे थे। लेकिन, कनाडा सबूत नहीं दे पाया।